Crop Cultivation (फसल की खेती)

आलू के प्रमुख कीट एवं निदान

Share

– अरविन्द कुमार – डॉ. पंकज कुमार
(शोध छात्र), कीट विज्ञान विभाग
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या

18 जनवरी 2022, भोपाल: आलू के प्रमुख कीट एवं निदान

माहू-पहचान व हानि

यह आमतौर पर ग्रीन पीच ऐफिड अर्थात् आलू का हरा माहू के नाम से जाना जाता है। यह हल्के या गहरे हरे रंग अथवा पीले रंग के होते है। इसके डंक लम्बे बेलनाकार तथा मध्य में कुछ फूले होते हैं। पंखदार अवस्था में इनके उदर पर एक गहरा धब्बा होता है। यह पतियों व मुलायम तनों का रस चूस लेते हैं जिससे पौधे की बढ़वार रुक या कम हो जाती है। उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में माहू की संख्या फरवरी माह में अधिक होती है परन्तु मार्च के बाद इनकी संख्या घटने लगती है। गर्मी में तापमान बढऩे के साथ-साथ अप्रैल-मई के महीनों के दौरान मैदानों में लगभग समाप्त हो जाते है।

नियंत्रण
  • नाइट्रोजन खाद का अधिक प्रयोग न करें।
  • इस कीट को आकर्षित करने के लिए पिली ग्रीस लगे हुए स्टकी ट्रैप का प्रयोग करें।
  • प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 1 मि. ली. प्रति 3 लीटर या डाइमिथिएट 30 ई.सी. 2 मि.ली. प्रति लीटर का छिड़काव करें।
कन्द शलभ पहचान व हानि

यह आलू फसल पर दो तरीके से हमला करते है। पहला नई पत्तियों में सुरंग बनाकर और दूसरा कन्दों को खाकर डिभंक पत्तियों में घुस जाते है और पत्तियों की शिराओं या फिर पौधों की डण्ठलों को भीतर से खाते है और कन्दों में बहुत दूर तक सुरंग बनाते हैं। खेतों में फसल तैयार होने पर कन्दों पर तथा भण्डार गृहों में ढेर के उपरी कन्दों पर इनके प्रकोप को देखा जाता है। भण्डार गृह में यह कन्दों की आंखों के समीप अण्डे देते हैं।

नियंत्रण
  • इन कीटों से होने वाले नुकसान को कीटनाशकों के उपचार तथा अन्य एकीकृत से कम किया जा सकता है।
  • भण्डार में कन्द शलभ के प्रकोप को रोकने के लिए आलू ढेर के नीचे और ऊपर सूखी हुई लेन्टाना या नीम की सुखी पत्तियों की 2 से 2.5 सेन्टीमीटर मोटी तह बिछा दें।
    बैसीलस थूरीजिनेसिस (बी.टी.) व ग्रेनुलोसिस वारस (जी.वी.) जैसे जैव कारक के इस्तेमाल से भी भण्डारों में आलू के कन्द शलभ के प्रकोप को रोका जा सकता है।

महत्वपूर्ण खबर: हरियाणा में फल सब्जी विक्रेताओं को नहीं लगेगी मार्केट फीस

सफेद लट पहचान व हानि

यह मिट्टी में रहने वाले मटमैले सफेद रंग की इल्ली होती है। इनका शरीर मोटा और मुंह गहरे भूरे रंग का होता है। कीट की लंबाई करीब 18 मिलीमीटर एवं चौड़ाई 7 मिलीमीटर होती है। सफेद लट प्रकोप के लक्षण यह कीट पौधों की जड़ों, तना के साथ कंद को भी खाकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधे सूखने लगते हैं। जिससे आलू के कंद पर सुराख नजर आने लगता है।

नियंत्रण
  • बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें, जिससे मिट्टी में पहले से मौजूद कीट ऊपर आ कर तेज धूप से नष्ट हो जाएंगे।
  • खेत में कच्ची गोबर का प्रयोग ना करें।
  • जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 8 से 10 कि.ग्रा. फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जी.आर मिलाएं।
  • इस कीट से बचने के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिला कर छिड़काव करें।
  • प्रति एकड़ जमीन में 2.5 से 3 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी का प्रयोग करें।
कुतरा पहचान व हानि

आलू के पौधों में इस कीट का प्रभाव पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है। इस कीट की इल्ली पौधे की पत्तियों और तने को काटकर पौधों को नुकसान पहुँचाती है। जबकि इसकी सुंडी आलू के कंद को नुकसान पहुँचाती है। इसकी सुंडी आलू के कंदों में छेद बना देती है।

नियंत्रण
  • इस रोग की रोकथाम के लिए शुरुआत में खेत की गहरी जुताई कर उसे कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें।
  • इसके अलावा आलू के कंदों को उपचारित कर ही खेतों में लगायें।
  • इसके लिए मेन्कोजेब या कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का इस्तेमाल करें।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *