फसल की खेती (Crop Cultivation)

आलू की उन्नत खेती

केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक देश को 49 लाख टन आलू का उत्पादन करना होगा इसके लिए आलू की उत्पादकता यूरोपीय देशों की तरह बढ़ाना होगा। यहां के निदेशक डॉ. स्वरूप कुमार चक्रवर्ती ने बताया, भारत में आलू की उत्पादकता अभी 183.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि बेल्जियम, में 490, न्यूजीलैंड में 450 और ब्रिटेन में 397 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। ऐसे आलू की उत्पादकता को बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बन गया है, इसलिए यूरोप की तर्ज पर देश में आलू की खेती को लेकर अनुसंधान किया जा रहा है।

आलू विश्व में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और प्रयोग किया जाता है आलू की खेती लगभग पूरे विश्व में की जाती है, इसका जनक अमेरिका है भारत में इसकी उत्पति 16वीं सदी में पुर्तगालियों द्वारा मानी जाती है आलू पौष्टिक तत्वों का खजाना है, इसमें सबसे प्रमुख स्टार्क, जैविक प्रोटीन, सोडा, पोटाश और विटामिन ए व डी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है देश में आलू की खेती का क्षेत्रफल बढऩे के बाद भी आलू की जितनी पैदावार होनी चाहिए नहीं हो रही है। केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की अर्थव्यवस्था में आलू प्रसंस्करण तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है, प्रसंस्करण के लिए आलू की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है लेकिन बात अगर भारत की जाए तो यहां पर सालाना उत्पादित हो रहे आलू में मात्र 2 प्रतिशत से भी कम आलू खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में उपयोग हो पा रहा है। अमेरिका अपने कुल वार्षिक आलू उत्पादन का 60 प्रतिशत, नीदरलैंड 47 प्रतिशत और चीन 22 प्रतिशत खाद्य प्रसंस्करण में उपयोग कर रहा है। आलू की सम्भावनाओं को देखते हुए, आलू की उन्नत खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है भारत में भी आलू की बड़े क्षेत्रफल में खेती की जाती है।

जलवायु : आलू की अच्छी पैदावार के लिए शीत जलवायु की आवस्यकता होती है आलू की वृद्धि और विकास के लिए 15 से 25 डिग्री, इसके अंकुरण के लिए 25 डिग्री, वनस्पति तरक्की के लिए 20 डिग्री और कन्द के विकास के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, 33 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर आलू की खेती प्रभावित होती है, आलू का विकास रुक जाता है।

भूमि : आलू की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। परन्तु अच्छे उत्पादन के लिए जीवांशयुक्त और भुरभरी और जल निकासी वाली भूमि उपयुक्त मानी जाती है इसके साथ साथ बलुई दोमट और दोमट मिट्टी भी आलू की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है आलू की खेती के ले मिट्टी की अम्लीय और क्षारीय क्षमता पीएच मान 5.1 से 6.7 तक उपयुक्त माना  जाता है

खेत की तैयारी  : खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। उसके साथ साथ 3 से 4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करें मिट्टी को भुरभुरा बना लें क्योंकि आलू मिट्टी की फसल होती है। जितनी भूमि की जुताई होगी उतनी ही आलू की पैदावार अच्छी होगी खेत को समतल करने के लिए पत्ता लगाना ना भूले

बीज बुवाई : बीज या तो सरकारी संस्थाओं से खरीदें या फिर विश्वसनीय एजेंसियों से ही प्राप्त करें, आलू की बुवाई के लिए 30 से 45 ग्राम वाले अच्छे अंकुरित बीज का उपयोग करना चाहिए।  समान्यत: आलू की 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है आलू बीज को बुवाई से पहले उपचारित करना अति आवश्यक है, इसके लिए 3 ग्राम डाइथेन एम 45 या 2 ग्राम बाविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज को पानी के घोल में 30 मिनट तक डुबो कर रखें और छाया में सुखाकर बुवाई करें।
आलू की अगेती किस्मों की बुआई का उपयुक्त समय 1 से 20 सितंबर और सामान्य किस्मों का 10 से 15 अक्टूबर होता है लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर और आलू से आलू की दूरी उसके बीज के आकार पर निर्भर होती है। छोटी आलू के लिए 15 और बड़े के लिए 40 सेंटीमीटर उपयुक्त रहती है मेड़ों में आलू 8 से 10 सेंटीमीटर नीचे छोड़े

जल और खाद प्रबंधन 

  • आलू की फसल में सिंचाई आवश्यकतानुसार करें, आमतौर पर 8 से 10 सिंचाई होती है, पहली सिंचाई बुवाई के 10 से 15 दिन बाद करें और खुदाई के 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।
  • आलू की अच्छी पैदावार के लिए बुवाई से पहले जुताई करते समय 150 से 200 टन गोबर की खाद मिट्टी में मिलायें, इसके साथ 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 120 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है, खाद की पूरी मात्रा बीज बुआई से पहले दें

खरपतवार नियंत्रण : आलू की बुवाई के 20 से 25 दिन बाद मेड़ों के बीच खुरपी, क्सोला, फावड़ा या अन्य यंत्र से निराई गुड़ाई करें, जिसे खरपतवार फसल को प्रभावित न करे और दूसरी निराई गुड़ाई में आलू के पौधों को मिट्टी चढ़ायें, यदि आप खरपतवार पर कीटनाशक से नियंत्रण चाहते है तो पेंडीमिथालिन 30 प्रतिशत 3.5 लीटर का 900 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 2 दिन तक प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर सकते हैं। जिसे खरपतवार का जमाव ही नहीं होगा।

फसल की खुदाई और पैदावार  

  • आलू की फसल की खुदाई से पहले यह सुनिश्चित कर लें की किस्म कौन सी है और पकने का समय क्या है, या फिर अच्छे भाव के लिए आप 8 से 10 दिन पहले भी खुदाई कर सकते हैं।
  • आलू की पैदावार किस्म और समय पर निर्भर करती है वैसे आमतौर पर 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सामान्य किस्म की पैदावार होनी चाहिए।
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