फसल की खेती (Crop Cultivation)

पोषक तत्वों की कमी से मक्का में होने वाले प्रमुख रोग

लेखक: डॉ. रतन लाल सोलंकी, मृदा वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, चितौडग़ढ़

12 अगस्त 2024, भोपाल: पोषक तत्वों की कमी से मक्का में होने वाले प्रमुख रोग – लक्षणों के आधार पर पोषक तत्वों की न्यूनता को पहचानना कठिन हो जाता है, क्योंकि विपरीत वातावरण, रोग-कीट आदि से उत्पन्न होने वाली व्याधियों के कुछ लक्षण इनसे मिलते-जुलते हैं। अतएव खेत में दिखाई पडऩे वाले इन लक्षणों के आधार पर पोषक तत्वों की न्यूनता को पादप विश्लेषण, रासायनिक ऊतक परीक्षण या मृदा परीक्षण से सत्यापित कर लेना चाहिए।

नाइट्रोजन की कमी

नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां छोटी व हल्के रंग की हो जाती हैं। पीलापन पत्तियों के सिर की ओर से प्रारंभ होकर टी आकार बनाता है। पत्तियां नीचे की तरफ सूखकर मटमैले रंग की हो जाती हंै और सूखापन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ता है। सूखा पडऩे के लक्षण बलुई मिट्टी में बढ़ सकते हैं।
नियंत्रण:- यदि आवश्यक मात्रा में उर्वरक कम प्रयोग किया गया है तो उस समय तक प्रतीक्षा करें जब तक कि मौसम कुछ साफ होकर कुछ गरम न हो जाये। इससे नाइट्रोजन पौधों को मिल जायेगा। यदि नाइट्रोजन की कमी है तो यूरिया पौधों के साथ पंक्ति में डालें इससे पौधे शीघ्र ही पुन: हरे हो जायेंगे।

फॉस्फोरस की कमी

फॉस्फोरस की कमी से पौधों की पत्तियां गहरे हरे रंग की हो जाती हैं। पत्तियों के सिरे और किनारे लाल हो जाते हैं पौधे की वृद्धि धीमी पड़ जाती है और इनकी जड़ें कम निकलती हंै।
नियंत्रण:– यदि मृदा परीक्षण द्वारा खेत में फॉस्फोरस की उचित मात्रा पायी गयी है, तो शुष्क और गर्म मौसम की प्रतीक्षा करें। बुवाई के समय यदि फॉस्फोरस की मात्रा नहीं दी गयी तो 40-60 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पौधों के साथ पंक्तियों में दिया जा सकता है।

पोटेशियम की कमी

पोटाश की कमी से पौधा एवं उसकी गांठ छोटी रह जाती है। नीचे की पत्तियों के किनारे शुरू में पीले और बाद में गहरे भूरे रंग के होकर सूखने लगते हैं। इसे झुलसन कहते हैं।
नियंत्रण:- पोटेशियम की कमी को अगले वर्ष दूर करने की योजना बनायें। जबकि 18 इंच के पौधों में यह लक्षण दिखाई दे तो 40-60 किलोग्राम पोटेशियम ऑक्साइड प्रति हेक्टर की दर से पंक्तियों में दिया जा सकता है।

जस्ता की कमी

शुरू में पत्तियों पर हल्की धारियां पायी जाती हैं जो कि बाद में सफेद या पीली पत्तियों में बदल जाती है। यह पत्तियां पत्ती के बीच से लेकर आधार तक प्राय: पूरी चौड़ाई में होती हैं इसे श्वेत कलिका रोग कहते हैं।
नियंत्रण:– जिंक की कमी होने पर 2.5 किग्रा जिंक सल्फेट और 5 किग्रा यूरिया के छिड़काव से इसकी कमी को दूर किया जा सकता है। नई पत्तियों में शीघ्र हरा रंग पैदा हो जाता है।

मैगनीशियम की कमी

मैग्नीशियम की कमी से पौधों की नीचे वाली पत्तियों में सफेद या पीली धारियां पैदा हो जाती हंै। ये धारियां शिराओं के बीच में फैल सकती है किन्तु शिरायें हरी बनी रहती हंै। बाद में पुरानी पत्तियां लाल हो जाती हैं और अधिक अवस्था में सिरे व किनारे भर भी सकते हंै। छोटी पौध में ऊपर की सभी पत्तियां पीली पड़ जाती हंै।
नियंत्रण:- 10 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट 100 गैलन पानी में पत्तियों पर छिड़काव करने से भी पौधों को पर्याप्त मैग्नीशियम मिल जाता है।

कैल्शियम की कमी

मक्का में कैल्शियम की कमी प्राय: कम ही दिखाई देती है। ऐसे पौधों की पत्तियां ठीक से खुुल नहीं पाती और सीढ़ी के समान एक-दूसरे से लिपटी रहती हैं। रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले हरे रंग की हो जाती हैं।

गन्धक की कमी

गन्धक की कमी से पौधों में बौनेपन के लक्षण पाये जाते हैं। ऐसे पौधों में सामान्य रूप से पीलेपन के लक्षण भी पाये जाते हैं। और ऐसे पौधे देर से परिपक्व होते हैं। पीलापन नाइट्रोजन की अपेक्षा नई पत्तियों में अधिक होता है।

लोहा की कमी

पौधे की नई पत्तियां शिराओं के बीच में और किनारों पर पीले हरे से सफेद रंग की होती हंै। यह लक्षण क्षारीय मृदा को छोड़कर अन्य दशाओं में प्राय: बहुत कम दिखायी पड़ते हैं। मक्का में लोहा की आवश्यकता कम होती है।

मैगनीज की कमी

मक्का में कम मैगनीज की आवश्यकता के कारण इसके लक्षण अस्पष्ट होते हंै। पत्तियां गहरे रंग की और थोड़ा धारीयुक्त हो जाती हंै। उस अवस्था में पत्तियों में सफेद धारियां दिखाई पड़ती हैं। जिसका मध्य भाग भूरा पड़ जाता है।

तांबा की कमी

तांबा की कमी से पत्तियां पहले पीली पड़ती हैं। उग्र रूप से न्यूनतायुक्त पौधे पोटेशियम के समान बौने रह जाते हंै, नई पत्तियां पीली हो जाती हैं और अपेक्षाकृत पुरानी पत्तियों में शीर्षरम्मी क्षय हो जाता है। ग्रसित पौधों के तने नरम और लचीले हो जाते हैं।

बोरोन की कमी

मक्का में पोषक की कमी के लक्षण बहुत ही कम अवस्थाओं में देखे गये हैं। शुरू के पौधों की नई पत्तियों पर शिराओं के बीच में सफेद, अनियंत्रित आकार के धब्बे पाये जाते हैं। ये धब्बे आपस में मिलकर सफेद धारी का रूप ले लेते हैं। इन पौधों की पोरियों की लम्बाई नहीं बढ़ती।

जिंक की कमी

नई पत्तियों के निचले आधे भाग पर सफेद अथवा पीले रंग की धारियां या पट्टियां बनती हैं (सफेद कलिका रोग)। पौधों की बढ़वार रूक जाती है।
पूर्ति के साधन:- जिंक सल्फेट, जिंक कीलेट्स, कार्बनिक खादें।

मॉलिबेडनम की कमी

पुरानी पत्तियां सिरे की ओर किनारे से मरना प्रदर्शित करती हैं और अंत में शिराओं के बीच-बीच में भी मर जाती हंै। नई पत्तियां मुरझा जाती हैं। कुछ दशाओं में ऐसे पौधों मरोड़ खा जाते हैं।
इस प्रकार किसान भाई मक्का के पौधे पर पोषक तत्व की कमी से दिखने वाले लक्षण को पहचान कर सम्बंधित पोषक तत्व के उर्वरक को प्रयोग कर मक्का का अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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