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फसल की खेती (Crop Cultivation)

सोयाबीन के खेतों में पत्ती खाने वाली इल्लियाँ, सफेद मक्खी एवं तना छेदक कीट सक्रिय – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की जरूरी सलाह

29 जुलाई 2025, नई दिल्ली: सोयाबीन के खेतों में पत्ती खाने वाली इल्लियाँ, सफेद मक्खी एवं तना छेदक कीट सक्रिय – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की जरूरी सलाह – इस खरीफ मौसम में कई सोयाबीन क्षेत्रों के खेतों में पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली, चने की इल्ली), साथ ही रस चूसने वाले कीट जैसे सफेद मक्खी और तना छेदक कीट (तना मक्खी, चक्र भृंग) की सक्रियता देखी जा रही है। ये कीट झुंड में फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे उत्पादन पर गंभीर असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है।

कीटों के लक्षण और फसलों पर प्रभाव

किसानों ने खेतों में पत्तियाँ छिलती, सूखती और झड़ती हुई देखी हैं। सफेद मक्खी की मौजूदगी के कारण पौधे कमजोर और पीले पड़ने लगे हैं। तना छेदक कीट की वजह से तने कमजोर होकर टूटने लगे हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक रही है। अगर तत्काल नियंत्रण न किया गया तो फसल को भारी नुकसान होगा।

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राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की अनुशंसित कीटनाशक

इन कीटों के समेकित प्रकोप को रोकने और फसल की रक्षा के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करें:

  • थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. – 125 मिली/हेक्टेयर
  • बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड – 350 मिली/हेक्टेयर
  • क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.60% जेड.सी. – 200 मिली/हेक्टेयर
  • इंडोक्साकार्ब 15.80% ई.सी. – 333 मिली/हेक्टेयर

नियंत्रण के लिए जरूरी कदम

किसानों को फसलों की लगातार निगरानी करनी चाहिए और तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव के दौरान उचित सुरक्षा उपकरण पहनना आवश्यक है। साथ ही, बार-बार एक ही कीटनाशक का इस्तेमाल न करें ताकि कीटों में रसायन प्रतिरोध विकसित न हो।

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