फसल की खेती (Crop Cultivation)

Kharif MSP 2025: गैर बासमती धान में सबसे कम बढ़ोतरी, अच्छे लाभ के लिए इन फसलों पर किसान करें विचार

04 जून 2025, नई दिल्ली: Kharif MSP 2025: गैर बासमती धान में सबसे कम बढ़ोतरी, अच्छे लाभ के लिए इन फसलों पर किसान करें विचार – केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों पर समिति (CCEA) ने बीते 28 मई को 2025-26 के खरीफ सीजन के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढोतरी को मंजूरी दी है.  हालांकि इस बार भी गैर बासमती धान की एमएसपी में सबसे कम वृद्धि देखने को मिली है. इसके चलते इस फसल से जुड़े किसानों के सामने कम लाभ की स्थिति बनी रह सकती है. कृषि विशेषज्ञ अब ऐसे किसानों को विकल्प के तौर पर उन फसलों की ओर रुख करने की सलाह दे रहे हैं, जिनमें एमएसपी के साथ-साथ लाभ का मार्जिन भी अधिक है. 

धान की MSP में मामूली बढ़ोतरी

कृषि मंत्रालय के अनुसार, सामान्य धान का एमएसपी 2024-25 में ₹2300 प्रति क्विंटल था, जिसे अब बढ़ाकर ₹2369 किया गया है. यानी केवल ₹69 की वृद्धि हुई है. ग्रेड-ए धान में भी महज ₹69 की बढ़ोतरी हुई है. धान की लागत ₹1579 मानी गई है, जिस पर सरकार ने 50% का लाभ मार्जिन जोड़ा है.

गैर बासमती धान की एमएसपी में कम वृद्धि के कई कारण हैं. धान की खेती में अत्यधिक पानी की खपत होती है. इसके अलावा, सरकार वित्तीय संतुलन बनाए रखने और कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तिलहन और नकदी फसलों को बढ़ावा देना चाहती है.

किस फसल में कितनी बढ़ोतरी?

फसल2013-142020-212021-222022-232023-242024-252025-26लागत KMS 2025-26लागत पर मार्जिन (%)वृद्धि 2024 की तुलना में
धान, सामान्य131018681940204021832300236915795069
ग्रेड ए134518881960206022032320238969
अरहर4300600063006600700075508000503859450
मूंग450071967275775585588682876858455086
उड़द4300600063006600695074007800511453400
मूंगफली4000527555505850637767837263484250480
सूरजमुखी3700588560156400676072807721517450441
सोयाबीन2560388039504300460048925328355250436
तिल4500685573077830863592679846656450579
रामतिल3500669569307287773487179537635850820
कपास मीडियम3700551557266080662071217710514050589
लांग स्टेपल4000582560256380702075218110589
रागी1500329533773578384642904886325750596

दलहन-तिलहन: लाभ का बेहतर विकल्प

सबसे ज्यादा MSP की बडत रामतिल में देखी गई है 820 रुपये प्रति क्विंटल. वहीं तिल, रागी और कपास जैसी फसलों में भी 500 रुपये से ज्यादा की बडत दर्ज की गई है. ये आंकड़े यह संकेत देते हैं कि किसानों को दलहन, तिलहन और पोषक अनाजों की खेती पर अधिक ध्यान देना चाहिए.

तिलहन की खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी हो रही है, बल्कि पोषण और खाद्य तेल के स्रोत के रूप में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. अरहर, मूंग और उड़द जैसे दलहनों की कीमतों में भी ठोस वृद्धि हुई है, जो रबी सीजन तक बाजार में अच्छी कीमतें बनाए रख सकती हैं.

नकदी फसलें भी विकल्प

कपास, सोयाबीन और मूंग जैसी नकदी फसलों की एमएसपी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. कपास के मध्यम किस्म की कीमत 7710 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है, जबकि सोयाबीन की कीमत 5328 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. यह संकेत है कि जो किसान बाजार में मांग और मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं, उनके लिए ये फसलें बेहतर विकल्प हो सकती हैं.

मूंग का उत्पादन 75 से 90 दिनों की अवधी में होता है, जिससे किसानों को त्वरित लाभ की उम्मीद रहती है. दूसरी, और कपास का व्यावसायिक महत्व है जिससे इसकी मांग बनी रहती है इसका उत्पादन 140 से 150 दिनों के भीतर होता है. जिससे किसानों को त्वरित लाभ की उम्मीद रहती है.

क्या करें किसान?

  • सरकार की मौजूदा नीति और एमएसपी के आंकड़ों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि गैर बासमती धान की खेती पर निर्भर रहना इस वर्ष लाभकारी नहीं होगा. किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे:
  • बाजार की मांग और लागत लाभ अनुपात को ध्यान में रखते हुए नकदी फसलों की खेती का चयन करें.
  • जल संरक्षण और पोषण को प्राथमिकता देने वाली फसलों की ओर बढ़ें.
  • तिलहन और दलहन फसलों पर ध्यान दें जिनकी एमएसपी में संतोषजनक वृद्धि हुई है.

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