Kharif MSP 2025: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सबसे कम कमाई वाली फसलें
02 जून 2025, भोपाल: Kharif MSP 2025: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सबसे कम कमाई वाली फसलें – केंद्र सरकार ने हाल ही में 2025-26 विपणन सीजन के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. इस घोषणा का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है. सरकार ने सभी 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है, जिसमें रामतिल (820 रुपये/क्विंटल), रागी (596 रुपये/क्विंटल), कपास (589 रुपये/क्विंटल), और तिल (579 रुपये/क्विंटल) में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है. हालांकि, कुछ फसलों का एमएसपी अपेक्षाकृत कम है, जिसका असर मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों की आय पर पड़ सकता है, जहाँ ये फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं.
सबसे कम एमएसपी वाली फसलें
2025-26 के लिए खरीफ फसलों की एमएसपी सूची में धान, मक्का, और बाजरा सबसे कम एमएसपी वाली फसलें हैं. निम्नलिखित तालिका इन फसलों के एमएसपी को दर्शाती है:
फसल | एमएसपी 2025-26 (रुपये/क्विंटल) |
धान (साधारण) | 2369 |
धान (ग्रेड ए) | 2389 |
मक्का | 2400 |
बाजरा | 2775 |
ज्वार (हाइब्रिड) | 3699 |
ज्वार (मालदंडी) | 3749 |
इन फसलों का एमएसपी अन्य खरीफ फसलों, जैसे सोयाबीन (5328 रुपये/क्विंटल), अरहर (8000 रुपये/क्विंटल), उड़द (7800 रुपये/क्विंटल), या मूंग (8768 रुपये/क्विंटल) की तुलना में काफी कम है. यह कम एमएसपी मध्य प्रदेश के उन किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो इन फसलों पर निर्भर हैं.
मध्य प्रदेश में इन फसलों का महत्व
मध्य प्रदेश में खरीफ फसलों का कुल क्षेत्र 104 लाख हेक्टेयर है, जिसमें सोयाबीन सबसे अधिक 58 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है (मध्य प्रदेश कृषि विभाग). धान भी एक प्रमुख फसल है, जिसे 3441 हजार हेक्टेयर में बोया जाता है, और इसका उत्पादन 12502 हजार मीट्रिक टन है. मक्का और बाजरा भी महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से जिलों जैसे श्योपुर में, जहाँ बाजरा 22.60 हजार हेक्टेयर में बोया जाता है, और पन्ना में, जहाँ धान 75,660 हेक्टेयर में उगाया जाता है (पन्ना जिला). ज्वार, हालांकि कम क्षेत्र में उगाया जाता है, फिर भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है.
आय पर प्रभाव
सरकार ने एमएसपी को सभी भारतीय औसत उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना तय किया है, जिससे लागत पर 50% से 63% का मार्जिन सुनिश्चित होता है. उदाहरण के लिए, बाजरा का मार्जिन 63%, मक्का का 59%, और अरहर व उड़द का क्रमशः 59% और 53% है. फिर भी, कम एमएसपी वाली फसलों से होने वाली कुल आय उच्च एमएसपी वाली फसलों की तुलना में कम हो सकती है. उदाहरण के लिए, सोयाबीन, जो मध्य प्रदेश में सबसे अधिक लाभकारी फसलों में से एक है, प्रति एकड़ 40,000 से 50,000 रुपये की आय दे सकती है (भारतएग्री ज्ञान). इसके विपरीत, धान, मक्का, और बाजरा की कम एमएसपी के कारण आय सीमित हो सकती है.
अन्य फसलों की तुलना
मध्य प्रदेश में सोयाबीन, कपास, और दालें जैसे अरहर, उड़द, और मूंग उच्च एमएसपी के कारण अधिक लाभकारी हैं. उदाहरण के लिए:
फसल | एमएसपी 2025-26 (रुपये/क्विंटल) |
सोयाबीन | 5328 |
अरहर | 8000 |
उड़द | 7800 |
मूंग | 8768 |
कपास (मीडियम) | 7710 |
ये फसलें न केवल उच्च एमएसपी प्रदान करती हैं, बल्कि मध्य प्रदेश में बड़े क्षेत्रों में उगाई भी जाती हैं. उदाहरण के लिए, खरगोन जिले में कपास 2.15 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है (खरगोन जिला).
किसानों के लिए सुझाव
मध्य प्रदेश के किसानों को अपनी फसल चक्र योजना बनाते समय एमएसपी स्तरों पर विचार करना चाहिए. उच्च एमएसपी वाली फसलों, जैसे सोयाबीन या दालों, की खेती से आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है. साथ ही, सरकार की ओर से अतिरिक्त समर्थन, जैसे बेहतर बीज, उर्वरक सब्सिडी, या बाजार सुविधाएँ, कम एमएसपी वाली फसलों की लाभप्रदता को बढ़ा सकती हैं. किसान उन्नत तकनीकों, जैसे “रिज और फरो मेथड” या “फेरोमोन ट्रैप”, को अपनाकर भी अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं, जैसा कि खरगोन जिले में देखा गया है.
नीतिगत दृष्टिकोण
सरकार की एमएसपी बढ़ाने की पहल प्रशंसनीय है, विशेष रूप से रामतिल, रागी, कपास, और तिल जैसी फसलों के लिए, जिनमें सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है. हालांकि, धान, मक्का, और बाजरा जैसी फसलों के लिए, जो मध्य प्रदेश में व्यापक रूप से उगाई जाती हैं, अतिरिक्त नीतिगत हस्तक्षेप आवश्यक हो सकते हैं. इनमें बेहतर खरीद प्रणाली, भंडारण सुविधाएँ, या इन फसलों के लिए एमएसपी में और वृद्धि शामिल हो सकती है.
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए धान, मक्का, और बाजरा जैसी कम एमएसपी वाली फसलें कम आय प्रदान कर सकती हैं, खासकर जब इनकी तुलना सोयाबीन, कपास, या दालों से की जाए. हालांकि सरकार ने सभी फसलों के लिए लाभकारी एमएसपी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है, फिर भी किसानों को अपनी आय अधिकतम करने के लिए फसल चयन में रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना होगा. भविष्य में, इन फसलों के लिए अतिरिक्त समर्थन नीतियाँ मध्य प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकती हैं.
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