Crop Cultivation (फसल की खेती)

बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग कर उत्पादन बढ़ायें

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  • सतबीर सिंह जाखड़
    बीज विज्ञान एवं तकनीकी विभाग , सुनील कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र, सिरसा
  • अनिल कुमार मलिक, विस्तार शिक्षा विभाग
    चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

31 दिसंबर 2021, बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग कर उत्पादन बढ़ायें – बीज, खाद, सिंचाई तथा कीटनाशी आदि खेती में काम आने वाले संसाधनों में बीज सबसे जरूरी है क्योंकि अगर किसान अच्छी किस्म का शुद्ध बीज नहीं डालेगा तो सभी संसाधनों पर लगाये हुये पैसे व मेहनत का पूरा मुनाफा कभी नहीं मिलेगा। उन्नतशील किस्मों की पूर्ण क्षमता का दोहन करने के लिए उत्तम बीज एक आधारभूत आवश्यकता हो जाती है। अन्यथा इन किस्मों के संचित गुणों में कमी आती जाती है तथा वह अपने गुणों को छोड़ देती है। अनुसंधानों से पता चला है कि अधिक उपज देने वाली किस्मों के बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करके कृषि उत्पादन लगभग 15-20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। उत्तम बीज के लक्षण निम्नलिखित हैं:-

आनुवांशिक शुद्धता

बीज में अपनी किस्म/प्रजाति के अनुरूप आकार, प्रकार, रूप, रंग व भार के सभी लक्षण होने पर ही बीज को आनुवांशिक रूप से शुद्ध माना जाता है।
भौतिक शुद्धता: भौतिक रूप से शुद्ध बीज में खरपतवार व अन्य फसलों के बीज नहीं होने चाहिए क्योंकि यह अशुद्धता कम पैदावार का कारण बनती है। सामान्य तौर पर भौतिक शुद्धता 98 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए।

जमाव क्षमता व ओज

उत्तम बीज का दूसरा लक्षण उसकी उच्च जमाव क्षमता व ओज का होना होता है जिसका खेत में उगे पौधों की संख्या बढ़वार और अन्तत: पैदावार से सीधा सम्बंध होता है। बीज की जमाव क्षमता प्रतिशत निर्धारित मात्रा से कम नहीं होनी चाहिए।

नमी की मात्रा

बीज में नमी की उपयुक्त मात्रा का होना अति आवश्यक है अगर बीज में नमी निर्धारित मात्रा से अधिक हो तो भण्डारण के दौरान बीज की जमाव शक्ति व ओज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

बीज स्वास्थ्य

रोग व कीटों से क्षतिग्रस्त बीज का जमाव व ओज घट जाता है तथा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी क्षीण हो जाती है अंतत: उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

स्वस्थ बीज एवं काला बिन्दु रोगग्रस्त बीज करनाल बन्ट रोगग्रस्त बीज

किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बीज वृद्धि को निम्नलिखित तीन चरणों में किया जाता है:-

प्रजनक बीज (ब्रीडर सीड): यह बीज की वह श्रेणी है जो किस्म बनाने वाले प्रजनक (वैज्ञानिक) द्वारा थोड़ी मात्रा में ही पैदा की जाती है। इसे किस्म बनाने वाले वैज्ञानिक या उसी संस्थान जैसे कृषि विश्वविद्यालय या कृषि संस्थान द्वारा तैयार किया जाता है। इस श्रेणी का बीज आनुवांशिकता के आधार पर 100 प्रतिशत शुद्ध व सबसे महंगा होता है व आधार बीज बनाने के काम आता है। इसकी थैली पर सुनहरे पीले रंग का लेबल होता है जिस पर फसल एवं किस्म के बीज परीक्षण के विवरण के साथ प्रजनक के हस्ताक्षर होते हैं। यह बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाता बल्कि एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम द्वारा इसका निरीक्षण (मॉनीटरिंग) किया जाता है।

प्रजनक बीज का लेबल, आधार बीज का टैग एवं प्रमाणित बीज का टैग

आधार बीज (फाउंडेशन सीड): यह श्रेणी प्रजनक बीज द्वारा तैयार की जाती है व आनुवांशिकता के आधार पर ज्यादातर फसलों में 99 प्रतिशत शुद्धता होती है। राष्ट्रीय बीज निगम के विशेषज्ञों के कड़े निरीक्षण में सरकारी फार्मों, प्रयोग क्षेत्रों, कृषि विश्वविद्यालयों या निपुण बीज उत्पादकों द्वारा आधार बीज को तैयार किया जाता है। आधार बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं द्वारा निरीक्षण एवं अनुमोदित किया जाता है। आधार बीज की थैलियों पर इसकी उत्पादक संस्था का हरे रंग का लेबल एवं बीज प्रमाणीकरण का सफेद रंग का टैग लगा होता है जिस पर विवरण के साथ संस्था के प्रतिनिधि के हस्ताक्षर होते हैं।

प्रमाणित बीज (सर्टिफाइड सीड): प्रमाणित बीज आधार बीज की संतति से उत्पादित किया जाता है तथा इस प्रकार से देखरेख एवं रखरखाव किया जाता है कि बीज की आनुवांशिकी पहचान एवं शुद्धता प्रस्तावित प्रमाणीकरण मानक फसल के अनुसार हो जिसे प्रमाणित किया जाता है। यह बीज विभिन्न सरकारी संस्थानों, कृषि अनुसंधान संस्थानों, बीज निगमों तथा गैर सरकारी (प्राईवेट) बीज संस्थाओं द्वारा तैयार किया व बेचा जाता है। प्रमाणित बीज प्रमाणीकृत बीज की संतति भी हो सकती है यदि उसका जनन काल आधार बीज को मिलाकर तीन संतति से ज्यादा न हो।

सच्चे नामपत्रित बीज: बीज प्रमाणीकरण के लिए केवल वही किस्में योग्य होती हैं, जो की बीज एक्ट 1966 की धारा 5 के अनुसार अधिसूचित होती हैं। लेकिन जो किस्में अधिसूचित नहीं होती तथा किसानों में जिनकी मांग होती है, उनका सच्चे नामपत्रित बीज का उत्पादन किया जाता है। इसका उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख के बिना ही बीज उत्पादन संस्था द्वारा किया जाता है। ऐसे बीज की पैकिंग पर बीज उत्पादन संस्था द्वारा हरे रंग का लेबल लगाया जाता है जिस पर बीज परीक्षण विवरण के साथ उत्पादक संस्था के प्रतिनिधि के हस्ताक्षर होते हैं।

सच्चे नामपत्रित बीज (ट्रूथफुली लेबल्ड सीड) का लेबल

बीज वृद्धि के दौरान किस्मों की आनुवांशिकी शुद्धता में गिरावट के लिए दोषी कारक व अनुरक्षण के उपाय:-

  • विकासात्मक परिवर्तन को कम करने के लिए बीज फसल को उस क्षेत्र में ही लगाना चाहिए जिस क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।
  • किस्मों की आनुवांशिकी शुद्धता की कमी के लिए यांत्रिक मिश्रण बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होता है। मिश्रण को कम करने के लिए खेत से अन्य पौधों को निकालना (अन्य किस्म), कटाई एवं संग्रहण आदि के समय ध्यान रखना अत्यधिक आवश्यक है।
  • किस्मों के ह्रास के लिए उत्परिवर्तन उतना महत्वपूर्ण कारक नहीं है क्योंकि सूक्ष्म (गौण) उत्परिवर्तन की अभिन्नता की पहचान करना बहुत ही मुश्किल है। ऐसा उत्परिवर्तन जो आंखों के द्वारा देखा जा सकता हो, उसको खेत से तुरन्त निकाल दें। अवांछनीय पौधों को बीज खेत से निकालते रहने से बीज फसल में उत्परिवर्तन से होने वाले ह्रास को काफी हद तक रोका जा सकता है।
  • पर-परागित फसलों में स्व-परागित फसलों की तुलना में प्राकृतिक संकरण प्राय: ज्यादा पाया जाता है। प्राकृतिक संकरण के द्वारा बीज में कितनी आनुवांशिकी अशुद्धता हो सकती है यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है:- किस्म की प्रजनन प्रणाली; अलगाव दूरी; किस्मों का समूह एवं परागण करने वाले कारक वांछनीय अलगाव उपलब्ध करवाने से प्राकृतिक संकरण से संदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • नयी फसल किस्में कभी-कभी बीमारियों की अन्य कई प्रजातियों के लिए सुग्राही हो जाती है और इस प्रकार वह बीज उत्पादन कार्यक्रम से निकाल दी जाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि बीज उत्पादन के समय बीमारी रहित बीजों का उत्पादन किया जाये।
  • आवश्यक आनुवंशिकी गुणों से रहित किस्म कुछ लक्षणों के लिए भिन्नता दर्शाने लगती है। ये परिवर्तन वातावरण के अनुकूलन से समाप्त हो सकते हैं, फिर भी इनसे हानि या लाभ हो सकते हैं। अत: इनका विशेष ध्यान रखना जरूरी है।

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