क्षेत्रवार गेहूं की उन्नत किस्में: आपके खेत के लिए सही चयन
आईसीएआर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल
18 नवंबर 2024, नई दिल्ली: क्षेत्रवार गेहूं की उन्नत किस्में: आपके खेत के लिए सही चयन – धान की देर से कटाई और तापमान में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इस वर्ष नवंबर के प्रथम सप्ताह तक पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 93% बुआई पूरी हो चुकी है। अब तापमान गेहूं की समय पर बुआई के लिए उपयुक्त हो गया है। देशभर में बुआई तेज़ी से हो रही है, और किसान समय, श्रम, तथा बीज बचाने के लिए मशीन से बुआई को प्राथमिकता दे रहे हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि अधिक उपज प्राप्त करने के लिए वे बुआई के समय और स्थिति के आधार पर बहुत सावधानी से किस्मों का चयन करें। बीज किसी विश्वसनीय स्रोत से खरीदना चाहिए।
उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में समय पर, देर से, बहुत देरी से बुआई के लिए गेहूं की किस्में
किस्म | उत्पादन स्थितियाँ | |
समय पर बोई जाने वाली किस्में | ||
डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3406, पीबीडब्ल्यू 826, पीबीडब्ल्यू 3226, एचडी 3086 डब्ल्यूएच 1105 | सिंचित, समय पर बोया गया (20 नवंबर तक) | एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ भाग, पश्चिम यूपी |
डीबीडब्ल्यू 187, पीबीडब्ल्यू 826, एचडी 3411, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3086, के 1006 | एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड | |
डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, एचआई 1636, एमएसीएस 6768, जीडब्ल्यू 366 | सीजेंड: एमपी, गुजरात, राजस्थान | |
डीबीडब्ल्यू 168, एमएसीएस 6478, यूएएस 304, एमएसीएस 6222 | पीजेडः महाराष्ट्र, कर्नाटक | |
देर से बोई जाने वाली किस्में | ||
261, पीबीडब्ल्यू 752 | ||
एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336 | सीजेडः एमपी, गुजरात, राजस्थान | |
बहुत देर से बोई जाने वाली किस्में | ||
एचडी 3271, एचआई 1621, डब्ल्यूआर 544 | सिंचाई बहुत देर से बुवाई (25 दिसंबर से आगे) | सभी जोन |
बुआई का समय, बीज दर और उर्वरक प्रयोगः भारत में गेहूं की फसल विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों और उत्पादन स्थितियों में उगाई जाती है। बुआई के समय में क्षेत्र दर क्षेत्र और अलग-अलग उत्पादन परिस्थितियों में थोड़ा अंतर होता है।
गेहूं की फसल के लिए क्षेत्रवार बुआई बीज दर एवं उर्वरक की मात्रा
क्षेत्र | बुआई की स्थिति | बीज दर | उर्वरक की खुराक और प्रयोग का समय |
एनडब्ल्यूपीजेड और एनईपीजेड | सिंचित, समय पर बोया गया | 100 किग्रा/ हेक्टर | 150:60:40 किया एनपीके हे (बुवाई के समय बेसल के रूप में 1/3 एन और पूर्ण पी और के और शेष एन को पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में विभाजित करें) |
सिचित, देर से बोया गया | किया/हैक्टर 125 | 120:60:40 किग्रा एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में) | |
सिचित, देर से बोया गया | 125 किया/हैक्टर | 90:60:40 किया एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर आगाँ में) |
किसानों के लिए सुझाव:
- लागत कम करने और जल बचाने के लिए समय पर सिंचाई करें।
- अधिक उपज के लिए बुआई के समय और स्थिति के अनुसार सावधानीपूर्वक किस्मों का चयन करें।
- विश्वसनीय स्रोतों से ही बीज खरीदें।
- समय पर बुआई करें और देरी से बचें ताकि फसल परिपक्वता के समय गर्मी के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सके।
- अपने क्षेत्र के अनुसार सर्वोत्तम उपयुक्त किस्म का चयन करें।
- अधिक उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का इष्टतम उपयोग करें।
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