Crop Cultivation (फसल की खेती)

मौसम पूर्वानुमान का फसल प्रबंधन में महत्व

Share
  • श्रुति वी सिंह
    विषय वस्तु विशेषज्ञ, मौसम विज्ञान
  • डॉ. अशोक राय
    विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि प्रसार
  • डॉ. टी. एन. राय
    विषय वस्तु विशेषज्ञ, मृदा विज्ञान
  • अशोक कुमार
    आब्जर्वर, मौसम विज्ञान
    कृषि विज्ञान केन्द्र, सरगटिया, कुशीनगर

6 जुलाई 2022, मौसम पूर्वानुमान का फसल प्रबंधन में महत्व – मौसम निश्चित रुप से फसलों की सफलता या विफलता का निर्धारण करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। मौसम के वर्तमान और पिछले मौसम की स्थिति का मूल्यांकन करके भविष्य में संभावित मौसम के बारे में पहले ही बता देने को ही मौसम पूर्वानुमान कहते हैं। भारत में ज्यादातर भूमि कृषि में उपयोग की जाती है, वह वर्षा पर निर्भर करती है। कृषि का उत्पादन किसी ऋतु में हुए वर्षा तथा दो ऋतुओं के बीच की वर्षा की विविधता पर निर्भर करती है। इसीलिए हमें एक निर्बाध पूर्वानुमान प्रणाली की आवश्यकता है जो कृषि जरुरतों के अनुसार छोटी से लम्बी अवधि तक पूर्वानुमान दे सकें। मौसम पूर्वानुमान कुछ घंटों से लेकर महीना, ऋतु (पूरे फसल मौसम तक) का होता है। मौसम पूर्वानुमान का वर्गीकण इसकी वैद्यता तथा अवधि के आधार पर किया जाता है।

मौसम के पूर्वानुमान की जरूरत

भारत में असामान्य मौसम की स्थिति के कारण फसल उत्पादन में नुकसान काफी अधिक हैं। किसी भी फसल की सिंचाई, बुआई खेतों में उर्वरक डालना, फसल की कटाई आदि की योजना बनाने में मौसम का सही पूर्वानुमान अति-आवश्यक है।

अब्राह्मण मौसम में बाढ़, ओलावृष्टि बवंडर/तूफान, धूल के चक्रवात, तेज हवाएं, गरम हवाएं, शीत लहर और पाला आदि शामिल हैं। देश में विभिन्न फसलों के लिए कुल वार्षिक पूर्व कटाई (कटाई से पहले) के नुकसान 10 से 100 प्रतिशत के बीच होने का अनुमान है, जबकि फसल की कटाई के बाद के नुकसान का अनुमान 5 से 15 प्रतिशत के बीच है; 7 प्रतिशत औसत सभी फसलों के लिए एक उपयुक्त आंकड़ा माना गया है। भारत की 6 प्रमुख फसलें (गेहूं, चावल, बाजरा, दाल, मूंगफली और कपास) के लिए वार्षिक फसल हानि वर्ष 1982-1983 के दौरान अनुमानित रूप से 26 मिलियन टन है, जिसकी कीमत लगभग 49570 मिलियन रुपये है।

वर्ष 2020 की स्काईमेट रिपोर्ट, के अनुसार उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में लगभग 255 करोड़ का कुल नुकसान केवल ओलावृष्टि मौसम के कारण होने वाले सभी कृषि नुकसान से पूर्ण बचाव संभव नहीं है। हालांकि, समय पर और सटीक मौसम पूर्वानुमान जानकारी के माध्यम से समायोजन करके नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिससे फसल के नुकसान से बचा जा सकता है। किसानों को समय पर अच्छी तरह से सूचित किया जाता है कि आने वाले मौसम के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है तो लीचिंग, गैसीय हानि और निर्धारण हानि के माध्यम से नुकसान से बचने के द्वारा उर्वरक की बचत हो सकती है। संयंत्र संरक्षण रसायनों के उपयोग में एक समान अपव्यय को कम किया जा सकता है।

फसलोत्पादन में मौसम पूर्वानुमान के लाभ
  • फसलों की वृद्धि एवं विकास के लिए उचित समयान्तराल पर खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।
  • फसलों की कटाई का उचित समय निर्धारण किया जा सकता है।
  • मौसम पूर्वानुमान के आधार पर हानिकारक कीटों एवं पादप रोगों का भी पूर्वानुमान प्राप्त किया जा सकता है।
  • फसलों की उचित समय पर सिंचाई अर्थात् यदि वर्षा की सम्भावना हो तो सिंचाई न करके संसाधनों के अनावश्यक प्रयोग से बचें।
  • मानसून का पूर्वानुमान करके किसान बुवाई/रोपाई का समय निर्धारित कर सकते है।
  • वर्षा एवं तेज हवाओं की स्थिति के आधार पर कीटनाशकों, फफूंदनाशी, उर्वरक एवं विभिन्न प्रकार के रसायनों का छिडक़ाव कर सकते है।
कृषि मौसम परामर्श सेवा

भारत मौसम विज्ञान विभाग पुणे, में जलवायु संस्थानों के और अतिरिक्त मृृदा और जल संसाधनों के सक्षम उपयोग, प्रचंड मौसम तथा चक्रवात, ओलावृष्टि, सूखा आदि प्रभाव से सुरक्षा और मौसम का लाभ उठाने और कृषि उत्पादन में वृृद्धि के उद्देश्य से 1932 में की गयी थी। 1945 में ही किसानों हेतु मौसम सेवाएं प्रारंभ किया गया था। आकाशवाणी से इसका प्रसारण किसानों के लिए मौसम बुलेटिन के रुप में किया जाता था।

ग्रामीण मौसम कृषि सेवा

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना को कृषि समुदाय के लाभ के लिए फसल और स्थान विशिष्ट मौसम आधारित कृषि सलाह जारी करने के लिए शुरू किया गया है। यह योजना भारत मौसम विज्ञान विभाग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, द्वारा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से कार्यान्वित की गई है। सेवा का प्राथमिक उद्देश्य संबंधित विषयों के विशेषज्ञों के साथ उचित परामर्श के बाद कृषि में प्रबंधन प्रथाओं के लिए मौसम आधारित सलाह की तैयारी है और संचार के सभी संभव तरीकों का उपयोग करके ग्राम स्तर तक के अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए समान प्रचारित करना।

जिला स्तरीय कृषि मौसम इकाई

देश के विभिन्न क्षेत्रों में खोले गए करीब 600 कृषि विज्ञान केंद्रों से किसान यह सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने देश भर में बहुत से कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित किए हैं। जो किसानों को अपनी सूचनाएं देने के लिए काम करते हैं कृषि विज्ञान केंद्र खेती पशुपालन और इससे जुड़े हुए क्षेत्रों से संबंधित नई तकनीकी का प्रचार-प्रसार आकाशवाणी और दूरदर्शन का इस्तेमाल करके करता है। किसान कृषि विज्ञान केंद्रों को पत्र लिखकर अथवा अपनी सहायता के बारे में एसएमएस भेजकर समय से उसका उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। किसान काल केंद्रों से फोन सुविधाओं के लिए 1800.1800.1551 के नंबर पर फोन कर के भी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।

ब्लॉक स्तरीय कृषि मौसम परामर्श सेवा

भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने वर्ष 2020 से स्थानीय स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान जारी करना शुरू कर दिया है। जिसमे देश के 660 जिलों के सभी 6500 ब्लॉकों के मौसम व खेती की अग्रिम जानकारी दी जायेगी। इससे किसानों के लिए मौसम संबंधित नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी। मौसम विभाग के पास मौसम आधारित परामर्श जारी करने के लिए जिला स्तर पर 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट्स का नेटवर्क है। इससे करीब 9.5 करोड़ किसानों को फायदा होगा जो हर साल मौसम के बारे में सटीक अनुमान न मिल पाने से भारी नुकसान उठाते है। अब कृषि विज्ञान केंद्रों में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत अतिरिक्त 530 जिलों में ऐसी यूनिट्स तैयार की जा रही हैं। भारत मौसम विभाग मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान आगामी 4 दिन में प्रत्येक मंगलवार तथा शुक्रवार को उपलब्ध करता है। जिसके द्वारा आगामी 3 दिनों में वर्षा एवं तापमान, आद्र्रता (अधिकतम व न्यूनतम) हवा की दिशा व गति किमी/घंटा आदि मौसमी दशाओं की जानकारी दी जाती है। इस परामर्श सेवा का मुख्य उद्देश्य हैं कि बुलेटिन द्वारा किसानों तक नयी-नयी कृषि तकनीकों एवं मौसम के अनुसार कृषि कार्यो को सुनिश्चित करने की सलाह देना और मौसम का मध्य अवधि पूर्वानुमान जारी करना।

कृषि परामर्श सेवा का प्रसारण

किसानों की सुविधा हेतु कृषि से सम्बंधित पूर्वानुमान विभिन्न माध्यमों जैसे दूरदर्शन, रेडियो, कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा इंटरनेट इत्यादि द्वारा दिये जाते है। किसानों को संदेश द्वारा बेहतर कृषि के लिए सलाह दी जाती है। जिसके लिए कृषकों को अपने जिले के कृषि विज्ञान केन्द्रों में अपना मोबाइल नम्बर रजिस्टर करवाना होता है। जिसके बाद उन्हें कृषि सम्बंधी सुझाव सुचारू रूप से प्राप्त होते है । किसानों को 222.द्बद्वस्रड्डद्दह्म्द्बद्वद्गह्ल.द्दश1.द्बठ्ठ पोर्टल पर प्रत्येक फसल की ब्लॉक स्तर पर सलाह प्रदान की जाती हैै। जिसमें अनाज वाली फसलों, बागवानी, सब्जी, पशुपालन तथा मत्स्य पालन मुख्य है। यह फसल सम्बंधी मौसम पुर्वानुमान प्रत्येक सप्ताह मंगलवार एवं शुक्रवार को पोर्टल पर डाले जाते हैं।

मौसम पूर्वानुमान का लाभ कृषक कैसे उठायें

मौसम पूर्वानुमान का लाभ उठाने के लिए कृषक को सर्वप्रथम अपने मोबाइल नम्बर को कृषि विज्ञान केन्द्रों में रजिस्टर करवाना होता है। यह सेवा वर्तमान में सभी किसानों के व्हाट्सएप नम्बर पर भेजी जाती है। यह जानकारी विभिन्न डेमों द्वारा तहसील स्तर पर दी जाती हैं। इन्हीं पूर्वानुमानों को किसान www.imdagrimet.gov.in पोर्टल द्वारा कुछ जानकारियां भर कर जैसे अपनी तहसील जिले तारीख इत्यादि की जानकारियों को भर कर पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण खबर:भोपाल, जबलपुर भी कृषि उड़ान हवाई अड्डों में शामिल होंगे

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *