Crop Cultivation (फसल की खेती)

किसान भाई इस सप्ताह क्या करें

Share

सोयाबीन – सोयाबीन फसल में फूल लगने की अवस्था में इल्लियां द्वारा फूलों के खाने से अफलन की स्थिति से बचाने हेतु सलाह है कि लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 एससी (300 मिली/हे.) या इन्डोक्साकार्ब 5.8 ईसी (333 मिली/हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एससी (50 मिली/हे.) या स्पायनेटोरम 11.7 एससी 450 मिली या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 8.5 एससी (50 मिली/हे.) का छिडक़ाव करें। सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी तथा गर्डल बीटल का प्रकोप देखा जा रहा है, इसके नियंत्रण के लिए 0.5 मिली इमिडाक्लोप्रिड दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आसमान साफ रहने पर छिडक़ाव करें।

कपास – कपास में गुलाबी सूंडी की निगरानी के लिए 5 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में लगाएं।
मूंगफली- मूंगफली में सरकोस्पोरा पर्र्णदाग (टिक्का) रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।

प्याज- प्याज में थ्रिप्स की रोकथाम के लिए फिप्रोनिल 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।

धान – बुन्देलखंड में धान की फसल में कहीं-कहीं फाल्स स्मट दिखाई दे रहा है। प्रभावित दानों पर पीले रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है। जिसे छूने पर वह हाथ पर लग जाता है अत: किसान भाई फसल की निगरानी करें तथा पाये जाने पर ब्लाइटॉक्स 50 ञ्च 500 ग्राम प्रति एकड़ 10 दिनों के अंतराल पर (2-3 बार) छिडक़ाव करने की सलाह दी जाती है।
उड़द तथा सोयाबीन- उड़द तथा सोयाबीन की फसल में पीला पत्ता रोग का प्रकोप देखा जा रहा है, अत: किसान भाई फसलों की निगरानी करें तथा खेत में ग्रसित पौधे पाये जाने पर रोकथाम हेतु ग्रसित पौधे को उखाडक़र जमीन के अंदर दबा दें एवं 0.5. मिली इमिडाक्लोप्रिड या थायोमिथोक्सम 2.0 मिली, दवा की मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आसमान साफ होने पर छिडक़ाव करें।

रेपसीड – तोरिया की बुवाई हेतु उर्वरक व उन्नतशील प्रजातियों का चयन कर बीज की व्यवस्था करें एवं खेत तैयार कर मौसम साफ होने पर बुवाई करें।
अरहर (लाल चना)- अरहर में फली भेदक कीट का प्रकोप पुष्पावस्था से ही शुरू हो जाता है इसलिए इसके नियंत्रण हेतु प्रोपेनोफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।

फल, फूल और सब्जियां

बरसात के मौसम में खरपतवार तेजी से विकास करते हैं अत: किसान भाई, खड़ी फसलों और सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण हेतु निराई-गुड़ाई कार्य करें तथा सफेद मक्खियों और रस चूसने वाले कीट को ध्यान में रखते हुए किसानों को सभी फसलों की नियमित रूप से निगरानी करने की भी सलाह दी जाती है।
अरबी- अरबी की फसल में पत्ती झुलसा रोग (पत्तियोंं पर भूरे रंग के धब्बे) का प्रकोप देखा जा रहा है किसान भाई, इसके बचाव हेतु 2.5 ग्राम मैंकोजेब + मैटालैक्जिन दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों के आसपास, आसमान साफ होने पर छिडक़ाव करें।
भिंडी, टमाटर तथा मिर्च- भिण्डी, टमाटर तथा मिर्च में सफेद मक्खी तथा लीफ कर्ल का प्रकोप देखा रहा है अत: किसान भाई फसल का निरीक्षण करते रहें तथा आसमान साफ रहने पर इमिडाक्लोप्रिड दवा की 0.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आसमान साफ रहने पर छिडक़ाव करें।

बैंगन- वर्तमान समय में बैंगन में फल तथा तना छेदक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, इससे बचाव हेतु ग्रसित फलों को तोडक़र नष्ट करें व स्पाइनोसैड 48 ईसी कीटनाशक दवा 1 मिली/4 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिडक़ाव करें।

गन्ना 
  • गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए तीन से चार गन्नों को आपस में हरी पत्तियों के सहारे बांध दें।
  • गन्ने की फसल में लाल सडऩ रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेंडाजिम 1 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर मे स्प्रे करें।
  • गन्ने की खड़ी फसल में निराई-गुड़ाई एवं मिट्टी चढ़ाने का कार्य पूर्ण करें। पायरिल्ला कीट के प्रकोप को कम करने के लिए गन्ने के खेतों में उचित जल निकासी व्यवस्था को बनाए रखें।
  • किसान भाई गन्ने की फसल में खरपतवार की समस्या होने पर ग्लाईफ़ोसेट 40 एसएल का छिडक़ाव हुड या चाड़ी लगाकर पंक्तियों के मध्य करें। तेज हवा के समय छिडक़ाव न करें।
अगेती मटर
  • किसान भाई खाली पढ़े खेतों में अगेती मटर लगाने हेतु खेत की तैयारी करें।
  • हरी फली मटर के लिए खेत की तैयारी करें और बुवाई सितंबर माह के दूसरे सप्ताह में कर दें।
    अनुशंसित किस्में-आर्किल, पीएसएम-3 या आजाद मटर आदि उन्नत किस्मों के बीज की व्यवस्था करें।
आलू लगाने की तैयारी करें
  • किसान भाई खाली पड़़े खेतों में आलू लगाने हेतु खेत की तैयारी करें।
  • बुवाई सितंबर माह के दूसरे सप्ताह के बाद मौसम साफ होने पर ही करें।
  • फफूंद जनित रोगों की रोकथाम हेतु बीजोपचार अवश्य करें।
  • बोनी के पूर्व आलू के बीजों को पेन्सिक्विरोन 25 मिली प्रति क्विंटल बीज के हिसाब से उपचारित करके बोनी करें।
  • बीज दर 2500-3000 किलोग्राम प्रति हिक्टेयर है।

किस्में : कुफरी सिंदूरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी बादशाह, कुफरी बहार, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी चिप्सोना, कुफरी अरूण, कुफरी पुष्कर, कुफरी शैलज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी फ्रीसोना खेती के लिए उपयुक्त है।

महत्वपूर्ण खबर: प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण में सुरक्षित है भविष्य : प्रधानमंत्री श्री मोदी

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *