आलू उगाने के 10 बेहतरीन तरीके: किसान जरूर जानें
03 जनवरी 2025, नई दिल्ली: आलू उगाने के 10 बेहतरीन तरीके: किसान जरूर जानें – आलू, जिसे गरीबों का साथी कहा जाता है, भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है। यह न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा भी होता है। अगर आप आलू की खेती से अधिक उत्पादन और बेहतर लाभ पाना चाहते हैं, तो यहां दिए गए 10 बेहतरीन तरीकों को अपनाएं:
1. सही मिट्टी का चयन करें
आलू के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। ऐसी मिट्टी चुनें जो स्वाभाविक रूप से ढीली हो और जिसमें जल निकासी और वायु संचार अच्छा हो। मिट्टी का पीएच स्तर 5.2 से 6.4 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जैविक पदार्थ की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि पौधों को पोषण बेहतर मिल सके।
2. उन्नत बीजों का उपयोग करें
उन्नत और स्वस्थ बीज कंद का चयन करें। बीज कंद रोग मुक्त, अच्छी तरह से अंकुरित, और 30-40 ग्राम वजन के होने चाहिए। ट्रू पोटैटो सीड (TPS) तकनीक का भी उपयोग कर सकते हैं, जो अधिक उत्पादन और कम लागत का विकल्प प्रदान करता है। TPS से पौध तैयार करना किसानों के लिए बीज की लागत को कम करने का प्रभावी तरीका है।
3. भूमि की गहरी तैयारी करें
खेत की मिट्टी को 24-25 सेमी की गहराई तक जोतें और धूप में खुला छोड़ दें। अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद मिलाना सुनिश्चित करें। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और कंदों के विकास में सहायक होता है। साथ ही, मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए जुताई के बाद मल्चिंग करें।
4. रोपण का सही समय चुनें
आलू की बुवाई का समय क्षेत्र और जलवायु पर निर्भर करता है। ठंडे इलाकों में वसंत और गर्मियों की फसलें उगाई जाती हैं, जबकि गर्म क्षेत्रों में मुख्य फसल अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है। सही समय पर रोपण से बेहतर उपज मिलती है। विभिन्न क्षेत्रों के लिए सटीक समय का पालन करना महत्वपूर्ण है।
5. उचित रोपण तकनीक अपनाएं
कंदों को 50-60 सेमी की दूरी पर खांचे बनाकर 5-7 सेमी की गहराई पर लगाएं। बीज कंदों को मिट्टी से ढक दें। उन्नत रोपण उपकरणों का उपयोग करें, जिससे समय और श्रम की बचत हो। ICAR-CPRI द्वारा विकसित चार-पंक्ति रोपण यंत्र का उपयोग करें, जो फसल की सटीकता और उत्पादकता को बढ़ाता है।
6. सिंचाई का ध्यान रखें
आलू की फसल के लिए नियमित सिंचाई बेहद जरूरी है। पहली सिंचाई रोपण के 5-7 दिनों के भीतर करें। उसके बाद 7-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीकों का उपयोग पानी की बचत और उच्च उत्पादकता के लिए करें। स्प्रिंकलर सिंचाई ठंडी रातों में फसल को पाले से बचाने में मदद करती है।
7. उर्वरकों का सही उपयोग करें
आलू की फसल को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की आवश्यकता होती है। सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें और फसल के विभिन्न चरणों में इसे वितरित करें। उदाहरण के लिए, गंगा के मैदानों के लिए 180-240 किग्रा नाइट्रोजन, 60-90 किग्रा फास्फोरस और 85-130 किग्रा पोटैशियम प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है। जैविक खाद और हरी खाद का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।
8. रोग और कीट नियंत्रण करें
आलू की फसल पर लेट ब्लाइट, अर्ली ब्लाइट, वायरस और कीटों का हमला हो सकता है। नियमित निरीक्षण करें और समय पर जैविक या रासायनिक उपाय अपनाएं। एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक का उपयोग फसल को सुरक्षित रखने में मददगार हो सकता है।
9. मिट्टी चढ़ाने और खरपतवार नियंत्रण करें
पौधों के विकास के दौरान मिट्टी को ढीला रखें और खरपतवारों को हटाएं। पहली मिट्टी चढ़ाने का कार्य पौधों के 15-25 सेमी ऊंचाई तक पहुँचने पर करें। यह कंदों को अच्छी तरह से ढकने में मदद करता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए फ्लूकोलरालिन या पेंडीमेथालिन जैसे शाकनाशियों का उपयोग करें।
10. कटाई और भंडारण पर ध्यान दें
आलू की कटाई तब करें जब बेलें पीली होकर सूखने लगें। कटाई के बाद आलू को छाया में सुखाएं और भंडारण के लिए ठंडी जगह पर रखें। उचित भंडारण से कंदों की गुणवत्ता बनी रहती है और बेहतर कीमत मिलती है। भंडारण के लिए तापमान 4-5 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखें ताकि कंदों में सड़न न हो।
आलू की खेती के ये 10 बेहतरीन तरीके न केवल फसल की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि किसानों को अधिक मुनाफा भी दिलाएंगे। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी आलू की फसल को और अधिक सफल बना सकते हैं।
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