फसल की खेती (Crop Cultivation)

गेहूं की फसल में दीमक नियंत्रण के असरदार उपाय 

08 नवंबर 2024, नई दिल्ली: गेहूं की फसल में दीमक नियंत्रण के असरदार उपाय – दीमक गेहूं की फसल के लिए एक खतरनाक कीट है जो फसल को जड़ से नुकसान पहुंचा सकता है। खासकर, जब किसान ने पलेवा कर खेत को बुवाई के लिए तैयार कर लिया हो, तो दीमक का प्रकोप तेजी से फैलता है और गेहूं की फसल की जड़ों को खाकर उसकी बढ़त रोक सकता है। इसके चलते फसल में उपज की भारी कमी हो सकती है, जिससे किसानों की मेहनत और लागत पर असर पड़ता है।

दीमक नियंत्रण के प्रभावी तरीके

किसानों को दीमक नियंत्रण के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाने चाहिए। इनमें से सबसे प्रमुख है क्लोरपाईरिफाँस का उपयोग। क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी एक प्रभावी कीटनाशक है जो दीमक को समाप्त करने में मदद करता है और फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है।

क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी का उपयोग:

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की मात्रा पलेवा के समय खेत में डालें। यह कीटनाशक दीमक को जड़ से नष्ट करता है और फसल के विकास के दौरान दीमक के प्रकोप से सुरक्षित रखता है। इसे पलेवा के दौरान खेत में मिलाने से दीमक को नियंत्रित करने में आसानी होती है।

उन्नत बीज का चयन

दीमक से बचाव के लिए उन्नत किस्मों के बीजों का चयन भी महत्वपूर्ण होता है। स्वस्थ और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बीजों का चयन करें, जैसे कि एचडी 3385, एचडी 3298, और डीबीडब्ल्यू 372, ताकि फसल में रोगों और कीटों का प्रकोप कम हो सके।

खेत की सफाई और नियमित निगरानी:

दीमक नियंत्रण के लिए खेत की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बुवाई से पहले पुराने फसल के अवशेषों और खरपतवारों को हटाना जरूरी है, क्योंकि यह दीमक के छिपने का स्थान होते हैं। नियमित अंतराल पर खेत की निगरानी करें और किसी भी दीमक के लक्षण दिखने पर तुरंत कीटनाशक का उपयोग करें।

उर्वरक का सही उपयोग और पौधों की मजबूती

नत्रजन, फास्फोरस, और पोटाश का उचित मात्रा में उपयोग करने से फसल की जड़ें मजबूत बनती हैं, जिससे दीमक के हमलों से बचाव में मदद मिलती है। गेहूं की फसल के लिए 120 कि.ग्रा. नत्रजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस, और 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की मात्रा अनुशंसित है।

दीमक नियंत्रण के फायदे

दीमक नियंत्रण के सही उपाय अपनाकर किसान न केवल अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं बल्कि उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। दीमक से रहित स्वस्थ फसल की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है और पौधों की विकास दर भी अच्छी रहती है I

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