फसल की खेती (Crop Cultivation)

ग्वारपाठा के रोग एवं निदान

गोलाकार धब्बे
लक्षण – यह एलोवेरा का एक गंभीर रोग हैं। गोलाकार धब्बे पौधे के पत्तों पर प्रमुख होते हैं। यह बीमारी पहली बार हचिोजिमा और चिचिजिना, टोक्यो के समुद्री टापुओं पर पाई गए थी। धब्बों के ऊपर हेमटोनेक्टेरिआ हेमटोकोका के कोनिडिया आसानी से देखे जा सकते हैं।
कारण जीव- हेमटोनेक्टेरिआ हेमटोकोका
नियंत्रण-
संक्रमित पौधों को नष्ट करना, प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करना और मैन्कोजेब (0.25 प्रतिशत), थिओफिनेट मिथाईल (0.1 प्रतिशत) या कार्बेन्डाजिम (0.1 प्रतिशत) के छिड़काव करें।
पत्ती धब्बा और सिरा झुलसा रोग
लक्षण –
यह रोग बरसात के मौसम में आम हैं। पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के गोल धब्बे बन जाते हैं जिनके चारों तरफ निचली सतह पर पीले घेरे होते हैं। उग्र प्रकोप से तने तथा पुष्प शाखाओं पर भी धब्बे बन जाते हैं। इस रोग से पत्तो का 30-40 फीसदी क्षेत्र धब्बों के द्वारा संक्रमित होता हैं। यह रोग पतियों के मुडऩे और झडऩे का कारण बनते हैं तत्पश्चात सूखने के कारण के पौधे से गिर जाते हैं।
कारण जीव- अलटरनेरिआ अलटरनाटा
नियंत्रण – पौधा के मलबे को नष्ट करें और रोग को कम करने के लिए कैप्टान (0.2 प्रतिशत), मेन्कोजेब (0.25 प्रतिशत) या हेक्साकेप (0.2 प्रतिशत) के साथ नियमित रूप से छिड़काव करें।
म्लानी रोग या विल्ट
लक्षण
यह फ्यूजेरियम नामक कवक से फैलता हैं। यह पौधो में पानी व खाद्य पदार्थ के संचार को रोक देता हैं। जिससे पत्तियां पीली पड़कर सूख जाती हैं और पौधा सूख जाता हैं। इसमें जड़े सड़कर गहरे रंग की हो जाती हैं तथा छाल हटाने पर जड़ से लेकर तने की ऊंचाई तक काले रंग की धारियां पाई जाती हैं।
कारण जीव- फ्यूजेरियम सोलेनाई
नियंत्रण
एकान्तरित खेती, मृदा सौरीकरण, ग्रसित पौधों को उखाड़ कर खत्म करना या बिनोमिल (0.1 प्रतिशत), कार्बेन्डाजिम (0.1 प्रतिशत) और कैप्टान (0.2 प्रतिशत) के घोल से पौधों को उपचारित करना मिट्टी से उपजित बीमारी को कम करने में मदद कर सकते हैं।

एंथ्रेक्नोज पत्ती धब्बा रोग
लक्षण
इस रोग से पौधे में पानीनुमा, हलके भूरे और थोड़ा धसे हुए धब्बे बनते हैं। यह धब्बे सामान्यत: 2-3 से.मी. व्यास के होते हैं। पत्तों के सिरो इससे जले हुई दिखाए देते हैं।

Advertisement
Advertisement

कारण जीव- कोलेटोट्रिईकम डेमाटीसियम
नियंत्रण – कॉपर और केप्टॉन कवकनाशी का प्रयोग 12-14 दिनों के अंतराल पर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए करें।

जीवाणु गीली सडऩ
लक्षण – शुरूआती लक्षण पत्तों पर बरसात के दिनों में पानीनुमा धब्बों के रूप दिखाई देते हैं। पौधे में सडऩ नीचे से ऊपर की ओर तेजी से बढ़ती हैं। इससे पौधा 2-3 दिन में मर जाता हैं।

Advertisement8
Advertisement

कारण जीव- पेक्टोबैक्टेरियम क्रीईसंथेमी
नियंत्रण –
रोपण क्षेत्र को सूखा रखें। ऊपरी सिंचाई के बिना नियंत्रित सिंचाई काफी प्रभावी होती हैं। इससे जीवाणु कण आसानी से फैल नहीं पाते हैं। छिड़काव के रूप में एंटीबायोटिक, स्टेप्टोसाइक्लीन (300 मि.ग्राम एक लीटर पानी) का प्रयोग संक्रमण को कम करता हैं।

Advertisement8
Advertisement

मुसब्बर रतुआ रोग
लक्षण- इस रोग द्वारा मुसब्बर की पत्तियों पर रतुआ से उत्पन्न काले और भूरे रंग के फफोले दिखाई देते हैं

कारण जीव- सकोस्पोरा पेचयर्हिजी
नियंत्रण – जुलाई सितंबर के दौरान डाइथेन जेड-78 (0.2 प्रतिशत) या वेटएबल सल्फर (0.4 प्रतिशत) के तीन छिड़काव करें। इस रोग की रोकथाम के लिए मैन्कोजेब 2.5 किग्रा. अथवा घुलनशील गंधक 3 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।

  • रूपाली पटेल email : roopalipatel847@gmail.com

केला के प्रमुख रोग एवं निदान

Advertisements
Advertisement5
Advertisement