केले के लिए बेहद खतरनाक हैं गुच्छशीर्ष रोग, फसल को बचाने के लिए किसान जान लें उपाय
08 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: केले के लिए बेहद खतरनाक हैं गुच्छशीर्ष रोग, फसल को बचाने के लिए किसान जान लें उपाय – केले की खेती करने वाले किसानों के लिए गुच्छशीर्ष रोग एक गंभीर चुनौती बन चुका है। यह रोग न केवल पौधों की वृद्धि को रोक देता है, बल्कि पूरी फसल को तबाह कर देता है। केला वाइरस-1 नामक विषाणु से फैलने वाला यह रोग देश के कई हिस्सों में अपना प्रकोप दिखा चुका है। अगर समय रहते इससे बचाव न किया जाए, तो किसान को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि किसान इस रोग के लक्षणों को पहचानें और प्रभावी नियंत्रण उपायों को अपनाकर अपनी फसल को सुरक्षित रखें।
गुच्छशीर्ष रोग के लक्षण- रोग के लक्षण पौधों पर किसी भी अवस्था में देखे जा सकते हैं। पौधों के शीर्ष पर पत्तियों का गुच्छा बन जाता है इसलिए इस रोग को गुच्छ शीर्ष कहते हैं। रोग के कारण पौधे बौने रह जाते है। रोग का प्राथमिक संक्रमण रोगी अत: भूस्तारी के रोग से होता है तथा द्वितीय संक्रमण रोग वाहन कीड़ों द्वारा होता है। जब रोग प्रकोप तरूण पौधों पर होता है। तो उनकी वृद्धि रूक जाती है और ऊंचाई 60 सेमी से अधिक नहीं होता है तथा इन पौधों में फल नहीं लगते है।
खड़ी फसल में रोग नियंत्रण के उपाय:- संक्रमित पौधों को निकाल कर नष्ट करना आवश्यक है। जिससे रोग प्रसार को कम किया जा सकता है।
स्वस्थ व रोगी पौधों पर कीटनाशक दवा जैसे – मेटासिसटॉक्स (0.1 से 0.5) दवा का छिड़काव करना चाहिए जिससे रोगवाहक कीड़े नष्ट हो जाते है और रोग प्रसार पर रोक लग जाती है।
नोट – वायरस रोग निदान के लिये कीटनाशक दवा का उपयोग आसपास के सभी बगीचे वालों को मिलकर एक साथ, एक ही दिन करना चाहिए जिससे कीड़े आसपास के बगीचों में न भाग सकें और वे पूरी तरह से नष्ट किया जा सकें वरना रोग प्रकोप को फैलने से नहीं रोका जा सकता है।
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