औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है आंवला, लाभ की भी खेती है इसकी
22 नवंबर 2024, भोपाल: औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है आंवला, लाभ की भी खेती है इसकी – आंवले की खेती करने वाले किसानों की कमी हमारे देश में नहीं है। दरअसल आंवला की खेती न केवल लाभदायक मानी जाती है क्योंकि इसका उपयोग औषधि के रूप में भी होता है। इसके औषधीय गुण इतने अधिक है कि इसे दवाइयों में उपयोग होता है। हालांकि हमारे देश में उत्तर प्रदेश और हिमाचल राज्य आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य है। इन दोनों राज्यों में आंवला का उत्पादन बहुत होता है।
आंवला को आमतौर पर भारतीय गूज़बैरी और नेल्ली के नाम से जाना जाता है। इसे इसके औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके फल विभिन्न दवाइयां तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। आंवला से बनी दवाइयों से एनीमिया, डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार और जख्मों का इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के शैंपू, बालों में लगाने वाला तेल, डाई, दांतों का पाउडर, और मुंह पर लगाने वाली क्रीमें आंवला से तैयार की जाती है। यह एक मुलायम और बराबर शाखाओं वाला वृक्ष है, जिसकी औसत ऊंचाई 8-18 मीटर होती है। इसके फूल हरे-पीले रंग के होते हैं और यह दो किस्म के होते हैं, नर फूल और मादा फूल। इसके फल हल्के पीले रंग के होते हैं,जिनका व्यास 1.3-1.6 सेमी होता है। भारत में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इसके सख्त होने की वजह से इसे मिट्टी की हर किस्म में उगाया जा सकता है। इसे हल्की तेजाबी और नमकीन और चूने वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है| अगर इसकी खेती बढ़िया जल निकास वाली और उपजाऊ-दोमट मिट्टी में की जाती है तो यह अच्छी पैदावार देती है। यह खारी मिट्टी को भी सहयोग्य है। इस फसल की खेती के लिए मिट्टी की pH 6.5-9.5 होना चाहिए। भारी ज़मीनों में इसकी खेती करने से परहेज करें। आंवला की खेती के लिए अच्छी तरह से जोताई और जैविक मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए बिजाई से पहले ज़मीन की जोताई करें| जैविक खाद जैसे कि रूड़ी की खाद को मिट्टी में मिलायें। फिर 15×15 सैं.मी. आकार के 2.5 सेमी. गहरे नर्सरी बेड तैयार करें।
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