फसल की खेती (Crop Cultivation)

पूसा संस्थान की सलाह: कटाई और बीज उत्पादन की आधुनिक तकनीकें

21 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: पूसा संस्थान की सलाह: कटाई और बीज उत्पादन की आधुनिक तकनीकें – गेहूं भारत की प्रमुख अनाज फसलों में से एक है, जो देश के लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। गेहूं की खेती में समय पर बुवाई, उचित देखभाल और कटाई की तकनीकों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम गेहूं की कटाई, बीज उत्पादन और इससे संबंधित सावधानियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि किसान भाई-बहन अपनी फसल से अधिकतम उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त कर सकें।

गेहूं की कटाई: समय और सावधानियां

गेहूं की कटाई का समय अप्रैल माह में आता है, खासकर उन खेतों में जहां समय पर बुवाई की गई हो। कटाई के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय वातावरण में नमी कम होती है और फसल को काटना आसान होता है। कटाई के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  1. नमी की मात्रा: गेहूं के दानों में नमी की मात्रा 15-20% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि नमी अधिक है, तो कटाई के बाद फसल को खेत में 3-4 दिन तक सूखने के लिए छोड़ दें। इससे दानों की गुणवत्ता बनी रहती है और मड़ाई के समय नुकसान कम होता है।
  2. कटाई की ऊंचाई: फसल को जमीन से 4-5 सेंटीमीटर ऊपर से काटें। इससे खेत में अवशेष कम रहते हैं और अगली फसल की बुवाई में आसानी होती है।
  3. कटाई की जांच: गेहूं की फसल कटाई के लिए तैयार है या नहीं, यह जांचने के लिए दाने को दांतों से दबाएं। यदि दबाने पर ‘कट’ की आवाज आती है, तो फसल कटाई के लिए तैयार है।
  4. उपकरण का उपयोग: किसान कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग कर कटाई, मड़ाई और सफाई एक साथ कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते समय भी नमी की मात्र 15-20% सुनिश्चित करें।
  5. समय पर कटाई: कटाई में देरी से चिड़ियों, चूहों और अन्य कीटों द्वारा नुकसान हो सकता है। साथ ही, देर से कटाई करने पर दानों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। इसलिए, अप्रैल माह के अंत तक फसल की कटाई पूरी कर लें।

बीज उत्पादन: गुणवत्ता बनाए रखने की तकनीकें

कई किसान गेहूं के बीज उत्पादन में रुचि रखते हैं। बीज उत्पादन में गुणवत्ता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अगली फसल की सफलता को निर्धारित करता है। बीज उत्पादन के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:

  1. रोगिंग (Roguing): कटाई से पहले खेत में अवांछित पौधों को हटाना आवश्यक है। रोगिंग की प्रक्रिया में खेत से उन पौधों को निकाला जाता है जो गेहूं की प्रजाति से मेल नहीं खाते। कटाई से पहले कम से कम 1-2 बार रोगिंग करें। इससे बीज की शुद्धता और गुणवत्ता बनी रहती है। एक गेहूं की बाली में औसतन 50-55 दाने होते हैं, और यदि अवांछित पौधे रह जाते हैं, तो बीज में मिश्रण हो सकता है।
  2. नमी नियंत्रण: बीज उत्पादन के लिए कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखाएं। अधिक नमी बीज की गुणवत्ता को खराब कर सकती है।
  3. साफ-सफाई: कटाई और मड़ाई के बाद बीज को अच्छी तरह साफ करें, ताकि धूल, मिट्टी या अन्य अशुद्धियां न रहें।

गेहूं की खेती में कटाई और बीज उत्पादन के लिए सही समय, उचित तकनीकों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। समय पर कटाई, नमी नियंत्रण, रोगिंग और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके किसान अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह को अपनाकर आप अपनी गेहूं की खेती को और अधिक लाभकारी बना सकते हैं।

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