फसल की खेती (Crop Cultivation)

25 दिसंबर तक देर से बुवाई के लिए अपनाएं गेहूं की ये उन्नत किस्में

30 नवंबर 2024, नई दिल्ली: 25 दिसंबर तक देर से बुवाई के लिए अपनाएं गेहूं की ये उन्नत किस्में – खेती में समय की सटीकता और सही किस्म का चयन, बेहतर उपज की कुंजी है। विशेष रूप से गेहूं की खेती में, देर से बुवाई के लिए सही किस्म का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। 25 दिसंबर तक बुवाई करने वाले किसानों के लिए आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने कुछ उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। ये किस्में बदलती जलवायु परिस्थितियों और सीमित समय में भी बेहतर उत्पादन देने में सक्षम हैं। आइए जानते हैं इन किस्मों और उनके फायदों के बारे में।

उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में समय पर, देर से, बहुत देरी से बुआई के लिए गेहूं की किस्में

क़िस्मउत्पादन स्थितियों 
देर से बोई जाने वाली किस्में
पीबीडब्ल्यू 752, पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261, एचडी 3059, डब्ल्यूएच 1021सिंचित, देर से बोया गया (25 दिसंबर तक)एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ आग, पश्चिम यूपी
डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, डीबीडब्ल्यू 107, एचडी 3118, जेकेडब्ल्यू 261, पीबीडब्ल्यू 752एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड
एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336सीजेंड: एमपी, गुजरात, राजस्थान
बहुत देर से बोई जाने वाली किस्में
एचडी 3271, एचआई 1621, डब्ल्यूआर 544सिंचाई बहुत देर से बुवाई (25 दिसंबर से आगे)सभी जोन


बुआई का समयबीज दर और उर्वरक प्रयोगः भारत में गेहूं की फसल विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों और उत्पादन स्थितियों में उगाई जाती है। बुआई के समय से क्षेत्र दर क्षेत्र और अलग-अलग उत्पादन परिस्थितियों में थोड़ा अंतर होता है।

गेहूं की फसल के लिए क्षेत्रवार बुआई बीज दर एवं उर्वरक की मात्रा

क्षेत्रबुआई की स्थितिबीज दरउर्वरक की खुराक और प्रयोग का समय
एनडब्ल्यूपीजेड और एनईपीजेडसिंचित, देर से बोया गया125 किया/हैक्टर120:60:40 किया एनपीके हे (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में)
सीजेड और पौजेडसिंचित, देर से बोया गया125 किया/हैक्टर90:60:40 किग्रा एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर आगो में)

हालांकि धान की कटाई में देरी और तापमान में उतार-चढ़ाव की चुनौतियां थीं, फिर भी नवंबर के अंत तक गेहूं की बुवाई काफी संतोषजनक रही। जिन किसानों ने अब तक बुवाई नहीं की है, उनके लिए यह सुझाव दिया जाता है कि वे कृषि जलवायु परिस्थितियों और बुवाई के समय को ध्यान में रखते हुए, उपयुक्त किस्मों का चयन करें ताकि उत्पादन अधिकतम हो सके।

सामान्य सुझाव

  • उपयुक्त किस्मों का चयन: अपने क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार, देर से बुवाई में उपयुक्त किस्मों का चयन करें।
  • क्षेत्रीय उपयुक्तता: अन्य क्षेत्रों की किस्में लगाने से बचें क्योंकि ये स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं होतीं।
  • संतुलित इनपुट का उपयोग: अधिकतम उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का विवेकपूर्ण उपयोग करें।
  • पानी की बचत: खेतों में समय पर और विवेकपूर्ण सिंचाई करें, जिससे पानी की बर्बादी रोकी जा सके।
  • पीलापन रोकथाम: यदि फसल में पीलापन हो, तो नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें। कोहरे या बादलों की स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें।
  • मौसम पूर्वानुमान का ध्यान रखें: सिंचाई से पहले बारिश की संभावना को अवश्य जांचें ताकि जलभराव की समस्या न हो।
  • फसल अवशेष प्रबंधन: खेतों में फसल अवशेष जलाने से बचें। इन्हें मिट्टी में मिला देना या सतह पर छोड़ देना बेहतर है। मिट्टी की सतह पर फसल अवशेषों की उपस्थिति में, गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग किया जा सकता है।
  • यूरिया का उपयोग: सिंचाई से ठीक पहले यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें।

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