राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

फसलों में माइकोराइजा के उपयोग और लाभ

लेखक: डा.वाय.के.शुक्ला, डा.रश्मि शुक्ला एवं डा.डी.के.वाणी, कृषि विज्ञान केन्द्र खंडवा (मध्य प्रदेश )

02 दिसंबर 2024, भोपाल: फसलों में माइकोराइजा के उपयोग और लाभ – माइकोराइजा ऐसा सूक्ष्मदर्शी जीव है जो उच्च पौधों की जड़ों और कवक/ फंगस के मध्य सहजीवी संबंध के रूप में रहते है. इस प्रकार का संबंध लगभग 95% पौधों में पाया जाता है. यह सूक्ष्म जीव मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे- फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्व को पौधे के लिए उपलब्ध अवस्था में बदलता है, ताकि पौधे की जड़ों को पोषक तत्व मिल सके. माइकोराइजा फास्फोरस के अवशोषण में मुख्य भूमिका निभाता है. यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार कर पौधों की जड़ों को विकसित भी करता है. इसे जैव उर्वरक VAM के रूप में फसलों में इस्तेमाल किया जाता है. अच्छी फसल के लिए माइकोराइजा एक अहम रोल अदा करता है। माइकोराइजा कवक और पौधों की जड़ों के बीच का एक संबंध होता है। यह संबंध लगभग 95% पौधों में पाया जाता है। माइकोराइजा मिट्टी से पौधों के विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्व को ग्रहण करने में मदद करता है और फसलों की पैदावार बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है। माइकोराइजा पौधों के द्वारा अंत: प्रक्रिया को बढ़ा देता है। सूखे जैसी परिस्थितियों में यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है।  

माइकोराइजा क्या है?

किसी भी कवक तथा पौधों की जड़ों के बीच एक पारसपर सहजीवी संबंध को माइको राइडर कहते हैं। इस प्रकार के संबंध में कवक पौधों की जड़ पर आश्रित हो जाता है और मृदा-जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है. माइकोराइजा दो प्रकार के होते हैं। पहला होता है एंडो माइकोराइजा और दूसरा होता है एक्टो माइकोराइजा। एंडो माइकोराइजा पौधे की जड़ के कोशिकाओं तक प्रवेश कर जाता है। जबकि एक्टो माइकोराइजा। कवक के जड़ों के कोशिका के ऊपर एक प्रकार से आवरण बनाता है। कभी-कभी तो यह कोटीकल कोशिका के अंदर प्रवेश करके भी उसे प्रोटेक्ट करता है। इस परिस्थिति में इसे एक्ट-एंडो माइकोराइजा कहते हैं। यह किसी पौधे के साथ अपना संबंध स्थापित कर सकता है। 

माइकोराइजा के कार्य और लाभ

  • फॉस्फोरस अवशोषण: फॉस्फोरस एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो पौधों की जड़ों, फूलों और फलों के विकास के लिए आवश्यक है। माइकोराइजा फॉस्फोरस को घुलनशील रूप में परिवर्तित करता है और पौधों की जड़ों को इसे अवशोषित करने में मदद करता है।
  • नाइट्रोजन अवशोषण: नाइट्रोजन पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो प्रोटीन और क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक है। माइकोराइजा नाइट्रोजन के अवशोषण को बढ़ावा देता है, जिससे पौधों की वृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • जल अवशोषण और सूखा प्रतिरोध : माइकोराइजा पौधों की जड़ों को अधिक गहराई तक फैला देता है, जिससे वे मिट्टी में नमी को अधिक कुशलता से अवशोषित कर सकते हैं। सूखा प्रतिरोधी गुणों के कारण, माइकोराइजा वाले पौधे सूखे के समय में भी स्वस्थ रहते हैं और अच्छी फसल उपज प्रदान करते हैं।
  • मृदा संरचना में सुधार : माइकोराइजा मिट्टी की संरचना को सुधारता है, जिससे मिट्टी का क्षरण कम होता है और जल धारण क्षमता बढ़ती है। माइकोराइजा मिट्टी के कणों को जोड़कर मृदा संरचना को स्थिर करता है, जिससे मिट्टी का क्षरण कम होता है और जल धारण क्षमता बढ़ती है। माइकोराइजा मृदा में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता : माइकोराइजा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फसल रोगों से प्रभावित नहीं होती है । माइकोराइजा जड़ रोगों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे पौधों की जड़ों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • उर्वरक उपयोग दक्षता : माइकोराइजा के कारण पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे उर्वरक उपयोग की दक्षता बढ़ती है और उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है। माइकोराइजा के उपयोग से किसानों को उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है, जिससे उनकी लागत में कमी आती है। उर्वरकों के कम उपयोग के कारण, मिट्टी और जल संसाधनों पर होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • पौधों की वृद्धि और उत्पादकता : माइकोराइजा के कारण पौधों की वृद्धि दर और उत्पादकता में सुधार होता है। माइकोराइजा पौधों की उत्पादकता को बढ़ाता है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और किसानों को अधिक उपज प्राप्त होती ह

माइकोराइजा के कार्य करने का तरीका

माइकोराइजा पौधों की जड़ों के साथ सहजीविता करता है और उन्हें पोषक तत्व और जल उपलब्ध कराता है। माइकोराइजा के स्पोर्स मिट्टी में उपलब्ध होते हैं और जड़ों के संपर्क में आने पर अंकुरित होते हैं। माइकोराइजा का फंगस जड़ों के ऊतक में प्रवेश करता है और वहां एक जालीदार संरचना बनाता है। फंगस पौधों को जल और पोषक तत्व (जैसे फॉस्फोरस, नाइट्रोजन) उपलब्ध कराता है और बदले में पौधों से शर्करा और अन्य कार्बनिक पदार्थ प्राप्त करता है। माइकोराइजा की जड़ संरचना मिट्टी में फैलती है, जिससे पौधों को और अधिक पोषक तत्व और जल उपलब्ध होता है।

माइकोराइजा की उपयोग विधि

  • फसलों की रोपाई से पहले जड़ों को माइकोराइजा 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर वाले सोल्यूशंस में मिलाये ताकि जड़ अच्छी तरह से बढ़वार कर सके.
  • या पाउडर फॉर्म में उपलब्ध उत्पाद की 250 ग्राम मात्रा को 100 से 200 लीटर पानी में मिलाएं और पौध को खेत में लगाने से पहले 2 से 3 घंटे तक डुबाये.
  • यह  आईपीएल प्रीमियम वाम शक्ति उत्पाद के रूप में जाना जाता है. जिसे आसानी से पानी में घोला जा सकता है. इसमें माइकोराइज़ा की संख्या 1200 आईपी प्रति ग्राम (यानी, 3 लाख आईपी प्रति 250 ग्राम होती है.
  • इसका 250 ग्राम की मात्रा को 1 से 2 एकड़ खेत में ड्रिप या ड्रेंचिंग या सामान्य सिंचाई के रूप में भी दिया जा सकता है.
  • एक फसल चक्र में दो बार बुवाई और फूल अवस्था में दिया जा सकता है.

माइकोराइजा के उपयोग करते समय रखे ये सावधानियाँ

  • भंडारण करते समय ठंडी और सूखी जगह पर रखें, सीधे धूप से दूर स्टोर करें.
  • उत्पाद के इस्तेमाल के 15 दिन पहले और 15 दिन बाद रासायनिक कवकनाशी और खरपतवार का उपयोग न करें.
  • इसका उपयोग 2 साल के भीतर कर लेना चाहिए या मल्टीप्लाई कर लेना चाहिए, ताकि सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता बनी रहे.

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