रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह

पाले से बचाव के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था करें एवं खेत की मेड़ पर कूड़ा-करकट जलाकर धुआं करें। घुलनशील सल्फर का 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूं में चौड़ी पत्ती वाले खतपतवार नियंत्रण के

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा करवाकर खेती में जोखिम को कम करें, रबी फसलों के लिए ऋणी एवं अऋणी किसान के प्रस्ताव बैंक में जमा करने की अंतिम तारीख 31 दिसम्बर 2019 निर्धारित है, बीमा योजना के

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वर्तमान समय में गेहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना है। यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है। यह कीट गेहूं फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसता है जिसके

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गेहूं में जड़ माहू कीट नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 250 मिली/हे. या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1.25 लीटर/ हे. 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। गेहूं में द्वितीय सिंचाई कल्ले निकलते समय, तीसरी सिंचाई गांठें बनते समय चौथी सिंचाई

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गेहूं में दीमक एवं जड़ माहू के प्रकोप की संभावना है, जिससे फसल में पीलापन दिखाई देने पर, नियंत्रण हेतु क्लोरोपयरीफॉस 20 ई सी 2 लीटर प्रति हेक्टर सिंचाई जल के साथ दें या 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 100

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गेहूं फसल में प्रथम सिंचाई शीर्ष जड़ अवस्था पर बुआई के बाद 20 से 25 दिन पर करें। द्वितीय सिंचाई गेहूं में कल्ले फूटने की अवस्था 40 से 45 दिन में सिंचाई करें। गेहूं फसल में सिंचाई बार्डर पद्धति से

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गेहूं की फसल में चौड़ी एवं सकरी पत्ती खरपतवार नियंत्रण हेतु क्लोडीनोफॉप एवं मेट्सल्फ्युरान नींदानाशी की 160 ग्राम प्रति एकड़ मात्रा 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। गेहूं में द्वितीय सिंचाई कल्ले निकलते समय, तीसरी सिंचाई गांठें बनते समय,

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गेहूं की फसल में चौड़ी एवं सकरी पत्ती खरपतवार नियंत्रण हेतु क्लोडिनोफॉप एवं मेट्सल्फ्यूरान नामक नींदानाशी की 160 ग्राम/एकड़ मात्रा बुवाई के 25-30 के अंदर 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। चने, अरहर एवं अन्य रबी फसलों में कीट

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स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छ भारत मिशन- गंदगी के कारण मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू व मलेरिया ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं। डेंगू से हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। इसका कारण भी साफ-सफाई की कमी है। डेंगू

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धान में झुलसा रोग के कारण पौधा ऊपर से सूखना शुरू हो जाता है सबसे पहले पत्ती का ऊपरी सिरा और फिर दोनों छोर से पत्तियां सूखती है। और अंत में पूरा पौधा सूख जाता है। इसके नियंत्रण के लिए

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