तिल उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीक
तिलहनी फसलों में तिल का प्रमुख स्थान है इसकी खेती खरीफ एवं रबी मौसम में की जाती है। भूमि का चुनाव – खेती अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है रेतीली, दोमट भूमि अधिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंनवीनतम उद्यानिकी (Horticulture) सम्बंधित जानकारी और कृषि पद्धतियों में नवाचार, बुआई का समय, बीज उपचार, खरपतवार नियन्तारन, रोग नियन्तारन, कीटो और संक्रमण से सुरक्षा, बीमरियो का नियन्तारन। उद्यानिकी (Horticulture) फसल सम्बंधित समस्या और उनका समाधान। टमाटर, प्याज़, आम, केला, पपीता, तरबूज़, मटर, गोभी, ककड़ी, फूल गोभी, करेला, स्टीविया, जुकिनी (तुरई), कद्दू, करेला, मिर्च, शिमला मिर्च, अरबी, रतालू, कटहल की फसल की खेती की जानकारी और नई किस्मे। ग्लेडियोलस, गुलाब, गेंदे की खेती। उद्यानिकी फसल में कीट नियंतरण एवं रोग नियंतरण। उद्यानिकी फसलों मैं बीज उपचार कैसे करे, बीज उपचार का सही तरीका। मशरुम की खेती, जिमीकंद की खेती, प्याज़ की उपज कैसे बढ़ाए, औषदि फसलों की खेती, जुकिनी की खेती, ड्रैगन फ्रूट की खेती, बैंगन की खेती, भिंडी की खेती, टमाटर की खेती, गर्मी में मूंग की खेती, आम की खेती, नीबू की खेती, अमरुद की खेती, स्ट्रॉबेरी की खेती, पपीते की खेती, मटर की खेती, शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स, लहसुन की खेती। शीत लहर में फसलों एवं सब्जियों को कीट-रोगों, पाले से बचाएँ
तिलहनी फसलों में तिल का प्रमुख स्थान है इसकी खेती खरीफ एवं रबी मौसम में की जाती है। भूमि का चुनाव – खेती अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है रेतीली, दोमट भूमि अधिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंधार। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री जे.के मोहपात्रा तथा अतिरिक्त सचिव श्री अमरजीत सिन्हा नालछा विकासखण्ड के ग्राम सुलीबयड़ी, आंवलिया, भीलबरखेड़ा व जीरापुरा में पहुँचे तथा केन्द्र सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण विकास संबंधी योजनाओं का अवलोकन
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखरीफ फसलों की बुआई जोरों पर चालू है, वर्षा की लुका-छिपी के साथ-साथ बुआई करना ‘तू डाल-डाल मैं पात-पात के समान ही होती है। बुआई करने के बाद कृषि कार्य बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। परंतु देखा यही गया है कि
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंनियंत्रण के उपाय शुद्ध बीजों का प्रयोग- बुआई हेतु प्रमाणित एवं शुद्ध बीजों का प्रयोग किया जाना चाहिए। आजकल बोये जाने वाले अधिकांश बीज अशुद्धताओं से परिपूर्ण होते हैं तथा प्रतिवर्ष खरपतवारों के प्रसारण में योगदान देते हैं। प्राय: यह
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंदूब, मोथा, कांस जैसे जिद्दी खरपतवार उत्पादन वृद्धि के रोड़ा हैं। दूब – दूब घास एक बहुवर्षीय एक पत्री खरपतवार है, जिसकी जड़ें बहुत ज्यादा फैलती हैं। कभी-कभी बीजों से भी पौधे बनते हैं। नम व गर्म मौसम में अधिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंइंदौर। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, हनी बी मधुमक्खियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके इस्तेमाल से मधुमक्खियां फसल पर आती हैं और अधिकतम मात्रा में परागण करती हैं। इस प्रकार उत्पादन में आशातीत वृद्धि मिलती है। ओशन
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंकुक्कुट पालन किसानों की आर्थिक अवस्था सुधारने का महत्वपूर्ण उद्योग है। कुक्कुट पालन से कम समय व कम व्यय में अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। हमारे देश में अभी प्रति व्यक्ति अंडा सेवन व मांस सेवन अन्य विकासशील
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंमुर्गी दाना कम खाती है और इससे प्राप्त ऊर्जा का बड़ा हिस्सा उनके शरीर की गर्मी बरकरार रखने हेतु खर्च हो जाता हैं अत: उनका अण्डा उत्पादन कम हो जाता हैं। अण्डों का आकार तथा वजन भी कम हो जाता
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें(मनीष पाराशर/यशवंत कुशवाह) खरगोन। गन्ना जोखिम रहित और विपरीत मौसम में भी उचित उत्पादन देने वाली फसल है। इससे नकद आय प्राप्त होती है, वहीं यदि किसान कुछ युक्तियों को अपनाएं तो वे अंतरवर्तीय फसलें लगाकर गन्ना फसल की लागत
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंसूक्ष्म पोषक तत्वों की भूमिका मृदा एवं पर्णवृन्त विश्लेषण के आधार पर यह पाया गया है कि कुल मिलाकर भारत में उगने वाली 40 से 60 प्रतिशत तक की फसलों में कभी न कभी किसी एक या अन्य सूक्ष्म पोषक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें