पशूओ में जू व चेचड की रोकथाम
08 जनवरी 2025, भोपाल: पशूओ में जू व चेचड की रोकथाम – बुधवार को कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण द्वारा सर्दियों में पशुओ का स्वास्थ्य प्रबंधन एवं देखभाल विषयक किसान चौपाल का आयोजन ग्राम दुधिया रामदेवरा में किया गया। ठंड के मौसम मे पशुओ के रख रखाव एवं पोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है ताकि शीत लहर के प्रभाव को कम कर आर्थिक नुकसान से बचाव हो सके। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ दशरथ प्रसाद ने बताया की क्षेत्र में बढ़ते ठंड एवं शीतलहर के प्रकोप में पशुओ का उचित प्रबंधन करके दूध उत्पादन गिरने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने ठंड में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चलाए जाने वाले विशेष टीकाकरण अभियानों में टीके लगवानेहेतु पशुपालकों से अपील कीजिससे पशु ठंड के मौसम में विशेषत: गलघोटू औरखुरपका- मुंहपका की बीमारी से पशुओ का बचाव हो सके।कार्यक्रम में पशुपालन वैज्ञानिक डॉ राम निवास ने बताया कि पशु को दैनिक गतिविधियो को पूरा करने के लिए जो ऊर्जा लगती है उसकी अवश्यकता बढ़ जाती है इसलिए आहार की मात्रा समान्य से ज्यादा देना चाहिए नही तो उत्पादन प्रभावित होगा l सर्दी के मौसम में पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए तथा सांद्र आहार रात्री के समय देना चाहिए जिससे की इससे उत्पन्न ऊर्जा पशु को अंदर से रात भर गरम रखेगी जिससे काफी हद तक ठंड से बचने मे मदद मिलती है।
पशु के शरीर की निर्वहन के लिएएक लिए गाय के लिए 1किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन दाना देना चाहिए और गाय मे 2.5 लीटर दूध पर तथा भैंस मे 2 लीटर दूध पर 1 किलो संतुलित आहार अतिरिक्त देना चाहिए l पशूओ में जू व चेचड की रोकथाम हेतु साईपरमेथ्रिन दवा से पशुबाड़े का उपचार करना चाहिएl अधिक दूध उत्पादन करने वाले पशुओ मे बाईपास प्रोटीन ओर बाईपास वसा आहार मे खिलाना चाहिएतथा सरसों, तिल, मूंगफली, अलसी तथा बिनौले आदि की खली को खिलाने से दूध की मात्रा एवं पौष्टिकता में वृद्धि होती है। केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ के जी व्यास ने बताया कि अत्यधिक सर्दी के समय पशुओं को जूट के बोरे बनाकर ओर अच्छी तरीके से पहना दे एवं हरे चारे की मात्रा आहार में शामिल करनी चाहिये। इसके अलावा गर्मी के लिए पशुओं के पास अलाव जला कर भी रख सकते है।
पशु को खुले आसमान के नीचे न बांधें तथा पशुओं को छप्पर व शेड से ढके हुए स्थानों में रखें और रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट व बोरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं तक न पहुंचे। खासकर नवजात तथा छह माह तक के बच्चों की विशेष देखभाल करें, पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करे ताकि जलभराव न हो पाए। पशुबाड़े को नमी से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे। ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाये।
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