पशुपालन (Animal Husbandry)

बकरियों की प्रमुख नस्लें एवं लक्षण

लेखक: डॉ. राजेश कुमार द्य डॉ. रविंद्र कुमार, अविनाश चौहान, कृषि विज्ञान केन्द्र, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद, वैशाली वर्मा, सीएस आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर, rajeshkumarmahla46@gmail.com

12 अगस्त 2024, भोपाल: बकरियों की प्रमुख नस्लें एवं लक्षण – बकरी पालन को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने में नस्लों के चुनाव का बहुत विशेष महत्व है। भारत में बकरी पालन भूमिहीनों एवं गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की जीविका का मुख्य साधन है। हमारे देश के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में बकरियों की 23 शुद्ध नस्लें पायी जाती हैं। इसके अलावा लगभग 75 प्रतिशत देशी बकरियां भी मिलती हैं। वर्तमान में हमारे देश में बकरियों की कुल संख्या 14 करोड़ के करीब हैं। जो कि संसार भर में सर्वाधिक हैं। बकरियां मांस, दूध, रेशा व चमड़ा उत्पादन का प्रमुख स्त्रोत हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 4.2 प्रतिशत लोगों का रोजगार का साधन बकरी पालन से होता है। देश में बकरियों की पर्याप्त संख्या है। विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में पायी जाने वाली भारतीय बकरियों की नस्लें शरीर के आकार, प्रकार एवं गठन में भी भिन्न हैं। उदाहरण के तौर पर पूर्वी क्षेत्रों में पायी जाने वाली बकरियां कद में छोटी व चुस्त गठन की होती है, किन्तु बहुप्रसवता गुण के कारण प्रति बकरी एक से अधिक मेमने देती हैं, जिससे इनके द्वारा अच्छी मात्रा में मांस का उत्पादन होता है। भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में पाई जाने वाली बकरियों की नस्लों का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।

जलवायु क्षेत्र: बकरी की नस्लों के वर्गीकरण हेतु देश के प्रमुख चार जलवायु क्षेत्र

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उत्तर का ठंडा क्षेत्र

इस क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल व उत्तर-प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र आते हंै। बकरियों की कुल संख्या का 2.4 प्रतिशत भाग इस क्षेत्र में पाया जाता है। इस शीत अंचल में पायी जाने वाली बकरियों से मांस इत्यादि भी प्राप्त किया जाता है। कभी-कभी इनका उपयोग भारवहन के लिये भी किया जाता है।

  • गद्दी- कांगडा, कुलु, शिमला, चापा क्षेत्रों में (हिमाचल प्रदेश)
  • चांगथांगी- चांगथांग-लद्दाख, लेह की पहाड़ी क्षेत्रों में
  • चेगू- लाहुल व स्थित पहाड़ी क्षेत्र (उत्तराखण्ड़)

उत्तर-पश्चिमी शुष्क क्षेत्र

इसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश के मैदानी भाग, गुजरात व मध्य प्रदेश के शुष्क व अद्र्धशुष्क क्षेत्र आते हैं। इस क्ष्ेात्र में कृषि योग्य भूमि कम होने व वातावरण के मरूस्थलीय होने के कारण बकरी-पालन काफी सहज है। यहां भेड़ व बकरीपालन एक व्यवसाय के रूप में किया जाता है, जिसे परम्परागत ढंग से गडरिये करते हैं। इस क्षेत्र में बकरियों की सर्वाधिक नस्लें पाई जाती है। बकरियों की कुल संख्या का 39.3 प्रतिशत भाग इस क्षेत्र में पाया जाता है जो कि सभी क्षेत्रों की तुलना में सर्वाधिक हैं।

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इस क्षेत्र की प्रमुख नस्लें

  • सिरोही – सिरोही क्षेत्र (राजस्थान)।
  • मेहसाना – गुजरात के मेहसाना, बडौदा, गांधीनगर क्षेत्रों में।
  • मारवाड़ी- राजस्थान के जोधपुर, पाली, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर आदि क्षेत्र में।
  • बीटल- पंजाब के गुरूदासपुर, फिराजपुर अमृतसर क्षेत्रों में।
  • जखराना- राजस्थान के भलवर,नागौर क्षेत्रों में।
  • बारबरी- उत्तर प्रदेश के इटावा, आगरा, अलीगढ़ क्षेत्रों में।
  • जमनापारी- उत्तर प्रदेश के इटावा, आगरा, मथुरा क्षेत्रों में।
  • गोहिलाबादी– गुजरात के भावनगर, जूनागढ़, अमरेली क्षेत्रों में।
  • जालाबादी- गुजरात के सुन्दरनगर राजकोट, जालावाड़ क्षेत्रों में।
  • कच्छी- गुजरात के कच्छ,काठियावाड़ क्षेत्रों में।
  • सुरती- गुजरात के सूरत, बडोदा क्षेत्रों में।

दक्षिणी क्षेत्र

इस क्षेत्र में महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के मध्य भाग व समुद्रतटीय उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र आते हैं। इस क्षेत्र में पायी जाने वाली बकरी की सभी नस्लें अच्छी मांस उत्पादक होती हैं। बकरियों की कुल संख्या का 26.2 प्रतिशत भाग इस क्षेत्र में पाया जाता हैं, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बकरी पालन का व्सावसायिक रूप इस क्षेत्र में उभर कर सामने आ रहा हैं, अत: इस दृष्टि से बकरियों के विकास की यहॉं काफी संभावनाएं हैं। यहां निजी क्षेत्र में भी बकरियों के अच्छे फार्म हैं। देश-विदेश की बकरियों की नस्लों का पालन किया जाता हैं।

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इस क्षेत्र की प्रमुख नस्लें

  • सॉंगमनेरी – पुणे, अहमदनगर क्षेत्रों में।
  • उस्मानाबादी- महाराष्ट्र के ओस्मानाबाद, अहमदनगर, शोलापुर क्षेत्रों में।
  • कनाई-अडू- तमिलनाडू के रामनाथपुरम, त्रिनेलोची, तूतीकोरण क्षेत्रों में।
  • मालाबारी- केरला के कलिकट, कोटट्यम, मालावार पहाड़ी क्षेत्रों में।

पूर्वोत्तर क्षेत्र

इस क्षेत्र विशेष में बिहार,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम और भारत के पूर्वोत्तर राज्य आते है। इस क्षेत्र की जलवायु अधिकतर उष्ण तथा आद्र्र है। यहां पर बकरियों की केवल दो नस्लें मिलती हैं जिनमें ब्लैक बंगाल नस्ल अपनी जनन क्षमता व अच्छे मांस उत्पादन हेतु विश्व प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में बकरियों की कुल संख्या 32.1 प्रतिशत भाग पाया जाता हैं।

इस क्षेत्र की प्रमुख नस्लें

  • गंजम- उड़ीसा के दक्षिणी जिलों गंजम व कोरापुत में।
  • ब्लैक बंगाल- पश्चिम बंगाल,असम व समस्त पूर्वाचल राज्यों में ।

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