पशुपालन (Animal Husbandry)

मध्य प्रदेश : राजभवन की गौशाला में तैयार हुआ उन्नत नस्ल का भ्रूण

मध्य प्रदेश : राजभवन की गौशाला में तैयार हुआ उन्नत नस्ल का भ्रूण

भोपाल। मध्य प्रदेश राजभवन की गौशाला को आदर्श गौशाला के रूप में विकसित कर आधुनिक विधि से गौपालन के साथ ही भ्रूण प्रत्यारोपण भी किया जा रहा है। राजभवन गौशाला की उन्नत दुग्ध उत्पादक नस्ल राठी की गाय से 12 भ्रूणों का एकत्रण कर देशी नस्ल की गायों में प्रत्यारोपित किया गया है। प्रदेश की एकमात्र राठी नस्ल की गाय और थारपारकर नस्ल की गाय को डोनर के रूप में तथा 6 अन्य गायों का पालन किया जा रहा हैं।राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने गौवंश नस्ल सुधार कार्यक्रम के प्रभावी संचालन की जरूरत बताई है। उन्होंने देशी नस्लों को सुधार कर उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के निर्देश दिए है। देशी नस्ल के गौवंश के पालन के लिए कृषकों, पशु पालकों को प्रेरित करने पशु पालन को लाभकारी बनाने के प्रयासों के लिए निर्देशित किया है।

Advertisement
Advertisement

राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने बताया कि राठी नस्ल से एकत्रित 12 भ्रूणों में से दो भ्रूण राजभवन स्थित गिर और साहीवाल नस्ल की गायों में रोपित किए गए है। शेष भ्रूण बुलमदर फार्म स्थित मालवी नस्ल की सात गायों में प्रत्यारोपित किए गए है। भविष्य में उपयोग के लिए तीन भ्रूण संरक्षित किये गये हैं। भ्रूण प्रत्‍यारोपण तकनीक का उपयोग कर देशी नस्‍लों की अनुवांशिकता में सुधार कर दुग्‍ध उत्‍पादन में वृद्धि का प्रयास है। इस तरह देशी गायों को पशुपालकों के लिए लाभकारी बना उनके पालन के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित करने की कोशिश है। उन्होंने बताया कि भ्रूण प्रत्यारोपण कार्य म.प्र. राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के तकनीकी दल द्वारा किया गया।

गौशाला में अनेक नस्लें राजभवन की गौशाला में मालवी, निमाड़ी, साहीवाल, कांकरेज, थारपारकर और राठी नस्ल की एक-एक गाय और गिर नस्ल की दो गायों का पालन हो रहा है। गौशाला की मालवी नस्ल की गाय में गिर नस्ल और गिर नस्ल की गाय में साहीवाल नस्ल के भ्रूण का भी प्रत्यारोपण किया गया है।

Advertisement8
Advertisement

साहीवाल गाय और उसकी खासियत

Advertisement8
Advertisement
मध्य प्रदेश : राजभवन की गौशाला में तैयार हुआ उन्नत नस्ल का भ्रूण
मध्य प्रदेश : राजभवन की गौशाला में तैयार हुआ उन्नत नस्ल का भ्रूण

उन्होंने बताया कि राठी गौवंश की गायें राजस्थान राज्य के बीकानेर, गंगा नगर, हनुमानगढ़ जिलों में पाई जाती है। यह बहु उपयोगी नस्ल है। दूध उत्पादन और भारवाहन दोनो कार्यों में उपयुक्त है। यह नस्ल सफेद, भूरे तथा चित्तेदार रंग में पाई जाती है। इसका औसत दुग्ध उत्पादन 1500 से 1600 किलोग्राम प्रति लेकटेशन है। उन्नत नस्ल की गाय 2800 किलोग्राम प्रति लेकटेशन तक की होती है। इसी तरह साहीवाल नस्ल के पशु पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के गंगा नगर जिले में पाए जाते हैं। इस नस्ल के पशु भारी शरीर, त्वचा ढीली, सींग छोटे होते है। इनका रंग लाल होता है। दुग्ध उत्पादन एक ब्यात औसतन 2200 से 2500 किलोग्राम तक होता है। गिर गौवंश भी भारतीय गौवंश की दुधारू नस्ल है। गिर नस्ल के पशु गुजरात के गिर फॉरेस्ट, सौराष्ट्र तथा दक्षिण कठियावाड़ में पाये जाते हैं। सींग मोटे, पीछे की ओर विशिष्ट आकार के (अर्थ चंद्राकार) मुड़े हुए तथा माथा चौड़ा और उभरा हुआ होता है। गहरे लाल या लाल रंग पर सफेद धब्बे या पूरी तरह लाल अथवा कुछ पशु सफेद या काले भी हो सकते हैं। इनका भी दुग्ध उत्पादन औसतन 2000 से 2500 किलोग्राम प्रति ब्यात है। भारतीय गौवंश की मालवी नस्ल भारवाहक नस्ल है। मालवी नस्ल के पशु मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के मुख्यत: शाजापुर, आगर-मालवा, राजगढ़ तथा उज्जैन आदि जिलों में पाये जाते हैं। सुडौल शरीर, मध्यम कद, लम्बी पूछ, सींग ऊपर, बाहर एवं आगे की और झुके हुए। रंग-मुख्यत: सफेद तथा नर के गर्दन तथा कंधों पर काला रंग लिये हुए होता है।

देशी गाय के दूध में अनेक विशेषताएं

उल्लेखनीय है कि देशी गाय के दूध में अनेक विशेषताएं होती है। इसके सेवन से बच्चों के विकास के साथ ही उनकी कुशाग्रता में वृद्धि होती है। इसमें वसा की मात्रा काफी कम होती है। जिससे यह सुपाच्य होता है।इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, फॉसफोरस और विटामिन ‘ए’ एवं अन्य पोषक तत्व होते हैं। चिकित्सकों ने बच्चों, बीमार एवं वृद्धजनों के लिए इसको उपयुक्त बताया है। देशी गाय के दूध से अच्छा कोलेस्ट्रोल एचडीएल बढ़ता है और खराब कोलेस्ट्रोल एलडीएल घटता है, जिससे ह्दय भी स्वस्थ रहता है।

Advertisements
Advertisement5
Advertisement