गर्मी में पशुओं की देखभाल कैसे करें
- डॉ. विस्टर जोशी
कृषि प्रसार वैज्ञानिक, डॉ. अनुज कुमार गौतम
पशुपालन वैज्ञानिक, प्रोग्राम सहायक
अनुराग कुमार
कृषि विज्ञान केन्द्र, जालौन
10 मई 2021, जालौन। गर्मी में पशुओं की देखभाल कैसे करें – मौसम धीरे-धीरे बड़ता जा रहा है। गर्मी के साथ धूप असहनीय होने लगी है। तीखी धूप व गर्मी से इंसान तो परेशान होते ही है साथ में बेजुबान भी मुस्किल में आ जाते हैं। उन पर हीट स्ट्रोक का खतरा मंडराने लगता है। ऐसे में पशुपालक व किसानों ने पशुओं की देखभाल में जरा भी लापरवाही की तो पशुओं को नुकसान पहुंच सकता है। लापरवाही से मवेशी संकट में आए तो उनके इलाज को लेकर पशुपालकों की भी दिक्कत बढ़ेगी। यदि शीघ्र उपचार नहीं मिला तो पशुओं की मौत तक हो जाती है। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादन प्रभावित होता है। जैसा की पशुपालक भाई जानते हैं, यदि तापमान में 1 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि होती है तो दुग्ध उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की हानि होती है ।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
- सुबह के समय मवेशी के शरीर का सामान्य तापमान 100 से 102 डिग्री तथा दोपहर से शाम तक 104 से 106 डिग्री फारेनहाईट तक हो जाता है।
- गर्मी के मौसम में पशुओं का स्वशन गति बढ़ जाता है पशु हाफने लगता है उसके मुंह से लार गिरने लगती है।
- शरीर का तापमान बढऩे के कारण मवेशी खाना पीना छोड़ देते हैं। कुछ पशु तो लगभग 50 प्रतिशत ड्राई मैटर खाना छोड़ देते है
- पशु कमजोर होने लगता है दुधारू मवेशी दूध कम कर देते हैं।
- पशुओं में पानी की आवश्यकता बड़ जाती है।
- शरीर में पानी की कमी होने से गोबर रुक जाता है।
- यदि नर पशु लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहे तो उसके वीर्य की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
- लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहने पर पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
- अत्यधिक गर्मी के कारण मादा पशुओं के प्रजनन दर में कमी आ जाती है।
आहार प्रबंधन:
- पशुओं को हरा चारा देना चाहिए अगर हरा चारा उपलब्ध ना हो तो पेड़ की पत्ती जैसे आम की पत्ती, बबूल की पत्ती, जामुन के पत्ते इत्यादी देना चाहिए।
- चूंकि गर्मी में पशु आहार खाना कम कर देते है इसलिये संतुलित राशन देना चाहिए जिससे पशुओं की उत्पादन क्षमता बनी रहे।
- गर्मियों के मौसम में पैदा की की की गई जो ज्वार या चरी जहरीला हो सकता है जो पशुओं के लिए हानिकारक होता है। अत: इस मौसम में यदि बारिश नहीं हुई है तो ज्वार खिलाने के पहले खेत में 2-3 बार पानी लगाने के बाद ही खिलाना चाहिए।
क्या बरतें सावधानी:
- पशुओं को छायादार स्थान पर रखें धूप में चरने के लिए ना छोड़े ।
- गर्मी के मौसम में पशुओं को प्रात: काल 9:00 बजे तक एवं शाम 5:00 बजे के बाद चराना चाहिए क्योंकि इस समय तापमान कम रहता है।
- धूप से लाने के बाद कुछ देर छाया में बांधे तब पानी पिलाएं।
- सुबह और शाम को सूर्यास्त के बाद नहलाने का प्रयास करें।
- पशुशाला के ऊपर पुआल डालें ताकि वह गर्म ना हो।
- हमेशा पशुओं को बांधने के लिए छायादार और हवादार स्थान का ही चयन करे।
- पशुओं को हरा चारा खिलाएं।
- यदि संभव हो तो डेयरी शेड में दिन के समय कूलर, पंखे आदि का इस्तेमाल करे।
- दोपहर के समय खिड़की और दरवाजे को जूट या टाट से अच्छी तरह से ढंक देना चाहिए और उस पर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए ।
- जो किसान सक्षम है वह पशुशाला के अन्दर दुधारू पशुओं के लिए स्प्रिंकलर या फव्वारा लगा सकते हंै।
- पशु को पीने के लिए ठंडा साफ सुथरा पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए।
- भैंसों को गर्मी में 3-4 बार और गायों को कम से कम 2 बार नहलाना चाहिए।
- विशेष रूप से भैंसों के लिए तालाब होना जरूरी है जिसमें वे कुछ देर तक रह सके, इससे भैंस का शारीरिक तापमान कम होता है।
- पशुशाला में प्रत्येक पशुओं को पर्याप्य मात्रा में स्थान उपलब्ध कराये ।
- पशुशाला के छत की ऊंचाई अधिक से अधिक हो।