Animal Husbandry (पशुपालन)

कुक्कुट पालन योजनाओं की विसंगतियां

Share

16 दिसंबर 2021, इंदौर । कुक्कुट पालन योजनाओं की विसंगतियां – कृषक जगत के 6 दिसंबर 2021 के अंक में ‘ आर्थिक स्थिति में सुधार लाने वाली कुक्कुटपालन की दो योजनाएं ‘ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसमें 40 रंगीन चूजों की बैकयार्ड इकाई और कड़कनाथ कुक्कुट इकाई की विस्तृत और अनुदान संबंधी जानकारी दी गई थी।    
                                                       
उक्त योजनाओं की विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए अजड़ावदा जिला उज्जैन के उन्नत कृषक श्री योगेन्द्र कौशिक ने कहा  कि  शासन की यह योजनाएं अच्छी है, लेकिन कई हितग्राही और विशेषज्ञ से चर्चा में इसकी कई विसंगतियां सामने आई हैं, जिनमें सुधार की अपार संभावनाएं हैं । जैसे इस योजना में कलस्टर के अनुसार 300 हितग्राही होना आवश्यक है । प्रायः एक साथ 300 हितग्राहियों का इकट्ठा  होना बहुत मुश्किल होता है। साथ ही विभाग की गाड़ी इनको कब,कैसे चूजें देने आएगी । हितग्राहियों का एक साथ उस दिन इकट्ठा हो पाएंगे  कि वह मजदूरी करने अन्यत्र चले जाएंगे । ऐसी कई विसंगतियां हैं। इसके अलावा उसकी राशि कौन जमा करेगा और कहाँ जमा होगी , क्या  कोई लेने आएगा या इसके लिए कोई अधिकारी नियुक्त हैं? अनुदान की राशि भी समय पर कैसे मिलेगी ?आदि  कई अन्य बातें भी विचारणीय हैं।

श्री कौशिक के अनुसार सबसे बड़ी दिक्कत तो कलस्टर और 300 हितग्राही का होना है। इसे व्यक्तिगत करना ठीक रहेगा। पशुपालन विभाग में इच्छुक व्यक्ति आवेदन करें।  विभाग अपने निर्धारित कोटे के अनुसार आवेदन स्वीकृत करें और आवेदकों को सारी सुविधा सिंगल विंडो जैसी मिल जाए।अच्छा हो कि जो किसान चाहे, स्वयं अच्छे चूजे देखकर सरकार की अधिकृत एजेंसी, कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ आदि से खरीद लें। पक्का बिल लेकर  विभाग में जमा कर भौतिक सत्यापन करवा लें। उसी के आधार पर विभाग सीधा अनुदान दे दे । कलस्टर और 300 हितग्राही वाली योजनाएं शिथिल/समाप्त कर देनी चाहिए, तो ही यह योजना सफल होगी और हितग्राही लाभान्वित होंगे।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *