प्रदेश में 1 हजार 29 पशु शिविर और 198 चारा डिपो स्वीकृत
गांवों और ढाणियों में टैंकर्स से किया जा रहा जल परिवहन
17 मई 2022, जयपुर । प्रदेश में 1 हजार 29 पशु शिविर और 198 चारा डिपो स्वीकृत – आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग मंत्री श्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि गर्मी के मौसम को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश भर में पशु संरक्षण एवं पेयजल परिवहन की गतिविधियां प्रभावी तरीके से संचालित की जा रही हैं। अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाना और पशुओं के लिए चारा उपलब्धता सुनिश्चित करना, राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसमें किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी।
श्री मेघवाल ने बताया कि आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पशु शिविर एवं चारा डीपो संचालित करने के दिशा-निर्देश 10 जनवरी को जारी कर दिए गए। इसकी अनुपालना में अब तक जैसलमेर में 738, बाड़मेर में 286, जोधपुर में 3 और पाली में 2 सहित कुल 1 हजार 29 पशु शिविर स्वीकृत किए गए हैं। इसी प्रकार बाड़मेर में 49, बीकानेर में 44, जोधपुर में 39 तथा पाली में 66 सहित कुल 198 चारा डीपो स्वीकृत किए जा चुके हैं। चारे की कालाबाजारी रोकने के लिए विभाग द्वारा 4 मई को सभी जिला कलक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी करते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि गौशालाओं को छोड़कर कोई भी व्यापारी 100 मेट्रिक टन से अधिक चारा भंडारण नहीं करेगा।
आपदा प्रबंधन मंत्री ने बताया कि अन्य राज्यों एवं जिलों से चारे की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गृह विभाग को निर्देशित किया गया है। चारे की उपलब्धता एवं दरों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए मध्यप्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब में टीमें भिजवाई गई हैं। मध्यप्रदेश एवं हरियाणा से आने वाले चारे को राजस्थान में निर्बाध रूप से आने देने के लिए पत्र लिखा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के संबंध में चारे को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को निवेदन किया गया है।
अंतिम छोर तक पहुंचाया जा रहा पेयजल
आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी व्यक्ति पेयजल के अभाव में प्यासा नहीं रहे। इसके मद्देनजर प्रदेश की दूरस्थ गांव-ढाणियों में टैंकर्स के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 3 हजार 440 गांवों और 4 हजार 639 ढाणियों में 1 हजार 887 टैंकर्स द्वारा 7 हजार 938 फेरों से जल परिवहन किया जा रहा है। इसी प्रकार 62 शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 529 टैंकर्स द्वारा 4 हजार 101 ट्रिप से जलापूर्ति की जा रही है। साथ ही पाली में विशेष ट्रेन से जलापूर्ति की जा रही है।
एक्टिव मोड पर रहें नियंत्रण कक्ष
श्री मेघवाल ने कहा कि गर्मी के दृष्टिगत प्रत्येक जिला और उपखण्ड स्तरीय नियंत्रण कक्ष एक्टिव मोड पर रहें। प्रत्येक कॉल पर त्वरित रेसपोंस हो। पेयजल की मांग के साथ ही आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। इसमें पूर्ण पादर्शित रखी जाए। उन्होंने कहा कि यदि काई निजी टैंकर निर्धारित से अधिक राशि की मांग करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने बताया कि उन्होंने विभिन्न जिलों का दौरा करते हुए पेयजल वितरण और चारा प्रबंधन की समीक्षा की है। प्रत्येक जिले में प्रभावी व्यवस्था हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
अस्पतालों में माकूल हों सभी आवश्यक व्यवस्थाएं
आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि लू-ताप लहर के मद्देनजर चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक दवाइयां, बैड, कूलर, पंखे, चिकित्सकीय स्टाफ की व्यवस्था चाक-चौबंद रहे। इसके मद्देनजर नियंत्रण कक्ष की स्थापना, रेपिड रेसपोंस टीमों का गठन तथा 108 एम्बूलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बताया कि लू-ताप लहर से संबंधित कार्यवाही के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग नोडल विभाग होगा तथा सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी। लू-ताप संबंधी एक्शन प्लान सभी जिलों को भिजवाया जा चुका है।
लू के मद्देनजर सावधानी का आह्वान
आपदा प्रबंधन मंत्री श्री मेघवाल ने लू से बचाव के लिए आमजन से पूर्ण सावधानी का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि गर्मी के मद्देजनर पर्याप्त मात्रा में पानी, छाछ, नींबू पानी और आम का पना का उपयोग करें। यात्रा के दौरान पानी साथ रखें और निर्जलीकरण से बचने के लिए ओआरएस का उपयोग करें। संतुलित, हल्का और नियमित भोजन करें। हल्के रंग के सूती और ढीले कपड़े पहनें तथा सर को ढकें एवं कड़ी धूप से बचें। दोपहर 12 से अपराह्न 3 बजे तक सूर्य के ताप से बचाव सुनिश्चित करें तथा अत्यंत आवश्यक हो तो घरों से बाहर जाएं। जानवरों को छाया में बांधें और उन्हें पर्याप्त पानी पिलाएं। लू के लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।