नवीन कॉम्पेक्ट भूसा कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन
कम्बाईन मशीन से गेहूं की कटाई में भूसे का नुकसान होता है, कटाई के पश्चात खेत खाली करने के लिये प्राय: किसान खेत में मशीन द्वारा गिराये हुए पौधों के डंठल एवं भूसे को जला देते हैं। जिससे कि पर्यावरण दूषित होता है। साथ-साथ कीमती भूसा जो कि पशुओं के आहार के काम आता है जलकर राख हो जाता है। पौधों के अवशेष जलाने का दुष्परिणाम भूमि ती उर्वराशक्ति एवं जैविक क्रियाओं पर भी पड़ता है। इन कमियों को देखते हुए कुछ किसानों के मन में कम्बाईन द्वारा गेहूं की कटाई में वांछित रूचि का अभाव देखा गया है। समय से कटाई हेतु एवं मशीन का उपयोग बढ़ाने हेतु उपरोक्त समस्या का निदान निकालते हुए केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, एक नई और कॉम्पेक्ट भूसा कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर मशीन का विकास किया है। विकसित मशीन का परीक्षण विगत गेहूं कटाई के मौसम में किया गया, जिसका परिणाम बहुत ही उत्साहवर्धक एवं सराहनीय रहा है।
भारतवर्ष की मुख्य फसल गेहूं है। अनाजों में धान के बाद गेहूं का रकबा आता है। देश में प्रतिवर्ष गेहूं का उत्पादन बढ़ते हुए वर्ष 2009 में 806 लाख टन तथा वर्ष 2010 में बढ़कर 809 लाख मीट्रिक टन हो गया। इस प्रकार गेहूं की उपज के साथ-साथ लगभग इतनी मात्रा में या इससे अधिक भूसे की पैदावार हुई। |
प्रचलित स्ट्रा रीपर पूर्व में निर्मित मशीन से भूसे की कटाई करने में मुख्य रूप से ट्रैक्टर, स्ट्रा रीपर एवं दो पहिए वाला ट्रैलर जोड़कर चलाने में मशीन की कुल लम्बाई लगभग 11 मीटर से अधिक हो जाती है जिससे मोडऩे में कठिनाई आती है। मशीन को मोडऩे का अर्धव्यास लगभग 5.94 मीटर आता है। मशीन से भूसा कटाई में विशेषकर खेत में किनारे मेड़ों के पास कठिनाई आती है तथा समय भी अधिक लगता है। मशीनों को जोडऩे में अधिक समय की क्षति होती है। स्ट्रा रीपर, ट्रैलर को जोड़कर मशीन का कुल वजन लगभग 3350 किलोग्राम हो जाता है जिसका ट्रैलर में भूसा भरने के बाद कुल वजन लगभग 4350 किलोग्राम हो जाता है। अत: ट्रैक्टर को चलाने में डीजल का खर्च बढ़ जाता है एवं ट्रैक्टर पर भार बढऩे से उसकी आयु एवं कार्य के करने पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भूसे को ट्रैलर में भरने एवं उतारने के लिए अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है। श्रमिकों को भूसा उतारने में कठिनाई भी आती है। इन समस्याओं का हल निराकरण हेतु एक नई और कॉम्पेक्ट भूसा कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन का विकास किया गया है। |
भूसा बिन (ट्राली) – लंबाई 2.9 मीटर, चौड़ाई 1.9 मीटर, ऊंचाई सामने 1.5 मीटर, 2 मीटर पीछे की तरफ से, ट्राली आयतन 11.02 घन मीटर इस मशीन की तुलना में स्ट्रा रीपर (भूसा कटाई मशीन) के साथ अलग से एक ट्रैक्टर एवं ट्रैलर का उपयोग होता है जिसमें अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है और प्रचालन में भी कठिनाई आती है। इस प्रकार कुल मिलाकर मशीन एवं तंत्र की क्षमता घट जाती है एवं प्रति इकाई भूसा कटाई का खर्च बढ़ जाता है। मशीनों का तुलनात्मक अध्ययन गेहूं की शरबती एवं एच.आई. 1544 किस्मों पर किया गया और परीक्षण से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले गए।
1. विकसित की गई स्ट्रा कम्बाइन के प्रचालन में आसानी एवं अधिक क्षमता प्राप्त हुई। मशीन को मोडऩे का अर्धव्यास 4 मीटर घट गया। स्ट्रा रीपर एवं ट्रैक्टर ट्रैलर को मोडऩे का अर्धव्यास लगभग 1.85 मीटर मापा गया।
2. विकसित की गयी मशीन सुविधापूर्वक सकरी सड़कों से ले जाने में एवं छोटे खेतों में चलाते समय कठिनाई का अनुभव नहीं हुआ जबकि स्ट्रा रीपर एवं ट्रैक्टर ट्रैलर के प्रचालन में सकरी सड़कों एवं गलियों एवं में ले जाने एवं मोडऩे में अत्यंत कठिनाई होती है।
3. विकसित की गयी मशीन के भूसे को खाली करने में एवं वांछित स्थान पर रखने में सरलता और समय की बचत होती है।
4. विकसित मशीन के उपयोग में प्रचलित मशीन प्रणाली की तुलना में कम श्रमिक लगे।
5. विकसित की गयी मशीन से डीजल का खर्र्च प्रति घंटे लगभग 0.3 लीटर कम लगा अत: इस प्रकार ऊर्जा की बचत होती है एवं प्रचालन खर्च में कमी आती है।
6. विकसित मशीन का वजन स्ट्रा रीपर एवं ट्रैक्टर ट्रैलर सिस्टम की तुलना में लगभग 1100 किलोग्राम कम है (विकसित मशीन का वजन लगभग 2200 किलोग्राम, स्ट्रा रीपर एवं ट्रैक्टर ट्रैलर का वजन लगभग 3300 किलोग्राम)
7. विकसित मशीन एव स्ट्रा रीपर एवं ट्रैक्टर ट्रैलर के प्रचालन के लाभ का अनुपात लगभग 1:1.61 पाया गया।
8. विकसित मशीन से प्रति क्विंटल भूसा कटाई का खर्च प्रति क्विंटल लगभग 105.6 रुपये आता है।
9. विकसित मशीन द्वारा काटे गए भूसे की गुणवत्ता गहाई मशीन से निकाले गए भूसे की गुणवत्ता के बराबर पाई गई। प्राप्त भूसे का घनत्व लगभग 80 किलोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया।
10. विकसित मशीन से भूमि की स्तर से औसतन लगभग 8 से.मी. की ऊंचाई से फसल के डंठल काटे गए।
11. विकसित की गयी मशीन से लगभग 90 से 95 प्रतिशत बारिक और नरम टुकड़ों के रूप में भूसा प्राप्त हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जानवर भूसे को चाव से खाते हैं।
12. विकसित मशीन के क्रय में अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है और मशीन की कीमत लगभग दो सीजन में काम करने से प्राप्त हो जाती है।
13. मशीन से लगभग 75 से 80 प्रतिशत खेत में कटे हुए गेहूं की डंठल को मशीन द्वारा काटकर भूसा बनाया जाता हैं।
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नई मशीन का विवरण
यह एक ट्रैक्टर से खींच कर पावर ऑफ (पी.टी.ओ.) एवं हाइड्रोलिक शक्ति से चलने वाली मशीन है, जिससे ट्रैक्टर के पीछे ड्रा बार में जोड़कर चलाया जाता है। इस मशीन के कई भाग हैं। जैसे हेडर इकाई, गहाई इकाई, ब्लोवर इकाई एवं भूसे के लिये मशीन के ऊपर बनी हुई भूसे की बिन है। हेडर इकाई में पौध लिफ्टर, कटर बार, रील, आगर फीडर तथा कन्वेयर आते हैं। ये पुर्जे खेच में कटे हुए पौधों के अवशेष, डंठल, झुकी एवं मुड़ी हुई फसल की जमीन से लगभग 7 से 8 से.मी. की ऊंचाई से कटाई गहाई को भेजने में मदद करते है। तत्वावधान गहाई इकाई मड़ाई का काम करती है।
जिससे पौधों के डंठल छोटे-छोटे टुकड़ों में होकर भूसे के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यहीं पर भूसे एवं दानों की छनाई होती है और इस प्रकार दानें कान्केव जाली से अलग होकर अनाज की ट्रे में एकत्र होते हैं एवं भूसा पंखे के द्वारा उड़ा करके भूसे की बिन में पहुंचा दिया जाता है। यह प्रक्रिया जब तक मशीन चलाई जाती है चलती रहती है। इन सभी तंत्रों को चलाने के लिये ट्रैक्टर के पावर टैक ऑफ शाफ्ट से बिवेल गियर को शक्ति दी जाती है जो आगे चलकर बेल्ट पुली की मदद से शक्ति पारेषण द्वारा विभिन्न पुर्जों को चलाने में सहायता करती है। कम्बाइन मशीन के चालन के परिणामस्वरूप लगभग आधे घंटे में भूसे से बिन भर जाती है। तत्पश्चात् आवश्यकतानुसार ट्रैक्टर चालक या तो खेत के किसी कोने में, खलिहान में या स्टोर में (भूसा भंडार) में ले जाकर ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक सिलेंडर की शक्ति की सहायता से ट्राली को तिरछा करके भूसे से खाली कर लेते हैं। तिरछा करने से पूर्व बिन के पिछले गेट के लिन्च पिन को खोल देते हैं जिससे कि भूसे के दबाव से गेट स्वत: खुल जाता है और इस प्रकार बिना श्रमिक के स्वत: भूसा जल्दी खाली हो जाता है।
तकनीकी विवरण
मशीन की कुल लंबाई 4 मीटर, चौड़ाई 2.4 मीटर, ऊंचाई 2.8 मीटर, कटर बार की चौड़ाई 2.13 मीटर, रील की चौड़ाई 2 मीटर।
केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान नबी बाग, बैरसिया रोड, भोपाल
फोन : 0755-2521133