मारुत ड्रोन्स ने तेलंगाना के धान किसानों को सिखाई ड्रोन से सीधी बुआई
25 जनवरी 2025, तेलंगाना: मारुत ड्रोन्स ने तेलंगाना के धान किसानों को सिखाई ड्रोन से सीधी बुआई – धान की खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मारुत ड्रोन्स (Marut Drones) ने महबूबनगर जिले के बूथपुर गांव में ड्रोन से सीधी बुआई (Direct Seeded Rice- DSR) का लाइव प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय कृषि अधिकारी, किसान समूह और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष जी. चिन्णा रेड्डी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
ड्रोन तकनीक से धान की सीधी बुआई: क्या हैं फायदे?
ड्रोन से सीधी बुआई करने से पानी की खपत, लागत और श्रम की जरूरत कम होती है। मारुत ड्रोन्स ने अपने डायरेक्ट सीडिंग ड्रोन का प्रदर्शन किया, जिसमें मल्टी-रो सीडिंग मैकेनिज्म लगा हुआ है, जिससे बीजों का समान वितरण सुनिश्चित किया जाता है।
मारुत ड्रोन्स के सीईओ और सह-संस्थापक प्रेम कुमार विस्लावथ ने कहा, “यह ड्रोन तकनीक पानी की खपत को 92% तक कम कर सकती है, जो सूखे प्रभावित इलाकों के लिए बेहद फायदेमंद है। ड्रोन की गति, बीज गिराने की दर और ऊंचाई को नियंत्रित करके समान बीज वितरण सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा, एक ड्रोन केवल छिड़काव के अलावा कई काम कर सकता है, जिससे इसकी वापसी की अवधि (ROI) तीन साल से घटकर मात्र 1.5 साल हो जाती है।”
धान की खेती में किसानों को मानसून की देरी और नहरों में देर से पानी छोड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ड्रोन से सीधी बुआई समय पर बुआई सुनिश्चित कर सकती है और पानी की अनिश्चितता पर निर्भरता कम करती है।
परंपरागत खेती के मुकाबले ड्रोन तकनीक से श्रम की मांग भी कम हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, 5,00,000 एकड़ धान की रोपाई के लिए 50 लाख मानव-दिनों की जरूरत होती है, जबकि ड्रोन से सीधी बुआई करने पर यह श्रम घटकर सिर्फ 33,333 मानव-दिन रह जाता है। एक ड्रोन एक दिन में 30 एकड़ तक बुआई कर सकता है, जबकि परंपरागत रोपाई पद्धति में अधिक समय और श्रमिकों की जरूरत होती है।
इस तकनीक को लेकर किसानों में दिलचस्पी देखी गई। उन्होंने लागत, परंपरागत तरीकों के मुकाबले इसकी किफायत, बीज अंकुरण दर और छोटे किसानों के लिए इसकी उपलब्धता को लेकर सवाल पूछे। किसानों ने यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार इस तकनीक को अपनाने के लिए कोई अनुदान या वित्तीय सहायता दे रही है।
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