State News (राज्य कृषि समाचार)

जीआई टैग मिलने से चिन्नौर धान किसानों को मिल रहा है अधिक दाम

Share
  • (प्रकाश दुबे)

colector-balaghat

6 फरवरी 2023,  भोपाल । जीआई टैग मिलने से चिन्नौर धान किसानों को मिल रहा है अधिक दाम –  बालाघाट जिले का चिन्नौर चावल देश-विदेश में अपने स्वाद, सुगंध एवं पौष्टिक गुणों के कारण विख्यात है। बालाघाट जिले के चिन्नौर को जीआई टैग मिलने के बाद इसके चावल की मांग बड़े शहरों के बाजार में बढ़ गई है। चिन्नौर चावल के उत्पादन को बालाघाट जिले में एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत शामिल किया गया है।  कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा बताते हैं कि इससे जिले के चिन्नौर उत्पादक किसानों को सामान्य धान की तुलना में अधिक आय हो रही है। जिला प्रशासन चावल की इस प्रजाति को प्रोत्साहन देकर रकबे में वृद्धि करने की प्रक्रिया अपना रहा है। जिले के चिन्नोर धान उत्पादन कृषक अपनी पैतृक भूमि पर प्राकृतिक तरीके से ‘चिन्नौर’ धान की खेती करते आ रहे हैं। उनके परिवार में पीढिय़ों से ‘चिन्नौर’ धान की खेती की जा रही है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग बालाघाट एवं कृषि विज्ञान केंद्र,कृषि महाविद्यालय बालाघाट के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से जिले में कृषकों ने चिन्नौर धान का उत्पादन 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त किया है। चावल को फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से विक्रय करने पर 6 से 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव किसानों को मिला है जो कि सामान्यतम मोटे धान की कीमत (न्यूनतम समर्थन मूल्य लगभग 2040 रुपये प्रति क्विंटल) से तीन गुना है। जिले के उप संचालक कृषि श्री राजेश कुमार खोबरागड़े बताते हैं कि चिन्नौर धान का उत्पादन परपंरागत और प्राकृतिक तरीके से लगभग 3 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाता है। इसके उत्पादन में अन्य धान की अपेक्षा कम लागत आती है एवं गुणवत्ता भी बनी रहती है।

कृषि विज्ञान केन्द्र बालाघाट के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर. एल. राउत बताते हैं कि चिन्नौर धान का प्रति एकड़ 15 किलो बीज बोने पर 8 से 12 क्ंिवटल उत्पादन लिया जा सकता है। प्रति एकड़ 15 से 20 हजार रुपए लागत आती है। जिले के लालबर्रा एवं वारासिवनी क्षेत्र में इसकी अधिक खेती होती है। पूरे जिले में लगभग 20 हजार कृषक सीमित क्षेत्र में चिन्नौर का उत्पादन करते हैं। 150 दिन में तैयार होने वाली फसल की ऊंचाई 5 फीट तक रहती है। पराम्परागत तरीके, मेहनत एवं सावधानीपूर्वक इसकी कटाई-गहाई करनी पड़ती है जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। गोबर खाद एवं जैविक कीटनाशकों के उपयोग प्राकृतिक तरीके से उगाये गये चिन्नौर धान से प्राप्त चावल की उच्च गुणवत्ता, स्वाद, सुगंध एवं पौष्टिकता भरपूर होती है। जीआई टैग से इसकी पहचान विश्व स्तर पर होने का लाभ कृषक को बेहतर दाम मिलकर पूरा हो रहा है।

औषधीय पौधों का महत्व

महत्वपूर्ण खबर: गेहूं की फसल को चूहों से बचाने के उपाय बतायें

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *