फसल की खेती (Crop Cultivation)

कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशों पर किसान विश्वास करें : डॉ. शर्मा

कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशों पर किसान विश्वास करें : डॉ. शर्मा

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25 अगस्त 2022, इंदौर  कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशों पर किसान विश्वास करें : डॉ. शर्मा – कृषक जगत द्वारा गत दिनों सोयाबीन में समेकित कीट प्रबंधन (खरीफ 2022) पर वेबिनार आयोजित किया गया, जिसके मुख्य वक्ता डॉ. अमरनाथ शर्मा, सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक (कीट प्रबंधन), भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर थे। डॉ. शर्मा ने सोयाबीन में लगने वाले कीटों एवं उनके जैविक, प्राकृतिक और रसायनिक उपचार की विस्तार से जानकारी दी। इस वेबिनार में मप्र के अलावा राजस्थान के किसान भी शामिल हुए। किसानों द्वारा सोयाबीन को लेकर पूछे गए सवालों का डॉ. शर्मा ने समाधानकारक जवाब दिए। इस प्रश्न-उत्तर श्रृंखला की दूसरी कड़ी में चुनिंदा विषय पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत हैं।

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श्री संतोष मीणा- बारिश के समय कीटनाशक का छिडक़ाव करते समय बारिश कितना का अंतर होना चाहिए। डॉ. शर्मा- यदि छिडक़ाव के पहले 5 घंटे का समय मिल जाता है तो यह उपयुक्त रहता है। यह केवल सिस्टमिक इंसेक्टिसाइड के लिए है। कांटेक्ट इंसेक्टिसाइड यदि ज्यादा बारिश होती है तो धुल जाते हैं। इसके लिए मौसम की जानकारी रखें। फूल आने की स्थिति में कीटनाशक का छिडक़ाव करने में समस्या नहीं है। अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा पहले ही इसका गहन अध्ययन कर लिया जाता है। अत: इस बारे में कोई शंका मन से निकाल दें कि फूल आने पर छिडक़ाव नहीं किया जा सकता। डॉ. ओ.पी. जोशी ने सोयाबीन को बोने का तरीका बदलने पर जोर देते हुए कहा कि इस कारण सोयाबीन में पानी की समस्या और पीलापन आ जाता है और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है,अत: पोटाश अवश्य डालें और बीबीएफ और रिज फरो पद्धति को अपनायें। जब तक किसान इसके बोने का तरीका नहीं बदलेगा तब तक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

श्री शुभम जाधव हरसोला – इल्ली की दवाई के साथ कांटेक्ट और सिस्टमिक फंगीसाइड साइड और कोई टॉनिक एक साथ तीनों डाल सकते हैं क्या? पहले पौधा किस चीज को ग्रहण करेगा या नहीं करेगा। डॉ. शर्मा – इसके लिए दो रसायनों का अच्छा असर होना उसकी संगतता पर निर्भर है। इसके लिए खेत में जाकर देखना पड़ेगा कि किस चीज को प्राथमिकता दें। कीटनाशक और फफूंदनाशक पर अलग से कोई अनुसंधान अभी तक नहीं हुआ है। फफूंदनाशक की बीमारी ज्यादा नहीं है तो व्यर्थ में खर्च ना करें। पौधा हरा भरा और सुरक्षित होने पर भी आखिरी उत्पादन कम मिलता है। पौधे हरा भरा रखने का मतलब यह नहीं है उत्पादन भी अच्छा आएगा। पोषक तत्व नहीं दिए तो भी पौधा हरा भरा दिखेगा, लेकिन उसमें ताकत नहीं रहेगी। बाद में ऊपर से पोषक तत्व डालने से पौधे के उपयोग में कितना किया जा रहा यह महत्वपूर्ण है। जो भी खाद/उर्वरक देना हो बुवाई के समय दे दें। पौधा शुरू से मजबूत रहेगा और अच्छा उत्पादन देगा।

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कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशों पर किसान विश्वास करें

श्री करण पटेल हरदा- सोयाबीन की बोनी के समय उर्वरक नहीं डालने का जिक्र किया तो डॉ. शर्मा ने प्रतिप्रश्न किया कि बुवाई के समय उर्वरक क्यों नहीं डालना चाहिए? किसान वैज्ञानिकों की अनुशंसा पर विश्वास करें और उसके अनुसार व्यवहार करें। वैज्ञानिकों ने अगर कोई अनुसंधान किया है तो उसे अपनायें। उर्वरकों को बोनी के समय देने से फसल को अच्छा फायदा होता है। मूंग की फसल लेने के बाद भी खेत तैयार करते समय कल्टीवेटर चलाते समय भी खाद बिखेर दें, हालांकि यह तरीका अच्छा नहीं है। यदि डबल पेटी की सीडड्रिल नहीं है, तो खेत में पहले खाद डाल दें। इस चर्चा में डॉ. जोशी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पहली बात तो यह है कि किसान यह गांठ बांध लें कि सोयाबीन की बोनी के समय उर्वरक पहले डालें और जमीन में मिला दें। सोयाबीन को वरदान मिला है कि वह हवा से नाइट्रोजन लेकर अपनी कमी को पूरा तो करती ही है, साथ ही अगली फसल के लिए 35 से 40 किलो नाइट्रोजन जमीन में छोड़ भी देती है। यदि आप खड़ी फसल में उर्वरक डालते हैं उससे दोहरा नुकसान होता है एक तो यह कि जमीन में मौजूद बैक्टीरिया अपना काम करना बंद कर देते हैं और दूसरा जो उर्वरक आप खड़ी फसल में डालते हैं वह लाभकारी नहीं रहता अत: खड़ी फसल में कभी भी उर्वरक नहीं डालें।

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स्टेम फ्लाय

सोयाबीन की स्टेम फ्लाय के बारे में डॉ. शर्मा ने कहा कि यह बीमारी हर राज्य में आती है और नुकसान पहुंचाती है। इस की अवस्थाएं अलग -अलग हो सकती है। इंदौर क्षेत्र में अंकुरण के 5- 7 दिन में इसका प्रकोप देखा जाता है वहीं भोपाल सीहोर में स्टेम फ्लाई 1 माह बाद आती है। उत्तर भारत में सोयाबीन का पौधा जमीन से बाहर निकलते ही इसके प्रभाव में आ जाता है अत: बीज उपचार करें। बीजोपचार करने से तना मक्खी की जनसंख्या वृद्धि को कम करने में मदद मिलेगी।

वायरस का प्रकोप

फेसबुक से श्री शैलेश ठाकुर देपालपुर –कई बार आखिर में बारिश होने से 9305 जैसे किस्म में वायरस आ जाता है दाना पूरा नहीं भरता है और ज्वार के आकार का हो जाता है तो पहले किसान ऐसा कौन सा स्प्रे दें ? इसके लिए डॉ. शर्मा ने कहा कि किसानों को बोने की पद्धति बदलनी पड़ेगी चौड़ी क्यारी वाली लगाएं। इससे कम या ज्यादा पानी होने पर भी असर कम पड़ता है। फंगस के लिए अलग से दवाई दी जा सकती है। एंथ्रेक्नोज के लिए टेबुकोनाजोल का उपयोग कर सकते हैं। फलियों में बीज भरते समय फफूंद नाशक का स्प्रे करने से ऐसी समस्या नहीं आएगी और बीज की गुणवत्ता भी बढ़ाएगी।

श्री अजय पाटीदार – रिंग कटर को तने में रहते हुए मार सकते हैं? डॉ. शर्मा – तना मक्खी को शुरुआती अवस्था में नियंत्रित किया जा सकता है। जब इल्ली डंठल में रहती है तब मारना आसान नहीं रहता, क्योंकि कोई भी दवा वहां तक नहीं पहुंच पाती है। अन्य प्रश्नकर्ताओं में श्री राज कटारिया, श्री शैलेंद्र कुशवाहा श्री प्रमोद पवार,श्री ओमप्रकाश कांवरिया श्री अर्जुन अथैया,श्री राजेश बांके और श्री बनाप सिंह वर्मा आदि शामिल थे।

श्री शैलेंद्र सिंह पंवार देपालपुर ने पूछा कि मेरी सोयाबीन की फसल छोटी है और उसमें फूल आ गए हैं क्या मैं 1919 का स्प्रे कर सकता हूं ? डॉ. शर्मा ने कहा कि 9560 कम अवधि वाली फसल है इसमें किसी स्ट्रेस के कारण फूल आ गए हैं। एक बार फूल आने पर पौधों की वृद्धि रुक जाती है किसी टॉनिक से भी फूलों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है। इसलिए खाद पहले दें। 19:19 का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन मैं विश्वास पूर्वक नहीं कह सकता कि यह असरकारी होगा। 9560 किस्म 18 से 20 इंच ऊंचाई रहती है। दाना भरते समय एक स्प्रे कर दीजिए।

दवाई पानी की अनुशंसित मात्रा

श्री महेंद्र सिंह पवार – कीटनाशक में पानी की मात्रा बढ़ाने से कोई समस्या तो नहीं आएगी? इस पर डॉ. शर्मा ने कहा कि दवाई और पानी की जो मात्रा प्रति हेक्टर अनुशंसित है, उसी हिसाब से डालें और जैसे पावर स्प्रे के लिए 120 लीटर प्रति हेक्टेयर की मात्रा निर्धारित है। ध्यान रखें कि इससे उतना ही एरिया कवर हो जितनी मात्रा अनुशंसित है।

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फंगीसाइड ट्रीटमेंट

श्री गोपाल पाटीदार हाटपिपल्या (देवास) ने सीड ट्रीटमेंट की 3 स्टेज एफआईआर के उपयोग से फसल प्रभावित तो नहीं होगी। क्या फंगीसाइड से ट्रीट कर सकते हैं? डॉ. शर्मा ने कहा कि राइजोबियम जीवित बैक्टीरिया है उसे नमी चाहिए। इस पर फफूंदनाशक काम नहीं करेगा। डॉ. जोशी ने कहा कि किसान जो भी फंगीसाइड / इंसेक्टिसाइड ले उतना ही बीज लें जो काम आ सके।

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