Crop Cultivation (फसल की खेती)

कृषि में ड्रोन का महत्व

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  • डॉ. जी. एफ. अहमद, सहायक प्राध्यापक 
    कम्प्यूटर विज्ञान, कृषि महाविद्यालय पवारखेड़ा, नर्मदापुरम
  • डॉ. प्रदीप मिश्रा, सहायक प्राध्यापक
    कृषि महाविद्यालय, रीवा 
  • इंजी. नेपाल बारस्कर, कार्यक्रम सहायक (कंप्यूटर)
    कृषि विज्ञान केंद्र, बैतूल

 

11 अप्रैल 2023,  कृषि में ड्रोन का महत्व – समय व जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ खेती में जहां समस्याओं का आकार व स्वरूप बदला है, वहीं किसानों पर लागत में कमी लाते हुए अधिक उत्पादन का दबाव भी बढ़ा है। किसानों की आय को दोगुनी करने के ध्येय को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक खेती के नए तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं। इनमें अत्याधुनिक कृषि मशीनों तथा अन्य उपकरणों का विशेष तौर पर जिक्र किया जा सकता है। क्रमिक विकास के फलस्वरूप अन्य मशीनों और यंत्रों की भांति ड्रोन भी विकास के उस मुकाम पर पहुंच चुका है, जहां उसे खेती के प्रयोग में भी लाया जा सकता है।

ड्रोन एक मानव रहित विमान है। ड्रोन अधिक औपचारिक रूप से मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) या मानव रहित विमान प्रणाली के रूप में जाने जाते हैं। ड्रोन का अविष्कार सन् 1935 पहला आधुनिक ड्रोन विकसित किया गया। डी हैविलैंड 82ठ क्वीन बी विमान का उपयोग हवाई लक्ष्य अभ्यास के लिए विकसित एक कम लागत वाले रेडियो नियंत्रित ड्रोन के रूप में किया गया था। ड्रोन के पास अब कई कार्य हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन की निगरानी से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के बाद तलाशी अभियान चलाना, फोटोग्राफी करना, फिल्म बनाना और सामान पहुंचाना शामिल है। लेकिन उनका सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद उपयोग सेना द्वारा टोही, निगरानी और लक्षित हमलों के लिए किया जाता है। सन् 2000 में, जापानी कंपनी यामाहा ने दुनिया का पहला कृषि ड्रोन, क्र-50 पेश किया, जिसे फसल मानचित्रण और क्षेत्र विश्लेषण के लिए डिज़ाइन किया गया था। 2020 में कृषि ड्रोन का बाजार बढक़र 1.2 अरब डॉलर हो गया और विश्लेषकों को उम्मीद है कि 2025 तक यह करीब 6 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। भारत सरकार किसानों को ड्रोन का उपयोग करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। खेती का उत्पादन बढ़ाने में ड्रोन किसानों की काफी मदद करते हैं। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित पहला ड्रोन, एग्रीबॉट, केवल 35 दिनों में विकसित किया गया था।

ड्रोन का उपयोग किसी भी वनस्पति या फसल के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए किया जाता है, खरपतवारों, संक्रमणों और कीटों से प्रभावित क्षेत्र और इस आकलन के आधार पर, इन संक्रमणों से लडऩे के लिए आवश्यक रसायनों की सही मात्रा का उपयोग किया जाता है, जिससे किसान के लिए समग्र लागत का अनुकूलन किया जा सकता है। उन्नत रिमोट सेंसिंग क्षमताओं वाले ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी करने, कीटनाशकों और उर्वरकों का छिडक़ाव करने, सिंचाई प्रणाली का प्रबंधन करने, उपज की भविष्यवाणी करने आदि के लिए किया जाता है। कुशल क्षेत्र योजना के लिए कृषि ड्रोन का उपयोग मिट्टी और क्षेत्र विश्लेषण के लिए किया जाता है। मिट्टी में नमी की मात्रा, इलाके की स्थिति, मिट्टी की स्थिति, मिट्टी के कटाव, पोषक तत्वों की मात्रा और मिट्टी की उर्वरता का मूल्यांकन करने के लिए उनका उपयोग सेंसर को माउंट करने के लिए किया जाता है। फसल निगरानी, बीज बोने से लेकर कटाई के समय तक फसल की प्रगति का पर्यवेक्षण है। इसमें सही समय पर खाद देना, कीटों के हमले की जांच करना और मौसम की स्थिति के प्रभाव की निगरानी करना शामिल है। फसल की निगरानी ही एकमात्र तरीका है जिससे एक किसान समय पर फसल सुनिश्चित कर सकता है, खासकर जब मौसमी फसलों की बात होती है। किसी भी त्रुटि के परिणामस्वरूप फसल खराब हो सकती है। फसल निगरानी अगले खेती के मौसम को समझने और योजना बनाने में मदद करती है। इन्फ्रारेड कैमरों से खेत का निरीक्षण करके ड्रोन प्रभावी फसल निगरानी में मदद करते हैं और अपनी वास्तविक समय की जानकारी के आधार पर किसान खेत में पौधों की स्थिति में सुधार के लिए सक्रिय उपाय कर सकते हैं। ड्रोन पेड़ और फसल लगाने में मदद करते हैं। इस तकनीक से न केवल श्रम की बचत होती हैए बल्कि ईंधन की बचत में भी मदद मिलती है। कृषि – ड्रोन का उपयोग रसायनों के छिडक़ाव के लिए करते हैं पारंपरिक तरीकों की तुलना में बहुत कम समय में फसलों पर उर्वरकों और कीटनाशकों का छिडक़ाव संभव हो जाता है। मिट्टी और लगाई गई फसल के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए लगातार सर्वेक्षण आवश्यक है। मैन्युअल सर्वेक्षण में कई दिन लग जाते हैं, और त्रुटि की संभावना भी होती है। ड्रोन उसी काम को कुछ ही घंटों में कर सकता है। इन्फ्रारेड मैपिंग के साथ ड्रोन मिट्टी और फसल दोनों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी एकत्र कर करना आसान बनाते हंै। कीटनाशकों और अन्य रसायनों के अति प्रयोग को कम करने में ड्रोन विशेष रूप से प्रभावी साबित हुए हैं। रसायन वैसे तो फसल को बचाने में मदद करते हैं। लेकिन, रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदेह साबित हो सकता है। ड्रोन कीटों के हमलों के सूक्ष्म संकेतों का पता लगा कर और हमले की डिग्री और सीमा के बारे में सटीक डेटा प्रदान करते हैं। इससे किसानों को उपयोग किए जाने वाले रसायनों की आवश्यक मात्रा की गणना करने में मदद मिलती है जो फसलों को नुकसान पहुंचाने से बचातें है। मौसम की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, पैटर्न में किसी भी बदलाव के लिए तैयार करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

आगामी मौसम की स्थिति का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाता है। बेहतर भविष्यवाणियां करने के लिए स्टॉर्म ड्रोन का पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। और इस जानकारी का उपयोग किसान बेहतर तैयारी के लिए कर सकते हैं। तूफान या बारिश की कमी की अग्रिम सूचना का उपयोग उस फसल की योजना बनाने के लिए किया जाता है जो मौसम के लिए सबसे उपयुक्त होगी, और बाद की अवस्था में रोपित फसलों की देखभाल कैसे करें। ड्रोन का उपयोग विशाल पशुधन की निगरानी और प्रबंधन के लिए भी किया जाता है क्योंकि उनके सेंसर में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले इन्फ्रारेड कैमरे होते हैं, जो एक बीमार जानवर का पता लगा सकते हैं और उसके अनुसार तेजी से उपचार कर सकते हैं।

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