मूंगफली खूब फली
भारत विश्व में मूंगफली के क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है। हमारे देश में मूंगफली की कम उत्पादकता का कारण, इसकी खेती असिंचित व अनुपजाऊ भूमि में होना है। साथ ही सूखे की अधिकता व अधिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभारत विश्व में मूंगफली के क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है। हमारे देश में मूंगफली की कम उत्पादकता का कारण, इसकी खेती असिंचित व अनुपजाऊ भूमि में होना है। साथ ही सूखे की अधिकता व अधिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंउज्जैन। जिस तरह से आज क्षिप्रा नदी का कटाव हो रहा है इसे देखते हुए लग रहा है कि शीघ्र ही आने वाले समय में किनारे के खेतों में अपने में समेट लेगी। ऐसे समय में क्षिप्रा नदी के किनारे
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंधान की फसल मध्यप्रदेश की एक महत्वपूर्ण फसल है। पिछले कुछ सालों से धान के रकबे में निरंतर वृद्धि हुई है। इस साल भी धान के रकबे में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है। खरपतवारों की समस्या
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंइंदौर। किसानों के लिए फंगीसाइड्स, इन्सेक्टिसाइड्स एवं हर्बिसाइड्स के अलावा हाइब्रिड सीड्स और पौध पोषक औषधियां बनाने वाली कम्पनी बायोस्टेड ने फल एवं सब्जी की खेती में उपयोगी एक अनूठा टॉनिक रिजॉइस डब्ल्यूजी लांच किया है। बॉयो स्टिमुलेट (प्रेरक/पोषक) फार्मुलेशन
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंबड़वानी। खरीफ सीजन में के.जे. एजुकेशन सोसायटी भोपाल ने जिले के सेंधवा, निवाली एवं पानसेमल विकासखंडों में गतिविधियां प्रारंभ कर दी है। सेंधवा विकासखंड के ग्राम थिगली, निवाली के खडकी वन एवं पानसेमल विकासखंड के ग्राम बालझिरी में मक्का फसल
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखंडवा जिले में ‘आत्मा’ के पी.पी. पार्टनर के.जे. एजुकेशन सोसायटी द्वारा वि.ख. पंधाना, खालवा एवं छैगांव माखन में खरीफ के फार्म स्कूल प्रारंभ किये। विख. खालवा के ग्राम रजूर में फार्म स्कूल एवं ग्राम नीमखेड़ा में आवासीय अध्ययन वि.ख. छैगांव
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंमध्य प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन को दूसरे दौर की वर्षा प्रारंभ होने से नया जीवनदान मिल गया है। किसानों की चिंताएं कुछ कम हुई है। पूर्व में शुरूआती मानसून के बाद लबे सन्नाटे के कारण राज्य के
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंदेहात में शारीरिक अक्षमता को दर्शाते हुए एक कहावत है कि एक आंख वाले ब्याह में सौ-सौ जोखिम। यही हाल खरीफ फसलों का भी होता है। बुवाई के मिलने वाले तीन दिन से लेकर कटाई तक किसान की जान सांसत
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंबीज की आनुवांशिक शुद्धता का तात्पर्य बीज किस्म में निहित उन विशिष्ट लक्षणों से है, जिनके कारण इस किस्म को विशेष नाम से पहचाना जाता है जैसे किस्म की जीनी संरचना, पौधे की ऊंचाई, रोगरोधिता और कीट रोधी-गुण, पादप, तना
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंबाजार में अच्छे दाम किसान भाईयों के लिए एक अतिरिक्त आय का साधन भी होता है। वर्तमान समय में जब खेख्सा का फल बाजार में आता है तो उसका मूल्य रूपये 90 से 100 रूपये तक प्रति किग्रा तक मिलती
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