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खेती को बनाया लाभ का व्यवसाय

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मुरैना जिले के मकून्दा ग्राम के कृषक रामऔतार ने परम्परागत खेती के साथ जब से अमरूद, बैंगन, टमाटर आदि की फसल लेना शुरू किया है, तब से उनके लिये खेती लाभ का धंधा बन गई है। चार बीघा जमीन के मालिक कृषक रामऔतार सालाना 3 लाख रुपये से भी अधिक अतिरिक्त आय अमरूद और सब्जियों की फसल से ले रहे हैं।
रामऔतार पहले गन्ना की फसल लेते थे। कोई 10 बरस पहले उनके गांव के पास की शक्कर मिल बंद होने से उन्होंने गन्ने के स्थान पर अमरूद का बगीचा लगाया। लगभग दो बीघा में अमरूद का बगीचा और शेष दो बीघा में परम्परागत गेहूं, चना, मसूर के साथ सब्जियां उगाते हैं। अमरूद की फसल को रामऔतार का बड़ा बेटा विनोद कुशवाह राष्ट्रीय राज मार्ग पर टोकरी लगाकर बेचता है। इससे वह ढाई से 3 हजार रुपये प्रतिदिन कमा लेता है।
रामऔतार को अमरूद के पूरे सीजन में डेढ़ से दो लाख रुपये की आय होती हैं। इसके अलावा खेत की मेढ़ पर और खेत के कुछ खाली हिस्से में बैंगन, टमाटर आदि सब्जियां लगाते हैं। पिछले वर्ष बैंगन से एक लाख रुपये कमाए जो परम्परागत खेती के अलावा अतिरिक्त आय है। इस वर्ष टमाटर की भी खेती कर रहे हैं।
रामऔतार गेहूं की पैदावार में से घर के खर्चे के लिए गेहूं को बचा कर 25-30 क्विंटल गेहूं बेच भी देते हैं। खेत के कुछ हिस्से में सरसों की फसल भी लेते है। परम्परागत खेती के साथ फलों और सब्जियों की अतिरिक्त फसलों को अपनाकर खेती को लाभ का सशक्त माध्यम बना लिया है।

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