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फास्फेट, पोटाश की एनबीएस दरें तय

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वर्ष 2018-19 के लिए

(नई दिल्ली कार्यालय)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने 2018-19 की अवधि में फास्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिये पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दर निर्धारित करने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
एनबीएस के लिये प्रस्तावित दरें इस प्रकार हैं- प्रति किलोग्राम सब्सिडी दर (रुपये में)
नाइट्रोजन (एन) -18.901
फॉस्फोरस (पी) – 15.216
पोटाश (के) – 11.124,
सल्फर (एस) – 2.722।
सीसीईए ने इसके साथ ही उर्वरक विभाग के उन प्रस्तावों को भी पूर्व प्रभाव से अनुमति दे दी है, जिसके तहत विभाग द्वारा 2012-13 से लेकर अब तक विभिन्न वर्षों में फरवरी और मार्च के महीनों में कई जिलों में फास्फेट और पोटाश उर्वरकों की एक विशेष मात्रा पर अगले वित्त वर्ष के लिए निर्धारित उस दर से सब्सिडी दी गई, जो उस वर्ष सीसीईए द्वारा स्वीकृत की गई दर से कम थी। आर्थिक मामलों की समिति ने उर्वरक विभाग को आवश्यकतानुसार निर्धारित दरों के आधार पर सब्सिडी जारी करने के लिये अधिकृत किया है। यह दर उस वित्त वर्ष या अगले वित्त वर्ष के हिसाब से फरवरी और मार्च में जिलों द्वारा फास्फेट और पोटाश उर्वरकों की विशेष श्रेणी या मात्रा पर प्राप्त की गई दरों में जो भी कम होगी के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
वित्तीय भार
फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों पर 2018-19 में दी जाने वाली सब्सिडी पर अनुमानित व्यय 23 हजार करोड़ रुपये होगा।
पृष्ठभूमि
सरकार उत्पादकों और आयातों के जरिए किसानों को यूरिया तथा 21 अन्य श्रेणी के फास्फेट और पोटाश उर्वरक रियायती दरों पर उपलब्ध करा रही है। फास्फेट और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी एनबीएस योजना का संचालन 1 अप्रैल 2010 से किया जा रहा है।

सरकार ने यूरिया डीलरों का मार्जिन डबल किया
सरकार ने यूरिया विक्रेताओं का मार्जिन बढ़ाकर डबल कर दिया है। अब डीलर्स को पीओएस मशीन के जरिए बिक्री पर 354 रुपए प्रति टन मार्जिन मिलेगा। यह व्यवस्था प्राइवेट और इंस्टीट्यूशन डीलर दोनों एजेंसियों के लिये हैं। माना जा रहा है कि इससे सरकार के खजाने पर 515.16 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
1 अप्रैल से लागू
रिवाइज्ड मार्जिन 1 अप्रैल से लागू हो जाएगा। अभी प्राइवेट एजेंसियों को प्रति टन यूरिया पर 180 रुपये और इंस्टीट्यूशनल एजेंसियों को प्रति टन यूरिया पर 200 रुपये का मार्जिन होता है। हालांकि उर्वरक मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह डबल मार्जिन का फायदा उन्हीं को होगा जो पीओएस के जरिए यूरिया की बिक्री करेंगे।
डीबीटी को प्रोत्साहन
सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना को लागू करने के बाद से ही यूरिया कंपनियां और डीलर इस योजना को लागू करने को लेकर कमीशन बढ़ाने की मांग कर रहे थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 23000 डीलर और वितरक हैं, जिन्हें बढ़े हुए मार्जिन का लाभ मिलेगा। इससे सरकार के डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर योजना को भी बढ़ावा मिलेगा।
यूरिया अधिकतम खुदरा मूल्य 5360 रुपये प्रति टन है। सरकार किसानों को सस्ता उर्वरक मुहैया कराने के लिये हर साल करीब 70 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती है।
राज्यसभा में बकाया सब्सिडी का मुद्दा
उर्वरक राज्यमंत्री श्री राव इंद्रजीतसिंह ने फर्टिलाईजर सब्सिडी बकाया के प्रश्न पर जवाब दिया कि सितंबर 2017 से फरवरी 2018 तक के सब्सिडी क्लेम निपटान के लिये राष्ट्रीयकृत बैंकों से स्पेशल बैंकिंग अरेंजमेंट के तहत 7 हजार करोड़ रु. की व्यवस्था करने अनुमोदन उर्वरक मंत्रालय को मिल गया है।

आदेश से असमंजस
उर्वरक मंत्रालय के इस परिपत्र से उर्वरक बाजार में असमंजस की स्थिति भी बन गई है। क्योंकि 31 मार्च तक प्रदाय यूरिया के बिल में 180 अथवा 200 रुपये कमीशन तथा उस पर जीएसटी दर्शाया जायेगा। वहीं जब वह यूरिया 1 अप्रैल से पीओएस मशीन के माध्यम से बिकेगा तो उस पर कमीशन 354 रुपये प्रदर्शित होगा। इस स्थिति में कमीशन व जीएसटी के अंतर की राशि का क्या निराकरण होगा, यह स्पष्ट नहीं है। इसी तरह पीओएस मशीन से यूरिया विक्रय के बाद ही कमीशन मिलने की शर्त से वितरक (होलसेलर) की स्थिति पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। यूरिया निर्माता, वितरक, विक्रेता सभी अब इस संदर्भ में उर्वरक मंत्रालय के आदेश के इंतजार में हैं।
डीएपी के बढ़ते दाम पर लगेगा अंकुश 
पोटाश होगा महंगा
केंद्र द्वारा उर्वरकों के लिये न्यूट्रीएंट बेस्टड सब्सिडी योजना (एनबीएस) में फास्फोरस पर सब्सिडी में लगभग 27 प्रतिशत वृद्धि की गई है। वहीं पोटाश में लगभग 10 प्रतिशत की कमी  की गई है। इन दोनों तत्वों पर आधारित उर्वरक डीकन्ट्रोल फर्टिलाइजर के अन्तर्गत आते हैं। अगले कुछ दिनों  में सरकार के इस कदम का असर इन उर्वरकों की कीमतों पर पडऩा अवश्यंभावी है। उर्वरक उद्योग से जुड़े सूत्रों का आकलन है कि फास्फोरस पर सब्सिडी वृद्धि से प्रमुख उर्वरक डीएपी की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगने की संभावना है। इसके विपरीत पोटाश की कीमतों में वृद्धि से इंकार नहीं किया जा सकता है।
प्रोडक्ट 2017-18       2018-19  चेंज
डीएपी 8,937 10,402 1,465
एनपीके 10 8,241 8,739 498
एनपीके 12 8,101 8,917 816
एनपीके 20 6,488 7,177 689
एनपी 24 7,437 8,188 751
एमओपी 7,437 6,674 -763
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