Uncategorized

प्रदेश में खरीफ 2017 – सोयाबीन का रकबा घटा, उड़द का बढ़ा

Share
(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। चालू खरीफ मौसम में सोयाबीन का रकबा घटा और उड़द का रकबा बढ़ गया है। सोयाबीन का रकबा घटने की वजह जुलाई के प्रथम सप्ताह तक मानसूनी वर्षा की कमी को माना जा रहा है। इसके पश्चात समय बीतने के कारण किसानों का रुझान दलहनी फसलों की ओर बढ़ा क्योंकि समर्थन मूल्य में खासा इजाफा और सरकार द्वारा उपज का उचित मूल्य दिलाने के आश्वासन ने किसानों को प्रभावित किया।

प्रदेश की प्रमुख तिलहनी फसल पीला सोना किसानों की नगदी फसल है। राज्य में इसका सामान्य क्षेत्र 58.59 लाख हेक्टेयर है परंतु इस वर्ष 53 लाख हेक्टेयर में लेने का लक्ष्य रखा गया है जिसके विरूद्ध अब तक 47.21 लाख हेक्टेयर में बोनी हो पायी है जबकि गत वर्ष इस अवधि में 51.03 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो गई थी। सोयाबीन की कम क्षेत्र में बुवाई होने से इसकी कीमतों में सुधार होने की संभावना बढ़ गई है।
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के निदेशक श्री भाटिया ने कहा कि इस बार राज्य में सोयाबीन का रकबा पिछले साल की तुलना में इसलिये कम है क्योंकि परम्परागत रूप से सोयाबीन उगाने वाले कई किसानों ने बेहतर भाव की उम्मीद में दलहनी फसलों की बुवाई मुनासिब समझी है। इसलिये पीले सोने के क्षेत्र में कमी आयी है।
देश में भी तिलहन के रकबे में कमी
इधर देश में भी सोयाबीन का सामान्य क्षेत्र लगभग 110 लाख हेक्टेयर है। अब तक लगभग 90 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोनी हुई है। सोयाबीन के साथ खरीफ सीजन की कुल तिलहन फसलों की भी बुआई इस साल कम है। तिलहन फसलों की अभी तक 148.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 165.49 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुआई हुई थी।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार सोयामील और इससे बने उत्पादों का निर्यात बढ़कर 64 हजार टन पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 56 फीसदी ज्यादा है।
दलहन की तरफ रुझान
दरअसल इस साल बेहतर मानसून की भविष्यवाणी को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि बुआई और उत्पादन दोनों बेहतर रहेंगे। लेकिन फसल बुआई के आंकड़े कमजोरी दिखा रहे हैं। मध्यप्रदेश में कम बुआई के साथ फसल में कीट-ब्याधि की भी आशंका है यानी देश में इस साल सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा कम हो सकता है। दूसरी तरफ निर्यात बेहतर रहने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।
अनुमान के मुताबिक इस बार सबसे कम सोयाबीन की बुआई हुई है। सोपा की मानी जाए तो किसानों के रूझान को देखते हुए कहा जा सकता है कि चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई अपने सामान्य रकबे तक पहुंचना मुश्किल है।
प्रदेश में इस बार दलहनी फसलों का रकबा बढ़ा है। कुल दलहनी फसलें 21.35 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 25.24 लाख हेक्टेयर में बोई गई है। इसमें उड़द अपने लक्ष्य 12 लाख हेक्टेयर की तुलना में लगभग 5 लाख हेक्टेयर बढ़कर 16.88 लाख हेक्टेयर में बोई गई है। इसके साथ ही तुअर 6.11 लाख हे. एवं मूंग की 2.11 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई है।
जानकारी के मुताबिक अब तक प्रदेश में कुल 115 लाख 96 हजार हेक्टेयर में खरीफ बोनी की गई है। इसमें धान 15.18 लाख हे., मक्का 12.80, बाजरा 2.34 एवं कपास की बोनी 5.76 लाख हे. में हुई है।

   प्रदेश में प्रमुख फसलों की बुवाई स्थिति (लाख हे. में)
फसल लक्ष्य  बोनी
धान 23.6 15.18
ज्वार 2.32 1.45
मक्का 12.85 12.8
बाजरा 2.85 2.34
तुअर 6.5 6.11
उड़द 12 16.88
मूंग 2.5 2.11
सोयाबीन 53 47.21
मूंगफली 2.7 2.09
कपास 6.23 5.76

 

32 जिलों में सामान्य वर्षा
मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून में एक जून से 4 अगस्त तक 6 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश के 32 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य वर्षा दर्ज हुई है। कम वर्षा वाले जिलों की संख्या 13 है। अभी तक सामान्य औसत वर्षा 482.0 मिमी दर्ज की गई है जबकि प्रदेश की सामान्य औसत वर्षा 442.2 मिमी है।
सामान्य से अधिक वर्षा – कटनी, रीवा, झाबुआ, नीमच, रतलाम और राजगढ़। सामान्य वर्षा– जबलपुर, सिवनी, सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सिंगरौली, सीधी, सतना, उमरिया, इंदौर, धार, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, मंदसौर, देवास, शाजापुर, भिंड, गुना, अशोक नगर, दतिया, भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद और बैतूल। कम वर्षा- बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, शहडोल, अनूपपुर, आगर-मालवा, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी और हरदा।
Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *