केंचुआ खाद जैविक खेती का आधार
वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि
सर्वप्रथम उपयुक्त स्थान जिसमें उपयुक्त नमी एवं तापमान निर्धारित किये जा सकें, का चयन कर इसके ऊपर एक छप्पर या अस्थाई शेड बनाया जाता है। शेड की लम्बाई-चौड़ाई वर्मी टेंक की संख्या पर निर्भर करती है। वर्मीटेंक की मान क साईज 1 मी. चौड़ा, 0.5 मी. गहरा तथा 10 मी. लम्बा होता है। वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए सामग्री के रूप में वानस्पतिक कचरा जैसे कि कृषि अवशेष, जलकुंभी, केले एवं बबूल की पत्तियां, अन्य हरी एवं सूखी पत्तियां, पेड़ों की हरी शाखायें, बिना फूलीघास, सड़ी-गली सब्जियां एवं फल, घरेलू कचरा एवं पशुओं का गोबर आदि को उपयोग में लाया जाता है। वर्मीटेंक में अधपके नमीयुक्त वानस्पतिक कचरे की 6 इंच की तह लगा देते हैं यदि कचरा अधपका नहीं हैं तो उसमें गोबर का घोल मिलाकर 15 दिनों तक सड़ाया जाता है, ताकि इसके सडऩे पर बनने वाली गर्मी को समाप्त किया जा सके। इस 6 इंच की पर्त पर लगभग 6 इंच तक पका हुआ गोबर डाला जाता है। इस गोबर की तह पर 500-1000 केंचुए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से डाले जाते हैं। वर्मी कम्पोस्टिंग के लिए केंचुआ की सर्वाधिक उपयुक्त प्रजातियां आइसिनिया फोयटिडा, यूड्रिलस यूजिनी एवं परियोनिक्स एक्सावेटस हैं।
इस तह पर 1 फीट ऊंची अध सड़े एवं बारीक वानस्पतिक कचरे की तह लगा दी जाती हैं। इस प्रकार ढेर की ऊंचाई 2-3 फीट तक हो जाती हैं। अब इस डोम के आकार के ढेर को जूट के बोरों से ढक दिया जाता है। शेड में सदा अंधेरा बना रहना चाहिए क्योंकि अंधेरे में केंचुएं ज्यादा सक्रिय रहते हैं इसलिये शेड के चारों ओर घास-फूंस या बोरे लगा देने चाहिए। बोरों के ऊपर नियमित रूप से आवश्यकता अनुसार पानी का छिड़काव किया जाता है, ताकि टेंक में नमी बनी रहे टेंक के ढेर को लगभग 25-30 दिन के बाद हाथों या लोहे के पंजे की सहायता से धीरे-धीरे पलटाते हैं। जिससे वायु का संचार तथा ढेर का तापमान भी ठीक रहता है। यह क्रिया 2-3 बार दोहरायी जाती है। टेंक के अन्दर का तापमान 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड एवं नमी 30-35 प्रतिषत रहनी चाहिए। पानी के उचित प्रयोग से तापमान एवं नमी को नियन्त्रित किया जा सकता है।
मानक साईज के टेंक के लिए प्रतिदिन लगभग 30-90 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। लगभग 60-75 दिनों में वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाती है। इस समय ढेर में चाय की पत्ती के समान केंचुए के द्वारा निकाली गई कास्टिंग दिखाई देंगी। इस खाद को शेड से निकाल कर पालीथिन शीट पर रखा जाता है। 2-3 घंटें के पश्चात केंचुए पॉलीथिन की सतह पर आ जाते हैं। वर्मीकम्पोस्ट को अलग करनी चेएकत्र हुए केंचुओं को इकट्ठा कर पुन: वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए प्रयोग करें। इस खाद को छाया में सुखाकर नमी कम कर लेते हैं तथा उसे बोरी में भरकर 8-12 प्रतिशत नमी में एक साल तक भंडारण कर सकते हैं।
एक किलोग्राम वजन में लगभग 1000 वयस्क केंचुए होते हैं। एक दिन में 1 किलोग्राम वयस्क केंचुए लगभग 5 किलोग्राम कचरा को खाद में बदल देते हैं। ऊपर बताई गई विधि से मात्र 60-75 दिन में 10&1&0.5 मीटर टैंक से लगभग 5-6 क्ंिवटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाती है। जिसके लिए लगभग 10-12 क्ंिवटल कच्चा पदार्थ लगता हैं।
अत: उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि वर्मीकम्पोस्ट अन्य कार्बनिक खाद जैसे गोबर की खाद की तुलना में सर्वोत्तम होता है तथा मृदा संरचना को सुधारने में प्रबल घटक के रूप में कार्य करता है।
| वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय रखी जाने वाली सावधानियां Advertisement8
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| वर्मी कम्पोस्ट का गोबर की खाद एवं कम्पोस्ट से तुलनात्मक अध्ययन | |||
| विवरण | गोबर खाद | कम्पोस्ट खाद | वर्मी कम्पोस्ट |
| तैयार होने में लगने वाली अवधि | 6 माह | 4 माह | 2 माह |
| पोषक तत्वों की मात्रा | |||
| नाईट्रोजन | 0.3-0.5% | 0.5-1.0% | 1.2-1.6% |
| फास्फोरस | 0.4-0.6% | 0.5-0.9% | 1.5-1.8% |
| पोटाश | 0.4-0.5% | 1.00% | 1.2-2.0% |
| लाभदायक जीवों की संख्या | बहुत कम मात्रा में | कम मात्रा में | काफी अधिक मात्रा में |
| वर्मीकम्पोस्ट प्रयोग करने के लाभ Advertisement8
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