Reliance Foundation (रिलायंस फाउंडेशन)

रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह 9मार्च -15 मार्च

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  • ग्रीष्मकालीन मूंग फसल में सफेद मक्खी एवं रसचूसक कीटों के प्रकोप की संभावना है, इनके द्वारा पीला मोजेक वाइरस फैलता है। नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रोक्स 10 ईसी एक लीटर दवा 25 से 30 मिली प्रति पम्प 500 लीटर पानी के साथ मिला के प्रति हेक्टर मे छिड़काव करें।
  • ग्रीष्मकालीन मूंग, मूंगफली, मक्का आदि फसलों में तापमान की अधिकता होने के कारण वाष्पोत्सर्जन ज्यादा होता है, इसकी सम्भावना होने पर कतारों के बीच में वानस्पतिक मल्च या प्लास्टिक मल्च लगाना चाहिए।
  • गेहंू फसल की कटाई के समय दानों में नमी 18 से 20 प्रतिशत होने पर, दानों को दांत से दबाने पर कट की आवाज नहीं आती, लेकिन दाना टुकड़े में बट जाए, तब फसल की कटाई करें। फसल के अधिक सूखने का इन्तजार न करें, अधिक सूखने पर दानों के बिखरने से हानि का अंदेशा रहता है।
  • रबी फसलों की गहाई के बाद विशेषकर चना, मसूर एवं गेहंू को, तरपोलीन या प्लास्टिक की चादरों पर फैलकर, तेज धूप में 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सूखा लें, ताकि दानों में नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से कम हो जाए। दानों को दांत से दबाने पर कट की आवाज आये तब भंडारण करें।
  • अनाज भंडारण हेतु जीआई शीट की बनी बीन्स (कोठिया या साइलो) का उपयोग करना चाहिए। भंडारण के दौरान कीटों से बचाने के लिए एल्युमीनियम फास्फाइड की एक टिकिया प्रति 10 क्विंटल अनाज में रख सकते हैं।
  • गेहंू कटाई के बाद बचे हुए ठूंठों(नरवाई) को खेत में न जलाएं। जलाने से खेत में उपस्थित लाभदायक जीवणु नष्ट हो जाते हैं साथ ही खेत में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु एवं मित्र कीट नष्ट होते हंै, जिससे खेत की उपजाऊ शक्ति में कमी आती है, और प्रकृति तथा पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ़ता है।
  • गेहंू की फसल को कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई के बाद, फसल के ठूंठ या अवशेषों का ट्रैक्टर चालित भूसा बनाने वाली मशीन (स्ट्रारीपर) से भूसा बना सकते हैं। स्ट्रारीपर से भूसा बनाने के बाद खेत में ट्रैक्टर चालित रोटावेटर से जुताई करने से फसल अवशेष बारीक हो कर मिट्टी में मिल जाते हंै, जिससे फसल अवशेष खेत में सड़कर खाद का काम करेगी।

उद्यानिकी

  • कद्दूवर्गीय एवं सब्जी फसलों में लाल भृंग कीट के प्रकोप की सम्भावना है। कीट अंकुरित एवं नई पत्तियों को खाकर छलनी कर देता है। इस कीट का प्रकोप दिखाई देने पर जड़ों के पास नीमखली बारीक कर मिट्टी मे मिलावें या ऐसीफेट 75 एस.पी. 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

पशुपालन

  • दुधारू पशुओं को शुद्ध पानी सुबह और शाम अवश्य पिलाएं एवं साफ दाना, हरे एवं शुष्क चारे का मिश्रण खिलायें। दुधारू पशुओं को घर पर बांधकर चारा खिलाने से दूध की उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
  • बकरियों में पी. पी. आर. का टीकाकरण अवश्य लगवाएं।
    अधिक जानकारी के लिए सुबह 9:30 से शाम 7:30 के मध्य टोल फ्री नं 18004198800 पर संपर्क करें।

कृषि, पशुपालन, मौसम, स्वास्थ, शिक्षा आदि की जानकारी के लिए जियो चैट डाउनलोड करें-डाउनलोड करने की प्रक्रिया:-

  • गूगल प्ले स्टोर से जियो चैट एप का चयन करें और इंस्टॉल बटन दबाएं।
  • जियो चैट को इंस्टॉल करने के बाद, ओपन बटन दबाएं।
  • उसके बाद चैनल बटन पर क्लिक करें और चैनल Information Services MP का चयन करें।
  • या आप नीचे के क्तक्र QR Code को स्कैन कर, सीधे Inform- ation Services MP रूक्क चैनल का चयन कर सकते हैं।

टोल फ्री नं. 18004198800 पर
संपर्क करें सुबह 9.30 से शाम 7.30 बजे तक

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