राज्य कृषि समाचार (State News)

तिल की खेती से होगी लाखों की कमाई! बीज पर सब्सिडी दे रही यूपी सरकार, जानें योजना की पूरी जानकारी

28 जुलाई 2025, भोपाल: तिल की खेती से होगी लाखों की कमाई! बीज पर सब्सिडी दे रही यूपी सरकार, जानें योजना की पूरी जानकारी – उत्तर प्रदेश सरकार खरीफ सीजन में तिल की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को हर संभव मदद दे रही है। राज्य में लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि पर तिल की खेती की जाती है। यह खेती खासकर उन क्षेत्रों में होती है जहाँ जलभराव की समस्या नहीं होती और वर्षा कम होती है।

राज्य के कृषि विभाग द्वारा तिल के बीजों पर ₹95 प्रति किलोग्राम की दर से अनुदान (सब्सिडी) दिया जा रहा है। इससे किसानों की लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है। बीजों की प्रमुख प्रजातियों में आरटी-346, आरटी-351, गुजरात तिल-6, बीयूएटीतिल-1 आदि शामिल हैं।

वैज्ञानिक विधि से उपज होगी दोगुनी

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो वैज्ञानिक विधि से तिल की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 8 से 12 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। वहीं परंपरागत खेती से यह उत्पादन 4-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹9846 प्रति क्विंटल है।

एक हेक्टेयर से हो सकती है ₹1 लाख तक की कमाई

वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती से किसानों को कम लागत में प्रति हेक्टेयर लगभग ₹1 लाख तक की आमदनी हो सकती है। सरकार इस दिशा में किसानों को प्रशिक्षण भी दे रही है ताकि वे नई तकनीकों का लाभ उठा सकें।

फसल सुरक्षा के उपाय भी बताए जा रहे

तिल की फसल को रोग और कीटों से बचाने के लिए किसानों को बीज उपचार, खरपतवार नियंत्रण, कीटनाशक छिड़काव और समय पर सिंचाई के उपाय भी बताए जा रहे हैं। जैसे- बुवाई से पहले बीज को थिरम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलो से उपचारित करने की सलाह दी जा रही है।

पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर है तिल

तिल सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, पोषण के लिहाज से भी काफी फायदेमंद है। इसमें 20.9% प्रोटीन, 53.5% वसा (बिना कोलेस्ट्रॉल), विटामिन्स और खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। तिल के बीज और तेल ब्लड प्रेशर, शुगर और कैंसर नियंत्रण में भी सहायक माने जाते हैं।

खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और भूमि

तिल की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी और pH मान 6.0 से 7.5 होना सबसे अच्छा रहता है। बुवाई का समय जुलाई के अंत तक उपयुक्त है।

किसानों को कहाँ से मिलेगी मदद?

किसान अधिक जानकारी और तकनीकी सहायता के लिए राजकीय कृषि रक्षा इकाई, जिला कृषि अधिकारी या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क कर सकते हैं।

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