रबी फसलों में बेहतर उत्पादन के लिए क्या करें? IMD किसानों के लिए जारी की फसल–वार विशेष सलाह
27 नवंबर 2025, भोपाल: रबी फसलों में बेहतर उत्पादन के लिए क्या करें? IMD किसानों के लिए जारी की फसल–वार विशेष सलाह – रबी सीजन की तैयारी तेज होने के साथ ही भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राजस्थान के अलग-अलग कृषि जोनों के किसानों को फसल–वार महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। विभाग ने कहा है कि इस समय खेतों में नमी की स्थिति, बुवाई का समय और फसलों की शुरुआती देखभाल सीधे उत्पादन पर प्रभाव डालने वाली है, इसलिए किसान मौसम के अनुसार सही कदम उठाएँ।
उत्तर भारतीय मैदानी एवं अरावली हिल जोन
IMD के अनुसार उत्तर भारत के मैदानी और अरावली हिल जोन में किसानों को सलाह दी गई है कि वे संरक्षित नमी वाली जमीन में चना बोने की तैयारी जारी रखें। साथ ही गेहूं की बुवाई के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कर लें और खेत तैयार करना शुरू कर दें। वहीं, राज्य के पूर्वी हिस्सों, जो बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्र माने जाते हैं, वहाँ किसानों से कहा गया है कि सर्दियों वाली सब्जियों के तैयार पौधों को मुख्य खेत में रोपें। चने की बुवाई के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन करें और सरसों में आवश्यकतानुसार निंदाई–गुड़ाई करते रहें तथा जरूरत पड़ने पर कीट नियंत्रण के लिए रसायनों का छिड़काव करें। गेहूं और जौ में बीज जनित रोग रोकने के लिए थिरम या मैंकोजेब से बीज उपचार भी जरूरी बताया गया है। सरसों की पहली सिंचाई लगभग 28 से 35 दिन के बीच करने और इसी समय बची हुई यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करने की सलाह दी गई है।
सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में मूंगफली की फसल को आवश्यकता अनुसार सिंचाई देने की बात कही गई है। इसके साथ ही चना, तारामीरा और सरसों की बुवाई जारी रखने और जौ, अजवाइन, मेथी, जीरा, इसबगोल, देसी गाजर और मूली की बुवाई करने के लिए यह समय सर्वोत्तम बताया गया है। किसान देर वाली फूलगोभी और पत्तागोभी की रोपाई भी जल्द पूरा कर लें ताकि पौधों को ठंड के अनुसार सही वातावरण मिल सके।
शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में किसानों को रबी फसलों की बुवाई से पहले खेतों की 2–3 बार हैरोइंग करने की सलाह दी गई है। जहाँ दीमक की समस्या होती है, वहाँ खेत की सिंचाई से पहले क्लोरपाइरीफॉस का छिड़काव करना लाभदायक रहेगा। सरसों की पहली सिंचाई फसल के लगभग 21 से 30 दिन की अवस्था में करने पर जोर दिया गया है।
सिंचित उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
सिंचित उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में समय पर बोई गई सरसों को लगभग 84 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया और देर से बोई गई फसल को करीब 96 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई के साथ देने की सलाह है। किसानों से कहा गया है कि सिंचाई के पहले और बाद में निंदाई अवश्य करें और पौधों के बीच कम से कम 15 सेंटीमीटर की दूरी बनाए रखें। यही समय चना बोने का भी उचित है, इसलिए इसकी बुवाई जल्द से जल्द पूरी कर लें। इसके साथ ही कपास की पकी हुई गांठों की तुड़ाई जारी रखने और गेहूं की बुवाई के लिए बेहतर बीज सुरक्षित रखने की भी सलाह दी गई है।
रबी फसलों की सिंचाई संबंधी सामान्य सलाह
IMD ने सभी क्षेत्रों के किसानों से कहा है कि बुवाई तब ही करें जब मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद हो। सरसों की फसल में 30 से 40 दिन की अवस्था में सिंचाई और बचा हुआ नाइट्रोजन देने से उत्पादन बेहतर होता है। गेहूं की देर से बुवाई का समय शुरू हो चुका है, इसलिए अनुशंसित किस्मों का ही उपयोग करें और चना बुवाई समय पर पूरी करें ताकि ठंड का पर्याप्त लाभ मिल सके।
पशुपालन संबंधी सलाह
मौसम में रात के तापमान में गिरावट को देखते हुए पशुपालन को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पशुओं को ठंडी हवाओं से बचाकर साफ और सुरक्षित शेड में रखें। मक्खी–मच्छरों के नियंत्रण के लिए नियमित सफाई जरूरी है। पशुओं को रोजाना आयोडीन युक्त नमक और मिनरल मिक्सचर खिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। धूल और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए बाड़ों को हवादार और स्वच्छ रखने की सलाह दी गई है।
फूलों की खेती—जम्मू एवं कश्मीर
फूलों की खेती करने वाले किसानों, विशेषकर जम्मू-कश्मीर के सब–ट्रॉपिकल जोन में, को गुलदाऊदी की निराई नियमित करने और सप्ताह में एक बार सिंचाई करने की सलाह दी गई है। वहीं, गुलाब के पौधों में पुरानी शाखाएँ काटकर नई टहनियों की बढ़वार को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
IMD की यह विस्तृत एडवाइजरी किसानों को मौसम के अनुसार सही निर्णय लेने में मदद करेगी और रबी फसलों के उत्पादन में सुधार लाएगी
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