गेहूं और चना की अधिक उपज के लिए उर्वरक प्रबंधन पर वेबिनार आयोजित
10 दिसम्बर 2022, इंदौर: गेहूं और चना की अधिक उपज के लिए उर्वरक प्रबंधन पर वेबिनार आयोजित – कृषक जगत द्वारा गत दिनों ‘ गेहूं और चना की अधिक उपज के लिए उर्वरक प्रबंधन -पॉली सल्फेट (रबी 2022 ) विषय पर ऑन लाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य वक्ता डॉ शैलेन्द्र सिंह, सीनियर एग्रोनॉमिस्ट, आईसीएल इण्डिया थे। इस वेबिनार ने श्री सिंह ने रबी फसलों में उर्वरक प्रबंधन के बारे में प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। इस वेबिनार में मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान के किसान भी शामिल हुए। किसानों द्वारा पूछे गए सवालों का श्री सिंह ने समाधानकारक ज़वाब दिया। कृषि ज्ञान प्रतियोगिता के विजेता राजस्थान के अलवर जिले के किसान श्री गुमान सिंह सैनी रहे। उन्हें कृषक जगत की ओर से वर्ष 2023 की कृषक जगत डायरी पुरस्कारस्वरूप भेजी जाएगी। कार्यक्रम का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोन्द्रिया ने किया।
आईसीएल कम्पनी और पॉली सल्फेट का परिचय : 1920 में स्थापित इजराइल केमिकल्स लि इजराइल की एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है ,जिसने निरंतर विकास करके नया मुकाम हासिल किया है। यह विश्व में पहले 6 उर्वरक निर्माताओं की सूची में शामिल है जो कमोडिटी फर्टिलाइजर , स्पेशल्टी फर्टिलाइजर और स्पेशल्टी केमिकल का उत्पादन करती है। यदि मात्रा की बात करें तो आईसीएल को 50 लाख टन पोटेशियम उत्पादन के कारण विश्व में 6 ठा और यूरोप में दूसरा स्थान प्राप्त है। इसी तरह इस कम्पनी द्वारा 30 लाख टन फास्फेट और 5 लाख टन फास्फोरिक एसिड का निर्माण किया जाता है। वहीं आईसीएल 20 लाख टन पीके (फास्फोरस और पोटाश )ग्रेन्यूल्स भी बनाती है। इसके अलावा एक समुद्री रसायन ब्रोमाइड के निर्माण में विश्व में 35 % हिस्सेदारी के साथ पहले नंबर पर है। दुनिया में मैग्नेशियम के कुल उत्पादन का 9 % आईसीएल बनाता है। यह कम्पनी अपना कच्चा माल दो प्राकृतिक स्रोतों से लेती है। नेगेव डेजर्ट से फास्फेटिक का डेड सी से पोटेशियम फर्टिलाजर का खनन किया जाता है। कम्पनी दानेदार पॉली सल्फेट ,पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर और छिड़काव वाले न्युट्रीवाण्ट खाद बनाती है। सौ वर्षों का अनुभव रखने वाली इस कम्पनी का आर एन्ड डी बहुत मजबूत है। 12 हज़ार वर्कर और 500 एग्रोनॉमिस्ट की टीम वाली यह कम्पनी यूरोप और दक्षिण एशिया में लोकप्रिय है।
श्री सिंह ने कहा कि पॉली सल्फेट वस्तुतः यूनाइटेड किंगडम के उत्तरी सागर में स्थित खदान की गहराई से प्राप्त किया गया ऐसा मिनरल्स है , जो पूर्णतः प्राकृतिक है और इसमें कोई रसायन नहीं है। इसलिए यह जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है। इसमें चार पोषक तत्व सल्फर (18.5 % ),पोटेशियम (13.5 %), मैग्नेशियम ( 5.5 %) और कैल्शियम (16.5 %) पाए जाते हैं । इसकी खासियत यह है कि यह पानी के सम्पर्क में आने पर खेत में धीरे -धीरे घुलता है । इस कारण सल्फर जड़ों के पास ही रहता है। यह सल्फर का बेहतर स्रोत है। जो गेहूं और चना फसल के लिए ज़रूरी है। सल्फर की कमी के कारण क्लोरोफिल और प्रोटीन का निर्माण प्रभावित होता है। इसमें मौजूद सल्फर जहाँ नाइट्रोजन के अपटेक को बढ़ाता है, वहीं मैग्नेशियम फास्फोरस के अपटेक को भी बढ़ाता है।इससे गेहूं -चना फसल का वानस्पतिक विकास अच्छा होता है और यह उच्च तापमान के प्रभाव को कम करने में भी सहायक होता है। इसमें बोरोन भी प्राकृतिक रूप से मौजूद रहता है, लेकिन उसकी मात्रा अनिश्चित होती है। इसलिए अलग से बोरोन की सिफारिश की जाती है। गेहूं फसल में 0.5 ग्राम /लीटर बोतल के साथ स्टार्टर का स्प्रे कर दीजिए। इससे गेहूं की बालियां अच्छी आएंगी। गेहूं में क्लोसिंग की समस्या आती है। जिसमें पोटेशियम की कमी और फरवरी -मार्च में तापमान के उतार – चढ़ाव के कारण गेहूं के दाने पिचक जाते हैं। इसके लिए आईसीएल की ओर से 8 :16 :39 खाद की अनुशंसा की जाती है। इसका प्रयोग गेहूं की बालियां बाहर आ जाएं तब करना चाहिए । इससे दाने का भराव अच्छा होगा और गेहूं परिपक्व होगा। ज़मीन में मैग्नेशियम रहता है तो है , लेकिन कठोर होने से जल्दी नहीं टूटता और फसल को उतना नहीं मिल पाता है। इसीलिए अलग से मैग्नेशियम डालना पड़ता है। इसमें मौजूद मैग्नेशियम वानस्पतिक विकास में मदद करता है।
पॉली सल्फेट का प्रयोग बुआई के समय कर सकते हैं। इसे पहला पानी चलाने से पहले डालना चाहिए, क्योंकि यह पाउडर फार्म में है। जबकि यूरिया को पानी चलाने के बाद डाला जाता है। इसकी 50 किलो /एकड़ मात्रा गेहूं और चना फसल के लिए पर्याप्त है। फोलियर न्यूट्रिशन अर्थात पर्णीय पोषण का जिक्र करते हुए श्री सिंह ने कहा कि इसके लिए आईएसीएल के 4 विशेष उत्पाद हैं । किसान जो भी स्प्रे करते हैं उसके तत्व पौधे में अच्छी तरह जाना चाहिए यह कम्पनी की अर्थात हमारी जिम्मेदारी है। हमारे उत्पाद इसे पूरा करते हैं। न्युट्रीवाण्ट,जो कि फर्टीवांट टेक्नोलॉजी से युक्त है, इसमें तीन एक्टिव पॉवर भी है, जो पौधे पर किए गए गए स्प्रे को व्यवस्थित तरीके से पौधे के माध्यम से अवशोषित करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि सामान्य स्प्रे और न्युट्रीवाण्ट स्प्रे में बहुत फर्क है। इस मामले में 200 अनुभव को फेस बुक पर पोस्ट किया है जिसे देखा जा सकता है । पहला तो यह कि स्प्रे का फैलाव एक समान होना चाहिए जिसे न्युट्रीवाण्ट पूरा करता है। इसे लम्बे समय तक के लिए प्रभावी बनाया गया है। चने और गेहूं को छोड़कर कुछ अन्य पौधों जिनकी पत्तियां मोटी होती है , जिसमें न्यूट्रिएंट प्रवेश नहीं कर पाता है। उसमें भी यह सुगमता से प्रवेश कर जाता है। यह विश्व की बेहतर फर्टीवांट तकनीक पर आधारित है। इसलिए इसके नतीजे भी अच्छे हैं । इसमें उपयोग की गई सामग्री सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह सुरक्षित होने के साथ किफायती और फायदेमंद है। एक बार इसका प्रयोग ज़रूर करना चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि गेहूं में दो स्प्रे करें। पहला स्प्रे न्युट्रीवाण्ट स्टार्टर (11 :36 :24 )ट्रिगलिंग की शुरुआत में और दूसरा स्प्रे न्युट्रीवाण्ट बूस्टर (8 :16 :39 )का फूल आने पर करें। इससे बालियां और दानों का वजन अच्छा मिलेगा। इसमें दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आइरन ,मैगनीज ज़िंक, कॉपर आदि नहीं डाल पाते हैं, तो भी इसमें मौजूद सूक्ष्म तत्व फसल को मजबूती प्रदान करेगा और पैदावार को भी बढ़ाएगा। यह सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरी तरह पूर्ति तो नहीं करेगा, लेकिन सामान्यतः यह कई चरणों में यह तत्व फसल अंततः को मदद ही करेगा। श्री सिंह ने बेसल में पॉली सल्फेट का और गेहूं के स्प्रे में स्टार्टर और बूस्टर के फार्मूले को ज़रूर अपनाने का आग्रह किया। यदि बोरोन की कमी है तो स्टार्टर के साथ आप बोरोन का स्प्रे भी करें। इससे गेहूं की अच्छी पैदावार मिलेगी। इसी तरह चना फसल के लिए न्युट्रीवाण्ट स्टार्टर का प्रयोग फूल आने से पहले यानी 35 -40 दिन में स्प्रे करें। इसके साथ बोरोन ( 0.5 ग्राम /लीटर )का भी उपयोग करेंगे तो कोट अच्छा बन जाएगा। कोट के अंदर दाने के अच्छे विकास के लिए न्युट्रीवाण्ट पीकवांट का स्प्रे कर दीजिए। इससे चने की फसल जोरदार होगी। चने में दो सिंचाई अवश्य करें। एक फूल आने से पहले और दूसरी सिंचाई कोट बनने के बाद करें। फूल आने के बाद की सिंचाई नुकसान करेगी यह ध्यान रखें।
प्रश्नोत्तरी : श्री भरत गुर्जर ,लोनारा (खरगोन ) ने पूछा कि गेहूं की बोनी सूखे में बोकर फिर पानी चलाना चाहिए या पानी चलाने के बाद बोनी करनी चाहिए। श्री सिंह ने जवाब दिया कि गेहूं को ज़्यादा नमी नहीं चाहिए। मिट्टी हल्की है तो बेहतर यही होगा कि आप सूखे में बुवाई न करें। पानी चलाने के बाद ही बोनी करें। अभी विलम्ब नहीं हुआ है। श्री बालेंदु सिंह (अश्विनी सिंह ) उज्जैन ने कहा कि 15 नवंबर को गेहूं की गुजरात की किस्म जीडब्ल्यू 513 लगाई है। बेसल डोज़ दे चुके हैं। सूखे में बोने के बाद अंकुरण के बाद एक पानी देते हैं ,जिसे मालवा में गालवन कहते हैं । दूसरा पानी अंकुरण के 21 दिन बाद देंगे। ऐसे में पॉलीसल्फेट का उपयोग किस चरण में कैसे करना चाहिए ? श्री सिंह ने कहा कि आपने डोज़ काफी दे चुके हैं , इसलिए 25 किलो /एकड़ की दर से पॉली सल्फेट का उपयोग दूसरे पानी तक किया जा सकता है। यह हमारे लिए भी नया होगा , क्योंकि पॉली सल्फेट का प्रयोग अभी तक पहले पानी तक ही किया है। पॉलीसल्फेट में सल्फेट है ,अतः सल्फर का उपयोग न करें। श्री चेतन सिंह ने इस वेबिनार की प्रशंसा कर पूछा कि गेहूं फसल में स्प्रे कब करना है ? श्री सिंह ने कहा कि गेहूं फसल में यदि टिलरिंग स्टेज पर एक स्प्रे कर देते हैं तो स्टार्टर फार्मूला किसी भी फसल को वानस्पतिक वृद्धि को पिकअप करने में बहुत मदद करता है। यदि बोरोन का भी एक स्प्रे कर दिया जाए तो जब दाने बने तो उसे बोरोन मिल जाए। पहला स्टार्टर का स्प्रे 35 -45 दिन में और दूसरा बूस्टर का स्प्रे 65 -75 दिन में करें इससे दानों का वजन बढ़ेगा। श्री संजय रघुवंशी (फेसबुक ) ने पूछा कि 2 4 – डी और क्लोडिनोफोप के साथ वेस्ता के भी रिजल्ट कम आ रहे हैं। दोनों खरपतवार के लिए कोई नया खरपतवार नाशक बताएं ? श्री सिंह ने कहा कि गेहूं की सबसे बड़ी चुनौती खरपतवार प्रबंधन की है। श्री सिंह ने इसके दो कारक बताए। जिसे उन्होंने गेहूं में खुद आजमाया है । पहला तो यह कि गेहूं में खरपतवार का जो स्प्रे करते हैं ,वो कितना बारीक जा रहा है। वह उस दवाई के असर को घटा /बढ़ा सकता है। आपके स्प्रे के नोज़ल की बूंदें जितनी बारीक होगी, उतनी ही ज्यादा खरपतवार को मिलेगी। दूसरा कारण जिस पानी से स्प्रे कर रहे हैं कहीं वह भारी तो नहीं है ? यह भी देखना होगा। दवाई के अलावा इन दो तत्वों पर भी ध्यान दें। निश्चित इससे फर्क पड़ेगा। आपने पंजाब में खरपतवार नियंत्रण के लिए ट्रैक्टर से 25 -30 दिन में सीधे स्प्रे करने का भी जिक्र किया। श्री गुमान सिंह सैनी ने राजस्थान में पॉली सल्फेट की उपलब्धता संबंधी सवाल किया। उन्हें संपर्क नंबर दिया गया।
कृषि ज्ञान प्रतियोगिता – इसमें सवाल पूछा गया कि पॉली सल्फेट में कौन- कौन से न्यूट्रीएंट प्राप्त होते हैं ? जिसका सबसे पहले और सटीक ज़वाब श्री गुमान सिंह सैनी ,अलवर राजस्थान ने दिया। उन्होंने जवाब दिया कि पॉली सल्फेट में सल्फर (18.5 % ),पोटेशियम (13.5 %), मैग्नेशियम ( 5.5 %) और कैल्शियम (16.5 %) पाया जाता है। श्री सैनी को कृषक जगत की ओर से वर्ष 2023 की कृषक जगत डायरी पुरस्कारस्वरूप भेजी जाएगी। पॉली सल्फेट संपर्क नंबर मध्यप्रदेश – श्री मिश्रा 9893040775 और राजस्थान – श्री प्रदीप 8003653395 ।
महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (08 दिसम्बर 2022 के अनुसार)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम )