राज्य कृषि समाचार (State News)

“जल पुरुष” डॉ. मोहन यादव का संकल्प हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना

25 मार्च 2025, भोपाल: “जल पुरुष” डॉ. मोहन यादव का संकल्प हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अक्सर कहते हैं कि प्राचीन काल में भारत में पारस पत्थर हुआ करता था, जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाता था। इस पारस पत्थर का काम पानी करता है जब वह सूखे खेतों पर पहुंचता है। जल के स्पर्श से खेतों में सुनहरी फसलें लहलहाती हैं। प्रधानमंत्री   नरेंद्र मोदी के देश की धरती को “शस्य श्यामला” बनाने के संकल्प से ही जुड़ा हुआ है मुख्यमंत्री डॉ. यादव का “संकल्प “हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना” जिससे हर खेत में सुनहरी फसलें लहलहाएं और किसान समृद्धशाली बने। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए वे निरंतर जुटे हुए हैं और इसके परिणाम स्वरुप प्रदेश ने गत 1 वर्ष में सिंचाई के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि अब महाराष्ट्र सरकार के साथ वार्ता के बाद विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज अंतर्राज्यीय संयुक्त परियोजना “ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना” का अवरोध दूर हो गया है। मध्यप्रदेश शीघ्र ही महाराष्ट्र सरकार के साथ इस संबंध में करार करने की ओर बढ़ रहा है। जल्द ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भोपाल आमंत्रित कर करार की कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि “ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना के जरिए हम महाऱाष्ट्र सरकार के साथ मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर राष्ट्रहित में नदी जल की बूंद-बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना-कोना सिंचित करेंगे।”

केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें केन नदी पर दौधन बांध एवं लिंक नहर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। रुपये 44 हजार 605 करोड़ लागत की इस परियोजना के पूर्ण होने पर मध्य प्रदेश के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 08 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा और प्रदेश की 44 लाख आबादी को पेयजल सुविधा प्राप्त होगी। साथ ही परियोजना से 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा, जिसका पूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश करेगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 10 जिले-छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा एवं सागर के लगभग 02 हजार ग्रामों के लगभग 07 लाख 25 हजार किसान परिवार लाभान्वित होंगे। सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर की स्थिति सुधरेगी। औद्योगीकरण, निवेश एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों में आत्मनिर्भरता आयेगी तथा लोगों का पलायन रुकेगा। परियोजना के साकार रूप लेने पर मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “अटल भू-जल योजना” प्रारंभ की गई है। यह योजना प्रदेश के 06 जिलों के 09 विकासखण्डों में क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना से चयनित क्षेत्रों में भू-जल स्तर में सुधार होने से स्थानीय किसानों को लाभ प्राप्त होगा तथा किसानों की आय बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त जल जीवन मिशन के अन्तर्गत जल प्रदाय के लिये टिकाऊ जल स्त्रोत भी उपलब्ध हो सकेंगे। बांधों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बांधों की सुरक्षा को लेकर मध्यप्रदेश सरकार पूरी सजगता के साथ काम कर रही है। इसके लिये प्रदेश में “डैम सेफ्टी रिव्यू पेनल” गठित है, जो प्रतिवर्ष संवेदनशील बांधों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। आने वाले 05 वर्षों में प्रदेश के 27 बांधों की सुरक्षा एवं मरम्मत की जावेगी। इसके लिये विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त की जा चुकी है।

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