धान की नई किस्म ‘विक्रम टीसीआर’: किसानों के लिए पानी और समय की बचत
25 सितम्बर 2025, रायपुर: धान की नई किस्म ‘विक्रम टीसीआर’: किसानों के लिए पानी और समय की बचत – छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में धान की एक नई किस्म ‘विक्रम टीसीआर’ का बीज उत्पादन इस साल 67 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जा रहा है। यह किस्म कम समय में पकने वाली और कम पानी की खपत वाली बताई जा रही है, जिसकी उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल तक है।
कृषि विभाग के अनुसार, इस किस्म की फसल 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है, जो पारंपरिक धान की किस्मों से कम समय लेती है। इससे पानी की बचत होने का दावा किया गया है। इसके अलावा, पौधों की कम ऊंचाई के कारण तेज हवाओं या आंधी-तूफान में फसल के गिरने का जोखिम कम रहता है।
नई किस्म की विशेषताएं और उत्पादन
बेमेतरा जिले के कृषि विभाग के उप संचालक मोरध्वज डड़सेना ने बताया, “विक्रम टीसीआर की लंबाई कम और उपज अधिक है। कम लंबाई के कारण यह तेज हवा और आंधी-तूफान में भी गिरती नहीं है। यह धान के अन्य बीजों की तुलना में अधिक हवादार परिस्थितियों को सहन कर सकती है।” उन्होंने आगे कहा कि जिले में 67 हेक्टेयर में इस किस्म का बीज किसानों द्वारा तैयार किया जा रहा है, जिसमें आदिवासी गांव झालम भी शामिल है। यह बीज अगले साल अन्य किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
पिछले साल जिले में सुगंधित धान की किस्म ‘सीजी देवभोग’ का बीज 16 हेक्टेयर में तैयार किया गया था। इस साल दोनों किस्मों का उत्पादन बढ़ाया गया है। जिला जल संकट की स्थिति में है, जहां केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने सभी विकासखंडों को रेड जोन में रखा है। साजा विकासखंड को सेमी-क्रिटिकल और बेमेतरा, बेरला तथा नवागढ़ को क्रिटिकल जोन में शामिल किया गया है।
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