जबलपुर जिले में बढ़ रहा नैनो उर्वरक का इस्तेमाल
14 मई 2024, जबलपुर: जबलपुर जिले में बढ़ रहा नैनो उर्वरक का इस्तेमाल – किसानों द्वारा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी उर्वरक का उपयोग बढ़ता जा रहा है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक मूंग एवं उड़द फसलों के फूल एवं फलियां बनने की वर्तमान अवस्था में यदि किसानों द्वारा नैनो डीएपी का एक स्प्रे किया जाये तो उनके उत्पादन में 10 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
श्री रवि आम्रवंशी ,उपसंचालक कृषि ने बताया कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी नैनो तकनीक पर आधारित उर्वरक है ,इसमें नाइट्रोजन एवं फास्फोरस नैनो यानी सूक्ष्म कणों के रूप में उपस्थित होते हैं। यह कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि फसलों में स्प्रे करने पर पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले स्टोमेटा से पौधे के अंदर प्रवेश कर जाते हैं तथा 20 से 25 दिनों तक पौधे के सिस्टम में रहते है। पौधे आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग करते हैं। श्री आम्रवंशी के अनुसार नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी किसानों को सीधे तौर पर लाभान्वित करते हैं। इन उर्वरकों के उपयोग से धान में बदरा रहित खेती संभव है। साथ ही फसलों के अविकसित दानों में इन उर्वरकों के प्रयोग से दानों के आकार, वजन, चमक एवं उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होता है। नैनो डी.ए.पी. से बीज उपचार करने से लगभग 25 प्रतिशत फास्फोरस की पूर्ती की जा सकती है। खड़ी फसल में भी किसान नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी उर्वरक का प्रयोग कर किसान दानेदार उर्वरकों की लगभग 50 प्रतिशत मात्रा की बचत कर सकते हैं। किसानों द्वारा इन उर्वरकों में कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवा को आवश्यकता अनुसार मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।
उप संचालक कृषि ने बताया कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का उपयोग फसलों में स्प्रे के माध्यम से किया जाता है। जिसे फसलों की पत्तियों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। नैनो डीएपी का उपयोग बीजोपचार के लिये भी किया जाता है। इसलिए नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी की अधिकतम उपयोग क्षमता 90 प्रतिशत हो जाती है। श्री आम्रवंशी के अनुसार दानेदार यूरिया एवं दानेदार डीएपी का उपयोग भूमि में किया जाता है। जो फसलों की जड़ों द्वारा अवशोषित कर पौधों को प्रदाय किया जाता है। इससे अधिकतर नाइट्रोजन भूमि में लिंचिंग से निचली सतह में चला जाता है या वायुमंडल में वाष्पीकृत हो जाती है। फास्फोरस भी जमीन में मिट्टी के कणों के साथ फिक्स हो जाता है। दानेदार उर्वरकों की अधिकतम उपयोग क्षमता 25 से 30 प्रतिशत तक ही होती है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 500 मिलीलीटर की मात्रा के साथ नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 2 सौ 25 रुपए है। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा 20 प्रतिशत होती है। नैनो डी.ए.पी की 500 मिलीलीटर की बोतल में नाइट्रोजन 8 एवं फास्फोरस की 16 प्रतिशत मात्रा होती है। इसकी कीमत 600 रुपये है। यह दानेदार यूरिया, डी.ए.पी. की एक बोरी के बराबर फसलों में लाभदायक होती है। प्रति बोरी दानेदार यूरिया, डी.ए.पी. के स्थान पर फसलों में नैनो यूरिया, नैनो डी.ए.पी. का स्प्रे करने पर कृषकों को यूरिया में लगभग 41 रुपए तथा डी.ए.पी. में 7 सौ 50 रुपए प्रति बोरी की बचत होती है। श्री आम्रवंशी के अनुसार आगामी समय में खरीफ फसलों के अंतर्गत मक्का एवं धान की बोनी से पहले 5 मिलीलीटर नैनो डी.ए.पी. से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार किया जाये तो फसलों का अंकुरण अधिक एवं पौधे की बढ़वार सामान्य से अच्छी होगी तथा फसलों में दानेदार डीएपी की 25 प्रतिशत मात्रा का उपयोग करने पर भी उत्पादन अधिक प्राप्त किया जा सकता है।
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