मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व मेंराज्य में 2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की कार्रवाई शुरू
17 मार्च 2025, भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व मेंराज्य में 2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की कार्रवाई शुरू – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेशकों को बढ़ावा देने के साथ-साथ नगरों के सुव्यवस्थित विकास के लिये महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं।
राज्य में 2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (महानगर) की कार्रवाई नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा की जा रही है। पहला मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र इंदौर-उज्जैन-देवास और धार को मिलाकर विकसित करने की कार्यवाही चल रही है। इसी प्रकार दूसरा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) को मिलाकर विकसित करने की कार्यवाही चल रही है। इनके गठन से मध्यप्रदेश को एक आर्थिक विकास केन्द्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार के विजन के अनुरूप, राज्य के प्रमुख संभाग मुख्यालय ग्वालियर, सागर, रीवा, जबलपुर, नर्मदापुरम और शहडोल को क्षेत्रीय आर्थिक विकास केन्द्र (रीजनल इकॉनामिक ग्रोथ हब) के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार का यह प्रयास प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोजगार, व्यापार और निवेश के नये अवसरों को भी बढ़ावा देगा। प्रदेश की नगरीय क्षेत्र की भूमि बहुमूल्य संसाधन है, जिसका सुव्यवस्थित उपयोग शहरी विकास के लिये अति आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए टीडीआर (ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स) नियम बनाये गये हैं। इन नियमों के क्रियान्वयन के लिये ऑनलाइन प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। ऑनलाइन प्रक्रिया के लिये टीडीआर पोर्टल तैयार किया गया है। यह पोर्टल भवन निर्माताओं और संपत्ति मालिकों को विकास अधिकारों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। इससे उन्हें मुआवजे के रूप में अतिरिक्त निर्माण क्षमता प्राप्त होती है। राज्य सरकार ने सतत शहरी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी-2025 बनायी है। इस नीति का उद्देश्य निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से सुव्यवस्थित, आधुनिक और आत्मनिर्भर टाउनशिप विकसित करना है। यह नीति बेहतर बुनियादी सुविधाएँ, हरित आवासीय क्षेत्र और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगी। इस नीति में लैण्ड पूलिंग कॉन्सेप्ट को भी अपनाया गया है, जिससे भूमि स्वामियों को उचित मुआवजे के साथ विकास में भागीदारी का अवसर मिलेगा। प्रदेश में भवन निर्माण की अनुमति को प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेही व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के लिए ऑटोमेटिक बिल्डिंग परमीशन और अप्रूवल सिस्टम विकसित किया गया है। प्रदेश में अब तक 2 लाख 60 हजार आवेदनों को स्वीकृत किया गया है।
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