ग्वालियर में दो दिवसीय राज्य स्तरीय उद्यानिकी कार्यशाला आयोजित
29 जुलाई 2025, ग्वालियर: ग्वालियर में दो दिवसीय राज्य स्तरीय उद्यानिकी कार्यशाला आयोजित – उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना अंतर्गत ग्वालियर जिले में उद्यानिकी फसलों को बढावा देने के लिए गत दिनों दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति अरविंद कुमार शुक्ला, सहायक संचालक उद्यान विभाग ग्वालियर एमपीएस बुंदेला, सीनियर साइंटिस्ट भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र बनारस डॉ. एएन त्रिपाठी, प्रधान वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर डॉ. शैलेन्द्र कुशवाह, प्रगतिशील कृषक उज्जैन डॉ. योगेन्द्र कौशिक, पीलीबंगा जयपुर के श्री भंवर सिंह शेखावत (जैविक गुरु राजस्थान) सुश्री निशा निरंजन, सहित बड़ी संख्या में ग्वालियर जिले के किसान उपस्थित थे।
मंत्री श्री कुशवाह ने कहा किसान परंपरागत खेती पर ही निर्भर न रहें बल्कि उद्यानिकी फसलों की ओर भी बढ़ें। किसानों के लिए म.प्र सरकार नई योजना ला रही है, जिसमें जो भी किसान ‘एक बगिया मां के नाम ‘ पर लगाने का कार्य करेगा, तो सरकार उसको 3 लाख तक अनुदान प्रदान करेगी। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि गांव में अधिक से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट एवं छोटे छोटे उद्योग लगाएं जिससे किसान खुद की फसल का अच्छा दाम प्राप्त कर सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया उद्यानिकी विभाग में नये किसानों का अधिक से अधिक पंजीयन कराएं जिससे प्रगतिशील किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।
द्वितीय दिवस के मुख्य अतिथि भितरवार के विधायक श्री मोहन सिंह राठौर और विशेष अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष श्री प्रेम सिंह राजपूत थे। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री एमपीएस बुंदेला बताया कि किसानों को परंपरागत खेती के साथ उद्यानिकी फसलों को भी बढ़ावा देने के लिए सरकार की कई क्रांतिकारी योजनाएं हैं, जिसका किसान अपने खेतों में उतर कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है परंपरागत खेती में भी उपस्थित कृषिविदों की उन्नत तकनीक का उपयोग का बेहतर परिणाम प्राप्त करें। इसके लिए किसानों का पंजीयन भी विभाग द्वारा आरंभ कर दिया गया है । कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति श्री शुक्ला ने कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से किसान अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकते हैं। परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अगर किसान कार्य करे तो उनकी आय दोगुना हो सकती है। कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा भी किसानों को उद्यानिकी फसलों के संबंध में तकनीकी जानकारी दी गई। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ आत्मानंद त्रिपाठी, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान बनारस ने सब्जी,भाजी, फल फूल के उन्नत तकनीक बीज आदि जानकारी के साथ टमाटर के पौधे पर टमाटर के साथ बैंगन भी लगते हैं और टमाटर के पौधे पर ऊपर टमाटर और नीचे जड़ों में आलू की फसल प्राप्त करने वाली ग्राफ्टिंग पद्धतियों की बारीकियों के बारे में किसानों को समझाया कि वह अपने खेत पर स्वयं ही इस प्रकार की विधाएं उतार सकते हैं । डॉ त्रिपाठी ने सब्जियां जहर मुक्त पैदा करने पर जोर दिया ताकि मनुष्य के स्वस्थ रहे और भरपूर पोषक तत्व की प्राप्ति हो। कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ शैलेंद्र कुशवाह ने जिले की गुणवत्ता युक्त उद्यान की फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया।
राजस्थान के प्रगतिशील कृषक एवं जैविक गुरु श्री भंवर सिंह पीलीबंगा ने बहुत बारीकियां के साथ हमारी मृदा में किन-किन तत्वों की आवश्यकता है और उन तत्वों की प्रतिपूर्ति नहीं होने की दशा में हम जो भोजन करते हैं, दूध पीते हैं उसमें भी वह पोषक तत्व नहीं होते जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है । श्री पीलीबंगा ने जहर मुक्त ,रसायन मुक्त संतुलित खेती के विषय में किसानों के प्रश्नों के उत्तर गंभीरता से दिए। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रगतिशील कृषक डॉ. योगेन्द्र कौशिक , उज्जैन ने कहा कि खेती बाड़ी में .खेती का मतलब हमारे परंपरागत खाद्यान्न फसलें और बाड़ी का मतलब है उद्यान की फसलें जैसे साग -सब्जी, फल- फूल आदि ।डॉ कौशिक ने किसानों से आह्वान किया कि मानव स्वास्थ्य के लिए साग सब्जियों ,फलों पर रासायनिक दवाइयों का उपयोग नहीं करें और जहर मुक्त रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती ही करें । प्राकृतिक खेती से मानव, मृदा और पर्यावरण के स्वास्थ्य की रक्षा होती है ।
देश के कई राज्यों में “क्वीन ऑफ़ मशरूम” के नाम से प्रसिद्ध सुश्री निशा निरंजन (सीईओ : वीएन ऑर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड) ने कहा कि मशरूम आज के युग में न केवल एक पोषक तत्वों से भरपूर सुपरफ़ूड है, बल्कि यह पोषण सुरक्षा और सतत आजीविका का एक शक्तिशाली माध्यम भी बन चुका है। मशरूम में विटामिन B12, विटामिन D, पोटेशियम, सेलेनियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शाकाहारी भोजन में अक्सर अनुपलब्ध रहते हैं।उनकी संस्था द्वारा 7500 से अधिक किसानों, विशेषकर लघु और सीमांत एससी,एसटी वर्ग महिला किसान समुदायों को मशरूम की खेती और प्रसंस्करण के ज़रिए आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आपने जैविक कृषि और मशरूम जैसे उच्च संभावनाओं वाले क्षेत्रों में आगे आने की अपील की।
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