राज्य कृषि समाचार (State News)

बूंदी केवीके में हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम: वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को दिए तकनीकी टिप्स

28 जून 2025, बूंदी: बूंदी केवीके में हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम: वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को दिए तकनीकी टिप्स – कृषि विज्ञान केंद्र, बूंदी में बीते मंगलवार को मॉडल ऑइलसीड विलेज योजना के तहत किसानों के लिए सोयाबीन उत्पादन तकनीक एवं पौध संरक्षण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण केशवरायपाटन पंचायत समिति के चयनित गांव भीया के किसानों के लिए आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और केंद्र के अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने बताया कि जिले में सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के लिए यह मॉडल योजना चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य उन्नत किस्मों की बीज उपलब्धता, फसल उत्पादन विधियों और कीट-रोग प्रबंधन तकनीकों की जानकारी किसानों तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि किसान उत्पादन के बाद बीज को अगले सीजन के लिए भी संरक्षित कर सकते हैं और स्थानीय स्तर पर अन्य किसानों को बेच भी सकते हैं।

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बीजोपचार और रोग प्रबंधन की सलाह

प्रो. वर्मा ने किसानों को बताया कि बुवाई से पहले बीजों को क्रमशः कार्बेन्डाजिम फफूंदीनाशक (2 ग्राम/किलो बीज), थायोमेथाक्जेम कीटनाशक (10 मिली/किलो बीज) और राइजोबियम व फास्फोबैक्ट्रीन कल्चर (5 मिली/किलो बीज) से उपचारित करना चाहिए। इससे बीज और मृदा जनित रोगों से बचाव होता है और फसल की उत्पादकता बेहतर होती है।

सोयाबीन की उन्नत किस्म और उसकी विशेषताएं

तिलहन तकनीकी सहायक विजेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि JS 20-116 किस्म मध्यम अवधि (95–100 दिन) में पकने वाली उपजाऊ किस्म है, जो अनुकूल परिस्थितियों में 20–25 क्विंटल/हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है। यह किस्म पीला मोजेक, तना छेदक, पत्ती भक्षक इल्लियाँ आदि रोगों के प्रति सहनशील है और इसकी अंकुरण क्षमता भी उच्च है।

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विशेषज्ञों की भागीदारी

प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा. घनश्याम मीणा (पशुपालन वैज्ञानिक), दीपक कुमार (वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता), महेंद्र चौधरी (फार्म मैनेजर), लोकेश प्रजापत, दुर्गा सिंह सोलंकी, रामप्रसाद सहित अन्य कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने सहभागिता निभाई और किसानों की शंकाओं का समाधान किया।

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