राज्य कृषि समाचार (State News)

प्राकृतिक खेती के लिए चयनित किसानों का प्रशिक्षण संपन्न

03 अक्टूबर 2025, छिंदवाड़ा: प्राकृतिक खेती के लिए चयनित किसानों का प्रशिक्षण संपन्न – प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार और प्राकृतिक खेती के महत्व को बताने एवं किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करने की दृष्टि से नेशनल मिशन ऑन नेचुरल योजना के अंतर्गत जिले के विकासखंड मोहखेड़ के ग्राम बदनूर में प्राकृतिक खेती के लिए चयनित किसानों का प्रशिक्षण आत्मा परियोजना की विकासखंड तकनीक प्रबंधक सुश्री प्रिया कराड़े, सहायक तकनीक प्रबंधक सुश्री ज्योति अहिरवार की उपस्थित में आयोजित किया गया।

पंच महाभूत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षक श्री राजेश धारे ने जैविक कृषि के बारे में बताया कि जैविक/प्राकृतिक कृषि गौ-आधारित खेती की तकनीक है, जो हमारे पूर्वज हजारों साल पहले इसी तकनीक से खेती किया करते थे । वही जैविक खेती का सही तरीका है, किंतु वर्तमान आवश्यकता के अनुसार कुछ नए आयाम और नए आदान को खेती में स्थान देने की आवश्यकता है । खेती में किसान सिर्फ 4 प्रतिशत कार्यों में ही अपनी भूमिका निभा सकता है, 96 प्रतिशत काम प्रकृति स्वयं करती है। आज हमने रासायनिक विधि से जो खेती की है उसमें वह 96 प्रतिशत काम करने वाले बैक्टीरिया/ फंगस खत्म हो गए हैं, जिन्हें वापिस खेत में लाना होगा। संसार ऊर्जा से संचालित है और खेती में भी ऊर्जा का एक स्थान है। सही खेती करने के लिए ऊर्जा को सकारात्मक बनाए रखना बहुत जरूरी है। सकारात्मक ऊर्जा के साथ ही पंच महाभूत संतुलन भी एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। जैविक कृषि में पंचमहाभूतों के प्रयोग को करने के तरीके और उसके लाभ के बारे में भी बताया गया। जीवामृत, घन जीवामृत खट्टा, जैव रसायन कड़वा, जैव न्यूज के लिए रसायन मीठा, जैव रसायन, भस्म रसायन आदि कृषि के उपयोग में आने वाले आदानों की चर्चा किसानों के साथ की गई। प्रशिक्षक द्वारा बताया गया कि प्राकृतिक खेती से भी रिकॉर्ड उत्पादन किया जा सकता है, बस शर्त है कि समय पूर्व तैयारी और सही प्रबंधन किया जाए। जैविक खेती में टमाटर, लहसुन जैसी व्यवसायिक फसलों का भी रिकॉर्ड उत्पादन लिया जा सकता है और लाभ कमाया जा सकता है ।

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बीटीएम सुश्री प्रिया कराड़े ने किसानों को जैविक खेती की आवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा कि भारत सरकार के विभिन्न शोध संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालयों ने मृदा स्वास्थ्य के ऊपर शोध किया, जिसमें पाया गया कि मध्य प्रदेश की भूमि धीरे-धीरे अधिक रसायन का प्रयोग के कारण उसर होते जा रही है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग आने वाले 10 वर्षों में मध्यप्रदेश में खेती योग्य भूमि उपलब्ध नहीं रहेगी। इसलिये भविष्य की इस दशा को देखते हुए हमें आज ही सचेत होने की आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके माध्यम से खेती में उत्पादन तो प्राप्त किया ही जा सकता है। साथ ही खेती का स्वास्थ्य भी ठीक किया जा सकता है। जैसा कि कहां जाता है- जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन, वर्तमान में खेत से उत्पन्न अनाज सब्जियां एवं दलों में रसायन की मात्रा अधिक पाई जा रही है एवं प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और पोषक तत्वों की मात्रा में कमी आई है, जिससे कि भोजन उस गुणवत्ता का नहीं बचा जिस गुणवत्ता का होना चाहिए। ऐसी दशा में मनुष्य बार-बार बीमार होना, कई गंभीर बीमारियों का होना बढ़ रहा है। विकासखंड मोहखेड़ में भी ऐसी कई बीमारियों के बारे में सुना या देखा जा सकता है, जो लाइलाज और गंभीर है। मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए गाय आधारित  प्राकृतिक खेती पर जाना ही होगा। इसलिये भारत सरकार की नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना के अंतर्गत विकासखंड मोहखेड़ के 500 किसानों का चयन प्राकृतिक कृषि के लिए किया गया है, जिनको समय-समय पर प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जो भविष्य में प्राकृतिक खेती के संवाहक बनेंगे। ग्राम बदनूर के महिला एवं पुरुष किसानों ने प्रशिक्षण का लाभ प्राप्त किया।

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