शहतूत की खेती और रेशम कीट पालन पर दिया प्रशिक्षण
28 अगस्त 2025, बालाघाट: शहतूत की खेती और रेशम कीट पालन पर दिया प्रशिक्षण – ‘मेरा रेशम, मेरा अभिमान ‘ कार्यक्रम के अंतर्गत गत दिनों केंद्रीय रेशम बोर्ड बालाघाट द्वारा जिले के किरनापुर विकासखंड के ग्राम परसवाड़ा में शहतूत प्रौद्योगिकी पर एक व्यापक क्षेत्र प्रदर्शन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को शहतूत की खेती और रेशम कीट पालन की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना था, जिससे उसकी पैदावार और आय में वृद्धि हो सके। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. बावस्कर दत्ता मदन, वैज्ञानिक-सी, सुश्री हर्षा रायचंदानी उच्च श्रेणी लिपिक, श्री सुरेन्द्र चिचाम जिला रेशम अधिकारी, केएल घोरमारे कनिष्ठ रेशम निरीक्षक, श्री बीएल बोपचे प्रवर्तक जिला रेशम कार्यालय की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम में कुल 35 किसानों ने भाग लिया, जिन्होंने नई तकनीकों को सीखने में गहरी रुचि दिखाई।
क्षेत्र प्रदर्शन के दौरान, विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत जानकारी दी, जिसमें किसानों को शहतूत के पौधों को लगाते समय सही दूरी बनाए रखने के महत्व के बारे में बताया गया। यह तकनीक पौधों के बेहतर विकास, सूर्य के प्रकाश के उचित अवशोषण और हवा के संचार के लिए महत्वपूर्ण है। प्रदर्शन में शहतूत की नई और उन्नत किस्मों की जानकारी दी गई जो अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता वाले पत्ते प्रदान करती हैं। इन किस्मों के उपयोग से रेशम कीट पालन में रेशम का उत्पादन भी बढ़ सकता है। किसानों को मिट्टी की जांच के आधार पर संतुलित और प्रभावी तरीके से उर्वरकों के उपयोग के बारे में सिखाया गया। यह तकनीक न केवल पौधों के स्वास्थ्य को सुधारती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखती है।
विशेषज्ञों ने पौधों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने वाले विकास नियामकों (Growth Regulators) के सही उपयोग के बारे में मार्गदर्शन दिया, जिससे पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल उपायों पर जोर दिया गया। किसानों को जैविक और रासायनिक दोनों तरह के नियंत्रण उपायों के बारे में बताया गया।शहतूत की पत्तियों का उपयोग करके रेशम कीट का पालन कैसे किया जाए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया। इसमें साफ-सफाई, विसंक्रमण, तापमान और आद्रता का नियंत्रण और कीटों को स्वस्थ रखने के तरीकों को शामिल किया गया था।
इस पहल की सराहना करते हुए किसानों ने कहा कि इस तरह के प्रदर्शन उनके लिए बहुत उपयोगी हैं। प्रदर्शनी में शामिल, एक किसान ने बताया कि हमें पहली बार इतनी गहराई से शहतूत की खेती और रेशम कीट पालन की तकनीकों के बारे में जानकारी मिली है। हम इन तकनीकों को अपनाकर अपनी आय को बढ़ाने की उम्मीद करते हैं। डॉ. बावस्कर दत्ता मदन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे। जिससे अधिक से अधिक किसान इन तकनीकों का लाभ उठा सकें और क्षेत्र में रेशम उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। यह पहल बालाघाट जिले के किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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