राज्य कृषि समाचार (State News)

यह तकनीक रागी के फसल चक्र को बेहद छोटा कर देगी

28 जून 2025, भोपाल: यह तकनीक रागी के फसल चक्र को बेहद छोटा कर देगी – इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स  ने एक क्रांतिकारी तकनीक पेश की है। वैज्ञानिकों ने इस नई तकनीक को “रैपिड-रागी” नाम दिया गया है, जो रागी के लिए दुनिया की पहली स्पीड ब्रीडिंग तकनीक है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि यह तकनीक रागी के फसल चक्र को बेहद छोटा कर देगी, जिससे नई किस्में तेजी से और बेहतर तरीके से तैयार की जा सकेंगी। इससे कृषि अनुसंधान और खेती में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

यह नई खोज रागी की कृषि और शोध में बड़ा बदलाव ला सकती है, खासकर एशिया और अफ्रीका में, जहां रागी आहार का एक मुख्य हिस्सा है और स्कूलों के भोजन और पोषण कार्यक्रमों में इसकी भूमिका तेजी से बढ़ रही है।पहले पारंपरिक कृषि में जहां एक साल में रागी की एक से दो फसल होती थी। वहीं इस नई तकनीक की मदद से साल में चार से पांच फसल ली जा सकेंगी। ज्वार और बाजरे के बाद रागी को तीसरा सबसे अहम मिलेट माना जाता है। 2018 में भारत ने इसे बढ़ावा देने के लिए ‘राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ घोषित किया था, और 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय बाजरा दिवस के रूप में मनाया। तभी से रागी जैसे पोषक मोटे अनाजों को लेकर दुनियाभर में रुचि बढ़ी है। नई तकनीक की मदद से रागी की 100 से 135 दिन में तैयार होने वाली फसल को महज 68 से 85 दिन में तैयार किया जा सकता है। यदि फसल पकने पर उसे सही समय पर काटा जाए तो यह अवधि और एक सप्ताह कम हो सकती है।इसमें बीज जल्दी अंकुरित होते हैं, पौधा तेजी से बढ़ता है, फूल जल्द आते हैं और फसल जल्द पक जाती है। यह बदलाव बेहतर प्रकाश, तापमान, नमी नियंत्रण, सिंचाई, पोषण और पौधों की दूरी जैसे कारकों के अनुकूल और बेहतर प्रबंधन से संभव हुआ है।

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