रबी में होगी डीएपी की कमी मध्यप्रदेश के किसान हो रहे परेशान
26 सितम्बर 2024, भोपाल: रबी में होगी डीएपी की कमी मध्यप्रदेश के किसान हो रहे परेशान – रबी सीजन प्रारंभ होने वाला है इसे देखते हुए प्रदेश के किसान प्रमुख आदान उर्वरक की व्यवस्था करने में जुट गये हैं, परन्तु उन्हें खाद पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है क्योंकि प्रदेश में उपलब्धता की कमी है। दोनों सीजन के पूर्व खाद की कमी होना एक परम्परा सी बन गई है। केन्द्र सरकार का उर्वरक मंत्रालय जो देश में उर्वरक वितरण के लिए जिम्मेदार है ने मध्य प्रदेश को आवंटन के विरुद्ध कम उर्वरक प्रदाय किया है। रबी में डीएपी का आधार उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है परन्तु उसकी कमी होने की खबर है। खरीफ 2024 में ही अप्रैल से सितम्बर तक कुल 9.50 लाख टन डीएपी की मांग थी जिसके विरुद्ध केवल 4.50 लाख टन डीएपी मिला और लगभग 5 लाख टन डीएपी का इंतजार होता रहा। अब रबी मौसम के पहले माह अक्टूबर में ही 4 लाख टन डीएपी की एवं 2 लाख टन एनपीके की मांग है। उर्वरक को लेकर घमासान शुरू हो गया है। किसान ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में लाईन लगाने लगे हैं क्योंकि यहां सरसों एवं चने की जल्दी बुवाई होती है। सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उर्वरक के आसन्न संकट को देखते हुए केन्द्रीय उर्वरक मंत्री से चर्चा कर इसके निराकरण के प्रयासरत हैं।
प्रदेश में मुख्यत: रबी फसलों की बोनी 142 लाख हेक्टेयर में होती है। इसमें सरसों 13 लाख हेक्टेयर एवं चने की बुवाई 21 लाख हेक्टेयर में की जाती है जो अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में शुरू होती है इसमें आधार खाद के रूप में डीएपी का प्रयोग किया जाता है। जिससे उसकी मांग तेजी से बढ़ती है। रबी में लगभग 7 लाख टन डीएपी की मांग होती है इसमें से केवल अक्टूबर माह में 4 लाख टन की मांग है जिसमें 2 लाख टन स्वदेशी एवं 2 लाख टन आयातित डीएपी शामिल है। इसके साथ ही अक्टूबर माह के लिए 2 लाख टन एनपीके की मांग भी है इसमें 1 लाख टन स्वदेशी तथा 1 लाख टन आयातित खाद की मांग केन्द्र सरकार से की गई है।
परन्तु प्रदेश में खरीफ 2024 में डीएपी की सप्लाई मांग के विरुद्ध लगभग 5 लाख टन कम हुई है इसे देखते हुए रबी में शुरुआत से ही डीएपी की किल्लत होने की संभावना है। चालू सितम्बर माह में ही 1.50 लाख टन डीएपी आवंटन के विरुद्ध केवल 50 हजार टन मिला तथा 1 लाख टन की कमी रह गई। गत रबी में लगभग 38 लाख टन उर्वरक की मांग केन्द्र के समक्ष रखी गई थी जिसमें 7.25 लाख टन डीएपी शामिल था।
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